नए जिलों की वजह से हजारों पंचायत समितियों के सीमांकन में देरी, खिसक सकते हैं चुनाव
अगले साल के मध्य तक चुनाव खिसक सकते हैं
राज्य सरकार की पंचायतों और नगर पालिकाओं के वार्ड परिसीमन कार्य पूरा करने में सुस्ती के चलते इस साल के अंत में पंचायत चुनाव समय पर शुरू होने की उम्मीद कम ही है।
जयपुर। गहलोत सरकार के समय बने 19 नए जिलों में शामिल पंचायतों के सीमांकन में देरी की वजह से पंचायत चुनाव कराने में और देरी हो सकती है। सीमांकन कार्य समय पर पूरा नहीं होने के कारण अगले साल के मध्य तक चुनाव खिसक सकते हैं। राजस्थान में 2025 में करीब 6,759 ग्राम पंचायतों, मार्च 2025 में 704 और अक्टूबर 2025 में 3,847 ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। राज्य सरकार और पंचायतीराज विभाग के चुनावों को लेकर रवैये से समय पर चुनाव होने के आसार नजर नहीं आ रहे। राजस्थान में साल 2020-21 में कोरोना महामारी के चलते पंचायतों और जिला परिषदों के चुनाव अलग अलग महीनों में लंबे समय में हुए थे। 2020 में 6,759, मार्च में 704, अक्टूबर में 3,847 पंचायतों के चुनाव हुए थे। उस हिसाब से 6,759, मार्च में 704 और अक्टूबर में 3,847 पंचायतों में चुनाव होने चाहिए। राज्य सरकार की पंचायतों और नगर पालिकाओं के वार्ड परिसीमन कार्य पूरा करने में सुस्ती के चलते इस साल के अंत में पंचायत चुनाव समय पर शुरू होने की उम्मीद कम ही है।
गहलोत राज में बने 19 नए जिले, सीमांकन में लगेगी देरी: गहलोत सरकार में राज्य सरकार ने करीब 86 पंचायतों को नगरपालिका में बदल दिया। बिना चुनाव कराए संबंधित पंचायत के निर्वाचित सरपंच को नगर पालिका अध्यक्ष और ग्राम पंचायतों के पंचों को पार्षद नियुक्त कर दिया था। ऊपर से गहलोत सरकार ने राज्य में करीब दो दर्जन जिलों में पंचायतों को अलग कर 19 जिले भी घोषित किए। उसमं नए जिलों के सीमांकन में करीब एक दर्जन पंचायत समितियों की पंचायतों में कुछ को पुराने जिले में ही शामिल रखा। अब इससे नए जिले में जिला परिषद, पंचायत समिति सदस्यों के निर्वाचन के लिए वार्डों का नए सिरे से परिसीमन करना पड़ेगा। राज्य निर्वाचन विभाग चुनाव कराने के संबंध में राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर जरूरी दिशा निर्देश दे चुका है। अब सरकार और पंचायती राज विभाग में कार्रवाई की सुस्त चाल के चलते समय पर चुनाव होते नजर नहीं आ रहे। चुनाव अगले साल मध्य तक खिसक सकते हैं।
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