श्वान और बंदरों के काटने से लोग खुद ही करें बचाव
निगम अधिकारियों की लापरवाही, आमजन पर पड़ रही भारी
अधिकतर टेंडर खत्म होने से न बंदर पकड़े जा रहे ना श्वानों का हो रहा वैक्सीनेशन ।
कोटा। शहर में यदि किसी को श्वान काट ले या बंदर काट ले तो नगर निगम की ओर से बचाने के लिए या बंदर व श्वान को पकड़ने के लिए कोई नहीं आने वाला है। लोगों को खुद ही अपने स्तर पर उनसे बचाव के प्रयास करने होंगे। यह स्थिति है नगर निगम कोटा दक्षिण में। नगर निगम अधिकारियों की लापरवाही से समय पर टेंडर ही नहीं किए गेए। जिससे बंदर पकड़ने से लेकर मवेशी पकड़ने तक के टेंडर समाप्त हो गए हैं। नए टेंडर के ठेके नहीं हुए हैं। इसी बीच लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई है। अब जून तक नए ठेके होने वाले भी नहीं है। ऐसे में जून तक करीब तीन महीने लोगों को श्वान व बंदरों से खुद को ही सुरक्षा व बचाव करना होगा। नगर निगम की ओर से बंदरों को पकड़ने का ठेका मथुरा के संवेदक को दिया हुआ था। उसके टेंडर की अवधि समाप्त हो गई है। लेकिन की ओर से समय पर दोबारा टेंडर नहीं किए गए। जिससे अब कोटा दक्षिण निगम क्षेत्र में बंदरों को नहीं पकड़ा जा रहा है। ऐसे में शहर में बंदर किसी को काटें या घरों में उत्पात मचाएं निगम अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है। इसी तरह से मवेशी पकड़ने का ठेका पिछले साल की खत्म हो गया था। उसे कुछ समय के लिए बढ़ाया था वह भी पूरा हो गया। जबकि सड़कों पर आवारा मवेशियों का अम्बार लगा हुआ है। हादसों का खतरा बना हुआ है। लेकिन निगम अधिकारियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा।
श्वानों का वैक्सीनेशन करने वाली फर्म डीबार
नगर निगम कोटा दक्षिण में श्वानों का वैक्सीनेशन व बधियाकरण करने का काम पुणे की फर्म को दिया हुआ था। जिसके द्वारा श्वानों को जिस जगह से पकड़कर लाया जा रहा था। बधियाकरण व वैक्सीनेशन के बाद उसी जगह पर छोड़ा जा रहा था। लेकिन पिछले करीब डेढ़ माह से अधिक समय हो गया। श्वानों का वैक्सीनेशन व बधियाकरण नहीं किया जा रहा है। नगर निगम कोटा दक्षिण अधिकारियों ने पुणे को उस फर्म को डीबार कर दिया है। जिससे अब श्वानों का वैक्सीनेशन भी नहीं हो रहा है। ऐसे में यदि किसी बच्चे या महिला और पुरुष को श्वान काट ले तो निगम की ओर से उन्हें पकड़ने कोई नहीं आएगा। श्वानों से लोग अपनी सुरक्षा स्वयं करें। इस वाक्य को नगर निगम कोटा दक्षिण में सही साबित भी किया जा रहा है।
निगम कार्यालय में ही श्वानों का डेरा
शहर के मुख्य मार्ग व गली मौहल्लों में ही नहीं। नगर निगम कार्यालय तक में श्वानों का डेरा डला हुआ है। बुधवार को नगर निगम कार्यालय की दूसरी मंजिल तक श्वान बेसौफ घूम रहे थे। जिस तरह से श्वान निगम कार्यालय में घूम रहे थे। उससे तो ऐसा लगा रहा है कि उन्हें भी पता चल गया कि अब उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। जिससे वे अब तो निगम कार्यालय तक पहुंच गए हैं।
मवेशी मर जाए तो सड़ता रहेगा
नगर निगम कोटा दक्षिण की ओर से मुर्दा मवेशी उठाने का ठेका हर साल किया जाता है। लेकिन कुछ समय पहले इसका ठेका समाप्त हो गया। निगम की ओर से नया ठेका नहीं किया गया। जिससे अभी तक तो संवेदक मुर्दा मवेशी उठा रहे थे। लेकिन गत दिनों जिस तरह से नगर निगम अधिकारियों व न्यास दस्ते ने उनके कर्मचारियों के साथ व्यवहार किया। उसके बाद उन्होंने भी पहले की तरह काम करना बंद कर दिया है। ऐसे में यदि कहीं मवेशी मर भी जाए तो उसे कई दिन तक तो उठाने वाला कोई नहीं आएगा। लोगों को दुर्गंध में ही रहना पड़ सकता है। यह हालत गत दिनों लोगों ने देखी भी है। एरोड्राम अंडरपास रोड पर कई दिन तक बकरी मरी पड़ी रही। न्यास कार्यालय के गेट पर कई दिन तक मृत गाय पड़ी रही। जिन्हें बड़ी मुश्किल से उठाया गया था।
निगम अधिकारियों पर बीतेगी तब पता चलेगा
इधर लोगों का कहना है कि नगर निगम अधिकारियों को पता है कि हर साल टेंडर करना होता है तो समय रहने ठेके करने चाहिए। इस बार लोकसभा चुनाव की आचार सहिता से पहले ठेके करने चाहिए थे। दादाबाड़ी निवासी अनीस अहमद ने कहा कि लोगों के साथ श्वानों के काटने, बंदरों के हमले और मवेशियों से हादसों की घटनाएं हो रही है। इसी तरह की घटनाएं जब निगम अधिकारियों के साथ होंगी तब उन्हें पता चलेगा।
इनका कहना है...
नगर निगम में अधिकारियों की मनमानी चल रही है। वे कोई भी काम समय पर करना ही नहीं चाहते। श्वानों के वैक्सीनेशन व बधियाकरण के लिए बड़ी मुश्किल से पुणे की फर्म आई थी। जरा सी बात पर उसे डीबार कर दिया। जबकि कई संवेदक मनमानी कर रहे हैं। कार्यादेश की पालना नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। श्वान, बंदर व मवेशी शहर की सबसे बड़ी समस्याएं हैं। उनका समाधान करना निगम अधिकारियों की जिम्मेदारी है लेकिन वे उन्हें ही सही ढंग से नहीं कर रहे हैं।
- पवन मीणा, उप महापौर नगर निगम कोटा दक्षिण
श्वान और मवेशियों की समस्या शहर में काफी अधिक है। वार्ड में आए दिन श्वानों के काटने की घटनाएं हो रही है। लोग फोन कर रहे हैं लेकिन वर्तमान में श्वानों के वैक्सीनेशन व बधियाकरण करने वाली कोई फर्म ही नहीं है। मवेशी पकड़ने का ठेका खत्म हो गया है। अधिकारियों ने समय पर नए टेंडर नहीं किए हैं। जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
- विवेक राजवंशी, नेता प्रतिपक्षनगर निगम कोटा दक्षिण
दोबारा टेंडर किए लेकिन आचार सहिता लागू
इधर नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि श्वानों का वैक्सीनेशन करने वाली फर्म सही ढंग से काम नहीं कर रही थी। नोटिस देने के बाद भी सुधार नहीं हुआ। इस कारण से उसेडीबार कर दिया गया। बंदर व मवेशी पकड़ने के दोबारा टेंडर किए लेकिन निविदा खुलने से पहले ही आचार संहिता लग गई। फिलहाल न तो श्वानों का वैक्सीनेशन हो रहा है और न ही बंदर पकड़े जा रहे हैं।
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