मॉन्यूमेंट तो अच्छे हैं उनका विवरण क्यों नहीं

पर्यटकों को नहीं मिल रही रिवर फ्रंट के मॉन्यूमेंट की पूरी जानकारी

मॉन्यूमेंट तो अच्छे हैं उनका विवरण क्यों नहीं

इस बारे में वहां कोई विवरण पर्यटकों को नहीं मिल रहा है। जिससे लोग सिर्फ इमारतों व मॉन्यूमेंट को देखकर ही जा रहे हैं उनकी जानकारी लेकर नहीं जा रहे।

कोटा। नगर विकास न्यास की ओर से चम्बल नदी के दोनों छोर पर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल रिवर फ्रंट तो बना दिया। लेकिन वहां हर घाट पर बनाए मॉन्यूमेंट का विवरण ही लिखना भूल गए। जिससे वहां आने वाले पर्यटकों को उनके बारे में जानकारी ही नहीं मिल रही है। कोटा में बने रिवर फ्रंट को इतना अधिक प्रचारित किया गया है कि उसे देखने की हर व्यक्ति में इच्छा बनी हुई है। गर्मी की छुट्टियां शुरु हो चुकी है। ऐसे में स्थानीय लोग ही नहीं वरन् देश विदेश से भी पर्यटक यहां शाम के समय घूमने आ रहे हैं।  यहां आकर लोगों को अच्छा तो लग रहा है। देश विदेश की प्रसिद्ध इमारतों के प्रतिरूप देखने को मिल रहे हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम, लाइटिंग, फव्वारे व चम्बल की आरती और गोल्फ कोर्ट की सवारी भी करने को मिल रही है। लेकिन बाहर से आने वाले लोगों को रिवर फ्रंट के मॉन्यूमेंट का पूरा विवरण नहीं मिल रहा है। 

दोनों छोर पर 26 घाट
करीब 1434 करोड़ रुपए की लागत से बने रिवर  फ्रंट के दोनों छोर पर 26 घाट बनाए गए हैं। शौर्य घाट, साहित्य घाट, सिंह घाट, ग्लोब, और विश्व की 9 प्रसिद्ध इमारतों लाल किला से लेकर चायनीज पगोड़ा तक बनाए गए हैं। इन विजुअल मेन, पंडित नेहरु का मुखोटा समेत कई ऐसे आकर्षण हैं जो देखने में तो अच्छे लग रहे हैं। जिनके बारे में पर्यटक विशेष रूप से बच्चे व युवा पीढ़ी जानना चाहती है कि यह क्या है और कहां से लिया गया है। इसे बनाने में किस मेटेरियल का और कितना उपयोग किया गया। इसे यहां बनाने का मकसद क्या है। इस बारे में वहां कोई विवरण पर्यटकों को नहीं मिल रहा है। जिससे लोग सिर्फ इमारतों व मॉन्यूमेंट को देखकर ही जा रहे हैं उनकी जानकारी लेकर नहीं जा रहे। 

सिर्फ नाम लिखे, विवरण नहीं
हर घाट पर बने मॉन्यूमेंट के सिर्फ नाम ही लिखे हुए हैं, उनका विवरण नहीं दिया गया है। वहां कोई गाइड भी उपलब्ध नहीं हैं जो पर्यटकों को उनके बारे में जानकारी दे सके। गोल्फ कोर्ट के चालकों को जितनी जानकारी है उसमें सवारी करने वालों को तो चालक थोड़ी सी जानकारी दे भी रहे हैं। जबकि पैदल घूृमने वाले तो सिर्फ इमारतें देखकर ही लौट रहे हैं। 

डिस्क्रप्शन होता तो बेहतर रहता
रिवर फ्रंट को बने 6 महीने से अधिक हो गया। पहली बार देखने आया हूं। यहां आकर अच्छा लगा। लेकिन वहां बने मॉन्यूमेंट व घाटों के बारे में उनका पूरा डिस्क्रप् शन लिखा होता तो बेहतर रहता। आजकर तो डिजिटल का जमाना है। बार कोड वाला सिस्टम भी किया जा सकता है।  जिस तरह से सेवन वंडर्स पार्क में हर चीज की जानकारी लिखी हुई है। जिससे किसी के कुछ पूछना नहीं पड़ता। बाहर कहीं भी जाने पर गाइड की भी सुविधा होने से वे जानकारी दे देते हैं। यहां भी उस तरह की सुविधा होनी चाहिए। 
-मोहित वर्मा, दादाबाड़ी

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चम्बल रिवर फ्रंट  के बारे में खूब सुना था। देखने की इच्छा थी। बच्चों की छुट्टी लगने पर परिवार समेत यहां आए। पूरा रिवर फ्रंट घूमने में समय लगा और देखने में अच्छा भी। लेकिन वहां जो मॉन्यूमेंट हैं उनका विवरण ही नहीं है। जिससे पता ही नहीं चल रहा कि वह क्या चीज है। बच्चे हमसे पूछ रहे हैं हमे ही उसकी जानकारी नहीं है। 
- अंजली शर्मा, जयपुर

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रिवर फ्रंट के बारे में जितना सुना था देखने में उतना ही अच्छा लगा।  लेकिन वहां बने मॉन्यूमेंट के बारे में कहीं कोई डिटेल जानकारी नहीं दी गई है। जिससे उनके बारे में पता ही नहीं चल रहा है कि वास्तव में वह क्या है। कई मॉन्यूमेंट के बारे में पता भी है लेकिन पूरा ज्ञान नहीं है। इसके बिना यहां बने मॉन्यूमेंट में अधूरापन रहा। 
- संजय चौधरी, जोधपुर

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इनका कहना है
रिवर फ्रंट बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था। उसे बनाने में समय लगा। हो सकता है चुनाव के पहले उद्घनटन के कारण कुछ काम रह गया होगा। वैसे लोगों का कहना सही है कि हर मॉन्यूमेंट की जानकारी व विवरण वहां होना चाहिए। उसके लिए आचार संहिता हटते ही प्रयास किए जाएंगे। लोगों को शीघ्र ही उसकी सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। साथ ही यहां आॅनलाइन टिकट बुकिंग समेत कई और भी काम होने हैं वे सभी चुनाव के बाद ही हो पाएंगे। 
- कुशल कोठारी, सचिव, नगर विकास न्यास

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