पिछला वादा पूरा नहीं करने वाले मोदी 3 करोड़ आवास देने का पीट रहे ढिढोरा, दूसरों की कुर्सियां उधार लेकर चला रहे सत्ता : खड़गे

पिछली गारंटी पूरी कर ली हो

पिछला वादा पूरा नहीं करने वाले मोदी 3 करोड़ आवास देने का पीट रहे ढिढोरा, दूसरों की कुर्सियां उधार लेकर चला रहे सत्ता : खड़गे

प्रधानमंत्री ने 2020 में देश को मोदी की गारंटी दी थी कि 2022 तक हर भारतीय के सिर पर छत होगी। ये गारंटी तो खोखली निकली।

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मोदी ने 3 करोड़ आवास देने का ढिंढोरा पीटना शुरू कर दिया है, जबकि उन्होंने अब तक गरीबों को आवास देने का पुराना वादा पूरा नहीं किया है। खड़गे ने कहा कि लोकसभा चुनाव में देश ने ऐसा जवाब दिया कि मोदी सरकार को दूसरों के घरों से कुर्सियां उधार लेकर अपना सत्ता का घर संभालना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री ने 2020 में देश को मोदी की गारंटी दी थी कि 2022 तक हर भारतीय के सिर पर छत होगी। ये गारंटी तो खोखली निकली। अब तीन करोड़ प्रधानमंत्री आवास देने का ढिंढोरा ऐसे पीट रहे हैं, जैसे पिछली गारंटी पूरी कर ली हो।

उन्होंने कहा कि देश असलियत जानता है, इस बार इन 3 करोड़ घरों के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है, कोई डेडलाइन नहीं दी गई है, क्योंकि भाजपा ने पिछले 10 वर्षों में कांग्रेस-यूपीए के मुकाबले 1.2 करोड़ घर कम बनवाएं। कांग्रेस ने 2004-13 तक 4.5 करोड़ घर, भाजपा ने 2014-24 तक 3.3 करोड़ घर बनाए हैं। मोदी की आवास योजना में 49 लाख शहरी आवास - यानी 60 प्रतिशत घरों का अधिकांश पैसा जनता ने अपनी जेब से भरा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि एक सरकारी बेसिक शहरी घर औसतन 6.5 लाख का बनता है, उसमें केंद्र सरकार केवल 1.5 लाख देती है। इसमें 40 प्रतिशत योगदान राज्यों और नगरपालिका का भी होता है। बाकी का बोझ का ठीकरा जनता के सिर पर आता है और वो भी कऱीब 60 प्रतिशत का बोझ। ऐसा संसदीय कमेटी ने कहा है। समाचार पत्रों से पता चला है कि नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में जो'सांसद आदर्श ग्राम योजनाÓके तहत 8 गाँवों को विकसित करने के लिए गोद किया था वहाँ गऱीबों के पास, $खासकर दलित व पिछड़े समाज के पास अब तक पक्के घर नहीं पहुँचे। अगर कुछ घर हैं तो भी उनमें पानी नहीं पहुँचा है, नल तक नहीं है।

उन्होंने कहा कि जयपुर में जो मोदी द्वारा गोद लिया गया पहला गाँव है, कई दलितों के पास घर और कार्यात्मक शौचालय नहीं हैं। नागेपुर में भी स्थिति ऐसी ही है - इसके अलावा सड़कें भी खराब स्थिति में हैं। परमपुर में पूरे गांव में नल लगे हैं, लेकिन उन नलों में पानी नहीं है। पूरे गांव में पिछले दो महीनों से पानी की आपूर्ति नहीं थी। वहां कई दलित और यादव समाज के लोग मिट्टी के घरों में रहते हैं।

 

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