नालों में डल रहा हॉस्टल-मैस का कचरा

शहर के अधिकतर बरसाती नाले हुए कचरे से जाम

नालों में डल रहा हॉस्टल-मैस का कचरा

बरसात से पहले नालों की सफाई पर फिर खर्च होंगे लाखों रुपए ।

कोटा। दृश्य-1 किशोरपुरा स्थित साजी देहड़ा नाला। जिसकी सफाई पर दो साल पहले कई दिन का समय लगा और इसके मोखों को साफ किया गया था। वर्तमान में हालत यह है कि सभी मोखे फिर से कचरे से अट गए हैं। जिससे पानी की निकासी सही ढ़ंग से नहीं हो पा रही है।

दृश्य-2 जवाहर नगर मेन रोड का नाला। इस नाले की सफाई पर हर बार सबसे अधिक समय लगता है। उसके बाद भी इस नाले में वर्तमान में इतना अधिक कचरा है कि देखकर लगता ही नहीं कि इसकी हर साफ सफाई हो रही है। यहां आस-पास के हॉस्टल व मैस का कचरा डाला जा रहा है। 

दृश्य-3 तलवंडी मेन रोड का नाला। इस नाले में कचरे से लेकर मैस व होटल और हॉस्टलों से निकलने वाला कचरा बड़ी मात्रा में डाला जा रहा है। जिससे बरसात के समय यहां पानी भरने से जाम नाले के कारण सारा गंदा पानी क्षेत्र के मकानों की तरफ जाएगा। यह तो उदाहरण मात्र है शहर के उन  बरसाती नालों की दशा व हालत बताने के लिए जिनकी सफाई पर नगर निगम हर साल लाखों रुपए खर्च करता है। शहर के नए कोटा से लेकर कोचिंग एरिया और पुराने शहर से लेकर रेलवे स्टेशन तक के क्षेत्र में ऐसे कई बड़े बरसाती नाले हैं जिनमें डलने वाले कचरो को रोकने के लिए कोई मॉनिटरिंग तक नहीं हो रही है। ऐसे में उन नालों की सफाई पर हर साल होने वाले जनता के लाखों रुपए बर्बाद ही हो रहे हैं। एयरपोर्ट के पास से गुजर रहा नाला हो या संतोषी नगर से निकलने वाला नाला। एसी वाले गणेशजी  के पास का नाला हो या धोकड़े वाले हनुमान मंदिर के पास का नाला। दादाबाड़ी का नाला हो या जवाहर नगर  में मैरिज गार्डन के पास का नाला। सभी नालों की हालत एक जैसी बनी हुई है। 

जेसीबी के अलावा चैन माउंटेंड से सफाई
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से हर साल बरसात से पहले सभी बड़े बरसाती नालों की दो तरह से सफाई करवाई जाती है। एक तो नगर निगम की जेसीबी मशीनों से। जेसीबी से अधिकतर छोटे नालों की सफाई करवाई जाती है। जबकि बड़े व अधिक कचरे वाले नालों की सफाई चैन माउंटेंड मशीनों से करवाई जाती है। इसके लिए नगर निगम अलग से टेंडर करता है। जिसमें प्रति घंटे के हिसाब से मशीन का भुगतान होता है। नालों की सफाई का काम बरसात से पहले अप्रैल-मई में शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार इस अवधि में लोकसभा चुनाव होने से सभी अधिकारी चुनाव कार्य में व्यस्त हैं। जिससे नालों की सफाई के काम में देरी होने की संभावना है। 

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तत्कालीन आयुक्त व उपायुक्त ने की थी सख्ती
शहर के बरसाती नालों में सफाई करवाने के बाद भी उनमें कचरा डालने वालों के खिलाफ नगर निगम कोटा दक्षिण की तत्कालीन आयुक्त कीर्ति राठौड़ और तत्कालीन उपायुक्त राजेश डागा ने सख्ती की थी। वे स्वयं व जनता के सहयोग से उना नालों में डलने वाले कचरे के मॉनिटरिंग कर रहे थे। नालों में कचरा डालने वालों के फोटो खिचवाकर उसके आधार पर उन पर हजारों रुपए जुर्माना किया। जिससे उस समय काफी हद तक इसमें कमी आई थी। दोनों अधिकारियों ने स्वयं भी कई बार मैस व हॉस्टल कर्मचारियों को नाले में कचरा डालते हुए पकड़ा  था। डागा के समय तो लाखों रुपए जुर्माना वसूल किया गया था।  लेकिन उन अधिकारियों के जाने के बाद वर्तमान में निगम अधिकािरयों की तरफ से नालों में कचरा डालने वालों की न तो कोई मॉनिटरिंगम की जा रही है और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई। 

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जनता के धन की बर्बादी
जवाहर नगर निवासी अजय शर्मा ने बताया कि नगर निगम की ओर से हर साल  नालों की सफाई करवाई जाती है। जिन पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। फिर भी गंदगी व कचरे से नाले अटे हुए हैं। ऐसे में जनता के धन की बर्बादी हो रही है। अभी भी अक्सर लोगों को सुबह जल्दी व रात के अंधेरे में नालों में कचरा डालते हुए देखा जा सकता है। 

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दादाबाड़ी निवासी मोहम्मद असलम का कहना है कि नगर निगम की ओर से पिछले साल भी चैना माउंटेंड मशीन लगाकर नाले की सफाई करवाई गई थी। उसके बाद फिर से आस-पास के दुकानदार व फल के ठेले वाले नाले में ही कचरा डाल रहे हैं। नगर निगम के सफाई निरीक्षक, जमादार आंखें मूंदे बैठे हैं। जिससे जनता के धन की बर्बादी हो रही है। इस बार फिर से नालों की सफाई के टेंडर होकर लाखों रुपए खर्च किए जाएंगे। उनका कहना है कि बरसात आने वाली है। लेकिन अभी तक तो सफाई शुरू भी नहीं हुई है। 

इनका कहना है
नगर निगम बरसात से पहले हर साल बड़े नालों की सफाई करवाता है। इस बार सभी अधिकारी चुनाव में व्यस्त हैं। पूर्व में अधिकारियों ने जिस तरह से नालों में कचरा डालने वालों पर सख्ती की थी। उसका असर दिखाई दिया था। लेकिन उनके जाते ही अब अधिकारियों का ऐसा कोई मानस ही नहीं लगता। जिससे अभी भी मैस व हॉस्टलों का कचरा नए कोटा क्षेत्र के नालों में डल रहा है। नालों के ढकान की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। हालांकि प्रयास है कि कोटा में मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नालों की सफाई करवाने के बारे में अधिकारियों से कहा जाएगा। 
- पवन मीणा, अध्यक्ष सफाई समिति, नगर निगम कोटा दक्षिण 

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