कांग्रेस में खींचतान से कई सीटों पर मुश्किल, मनुहार में जुटे नेता 

खींचतान के चलते सीटों पर नुकसान की रिपोर्ट पहुंची हैं

कांग्रेस में खींचतान से कई सीटों पर मुश्किल, मनुहार में जुटे नेता 

प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा को नेताओं की गुटबाजी और खींचतान को समाप्त करने की जिम्मेदारी सौंपी है।

जयपुर। राजस्थान में लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की घोषणा के बाद से ही कांग्रेस में नेताओं में खींचतान और अंदरखाने नाराजगी बढ़ रही है। नेताओं के गुटों में समन्वय नहीं होने से बढ़ी खींचतान से कई सीटों पर कांग्रेस को नुकसान होने का डर सता रहा है। कांग्रेस आलाकमान के पास गुटबाजी और खींचतान के चलते सीटों पर नुकसान की रिपोर्ट पहुंची हैं। इसके बाद प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा को नेताओं की गुटबाजी और खींचतान को समाप्त करने की जिम्मेदारी सौंपी है। करीब एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस को अपने ही नेताओं से चुनौती मिलती दिखाई दे रही है। हाल ही में डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर हुए घटनाक्रम के बाद नेताओं की खींचतान सार्वजनिक हुई। यहां बीएपी से गठबंधन को लेकर कांग्रेस के अधिकांश नेता नाराज थे। गठबंधन करने के बाद प्रत्याशियों के माध्यम से यह नाराजगी खुलकर सामने आ गई। चुनावी नुकसान का आंकलन उन सीटों पर अधिक किया गया है, जहां दिग्गज नेताओं के क्षेत्र में दूसरे गुट के नेता को टिकट मिला है। इनमें जोधपुर, जालोर-सिरोही, पाली, गंगानगर, जयपुर ग्रामीण, भरतपुर, अलवर, करौली-धौलपुर, डूंगरपुर-बांसवाड़ा, उदयपुर, चूरू, नागौर, अजमेर, बाड़मेर जैसी सीटें शामिल हैं। अब चुनाव तक नेताओं को एकजुट रखने की जिम्मेदारी रंधावा और डोटासरा के अलावा कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट, भंवर जितेन्द्र सिंह, हरीश चौधरी जैसे नेताओं को दी गई है।

नागौर: कांग्रेस ने आरएलपी प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल को गठबंधन प्रत्याशी बनाया। वे कांग्रेस नेताओं पर भाजपा प्रत्याशी का अंदरूनी समर्थन करने के आरोप लगा चुके हैं। यहां कांग्रेस नेता गठबंधन प्रत्याशी के जीतने पर अपनी आगामी राजनीति को लेकर चिंतित हैं। नेताओं का तर्क यह भी है कि बेनीवाल बार बार पाला बदलने वाले नेताओं में शामिल हैं। अगले चुनाव में पाला बदल लिया तो हमारी मेहनत बेकार जाएगी। लिहाजा विधायक मुकेश भाकर, रामनिवास गावडिया, चेतन डूडी जैसे नेताओं की सक्रियता कम दिखाई दे रही है। 

जयपुर ग्रामीण
यहां पायलट समर्थक अनिल चौपडा को टिकट मिला है। कांग्रेस के अन्य दावेदार लालचंद कटारिया, राजेन्द्र यादव भाजपा में शामिल हो चुके हैं। यहां टिकट के लिए पायलट ने चौपडा और पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा ने संदीप चौधरी का नाम आगे किया था। डोटासरा और गहलोत समर्थकों में टिकट नहीं मिलने से बढ़ी नाराजगी का नुकसान होने का डर कांग्रेस को सता रहा है। भाजपा में शामिल नेताओं से भी वोटों में सेंधमारी का डर है।

चूरू
कांग्रेस ने भाजपा सांसद राहुल कस्वां को पार्टी में शामिल कर उम्मीदवार बनाया। इससे कांग्रेस के स्थानीय नेताओं में अंदरखाने नाराजगी इसलिए है कि आगामी दिनों में उनका नंबर आने की संभावना कम होती है। पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी रफीक मंडेलिया, विधायक नरेन्द्र बुडानिया के अलावा हमीदा बेगम, तनवीर खान, जमील चौहान, विकास बेनीवाल सिंकदर खान अपना वर्चस्व कम होने को लेकर चिंतित हैं,लेकिन पीसीसी चीफी गोविन्द सिंह डोटासरा के दखल के चलते नाराजगी खुलकर सामने नहीं आ रही है। 

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दौसा
कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट पर पिछले दो चुनाव से भाजपा का कब्जा है। कांग्रेस ने इस बार पायलट समर्थक विधायक मुरारीलाल मीणा को टिकट दिया है। कांग्रेस के नरेश मीणा ने यहां कुछ बगावती तेवर दिखाए, लेकिन पायलट ने उन्हें मना लिया। मीणा समाज के कुछ कांग्रेस नेताओं सहित गहलोत समर्थक कुछ अन्य नेता भी अंदरखाने नाराज बताए जा रहे हैं। कांग्रेस ने भीतरघात की आशंकाओं के निस्तारण के लिए सचिन पायलट को जिम्मेदारी सौंपी है। 

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टोंक-सवाईमाधोपुर
यहां कांग्रेस से पायलट समर्थक विधायक हरीशचन्द्र मीणा चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस के लिए भाजपा के सामने चुनौती बनी हुई यह सीट इस बार भी कम चुनौती भरी नहीं है। भाजपा प्रत्याशी के गुर्जर समाज से होने के कारण पायलट के गुर्जर-मीणा गठजोड़ का पर्याप्त तोड़ अभी नहीं मिल पा रहा है। गहलोत समर्थक नेता भी अंदरखाने पूरी तरह सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं। 

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भरतपुर और करौली-धौलपुर
भरतपुर में पायलट समर्थक संजना जाटव के प्रत्याशी घोषित होने के बाद गहलोत समर्थक पूरी तरह सक्रिय नजर नहीं आ रहे। विधायकों की कम संख्या और संगठन की कमजोरी भी नुकसान के कारण के रूप मे सामने आ रही है। करौली-धौलपुर में गहलोत समर्थक भजनलाल जाटव बाहरी प्रत्याशी होने का विरोध झेल रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व सांसद खिलाड़ीलाल बैरवा भाजपा में शामिल होने के बाद नुकसान पहुंचा रहे हैं। धौलपुर जिले में कांग्रेस विधायक रोहित बोहरा और शोभारानी कुशवाह और करौली जिले में अनीता जाटव का सहयोग भी अपेक्षाकृत कांग्रेस को सही नहीं मिलने की रिपोर्ट सामने आई हैं। 

कुछ सीटों पर गुटबाजी के चलते भीतरघात का डर
जोधपुर में पायलट समर्थक करण सिंह उचियारडा को गहलोत समर्थकों का सहयोग नहीं मिल रहा तो जालोर-सिरोही में गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को पायलट समर्थकों ने ऊपरी मन से सहयोग दे रखा है। पाली में संगीता बेनीवाल, श्रीगंगानगर में कुलदीप इंदौरा, अलवर में ललित यादव के साथ ही तकरीबन ऐसे ही हालात बने हुए हैं।

बड़े नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी
सीकर, नागौर और बांसवाड़ा सीट पर गठबंधन प्रत्याशियों को कांग्रेस नेताओं का पूरा सहयोग नहीं मिल रहा। स्थानीय नेता गठबंधन प्रत्याशियों की चुनाव के बाद पार्टी के साथ वफादारी को लेकर आशंकित हैं। लिहाजा ऊपरी मन से सपोर्ट कर रहे नेताओं की गठबंधन प्रत्याशियों ने ही शिकायत दर्ज कराई है। चुनाव में नुकसान रोकने के लिए इन कांग्रेस नेताओं से बातचीत कर गतिरोध समाप्त करने की जिम्मेदारी रंधावा, डोटासरा, गहलोत और पायलट को मुख्य रूप से दी गई है।

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