![बर्बादी रोके बगैर जल संकट का हल नहीं](https://dainiknavajyoti.com/media-webp/c200x160/2024-07/u1rer-(2)4.png)
औसत बिल आने से पानी की बर्बादी को मिल रही छूट, मीटर से हो जलापूर्ति
एक तरफ 24 घंटे जलापूर्ति से पानी का दुरुपयोग वहीं दूसरी ओर पीने के पानी को भी घंटों इंतजार
शहर वासियों में पानी के दुरुपयोग को लेकर जागरुकता की कमी के चलते भी पानी की बर्बादी बढ़ रही है।
कोटा। कोटा के कई इलाकों में गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत बढ़ जाती है। एक ओर शहर के कई पॉश इलाकों में 24 घंटे पानी की सप्लाई होती है वहीं दूसरी ओर पीने के पानी के लिए भी लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। वहीं जलदाय विभाग की माने तो कोटा में जलापूर्ति के लिए पर्याप्त जल शोधन होता है। लेकिन असमान वितरण के कारण कुछ इलाकों में पानी 24 घंटे तक पहुंचता है और कुछ इलाकों में अभी भी जलापूर्ति नहीं हो रही है। वहीं जलदाय विभाग भी उपयोग किए पानी की बिना कोई रीडिंग लिए केवल एवरेज बिल दे रहा है। जिससे पानी का दुरुपयोग करने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। वहीं विभाग अगर मीटर से रीडिंग लेकर बिल दे तो पानी की बर्बादी पर कुछ हद तक रोक लगाई जा सकती है।
रोज होता 55 से 58 करोड़ लीटर पानी का शोधन
कोटा में पानी के शोधन के लिए तीन संयंत्र लगे हैं जिनमें अकेलगढ़ की क्षमता 300 एमएलडी, श्रीनाथपुरम की 50 एमएलडी और सकतपुरा स्थित प्लांट के दोनों संयंत्रों की 200 एमएलडी की क्षमता है। इसी तरह कोटा के चारों संयंत्रों को मिलाकर रोज 550 से 580 एमएलडी पानी का शोधन किया जा रहा है। जो लगभग 55 से 58 करोड़ लीटर है, वहीं आवश्यकता होने पर इसे 610 एमएलडी तक भी बढ़ा दिया जाता है। जो कोटा की करीब 16 लाख की आबादी में प्रति व्यक्ति 340 लीटर है। बावजूद इसके कई इलाकों में पानी की पाइप लाइन तक मौजूद नहीं है। ऐसे में पानी का पर्याप्त उत्पादन होने के बाद भी कोटा के अधिकांश इलाके पानी के लिए तरस रहे हैं।
पानी बचाने को लेकर है जागरूकता की कमी
शहर में कई इलाके ऐसे हैं जहां 24 घंटे पानी की सप्लाई होती है। लेकिन वहां पानी की बर्बादी को रोकने के लिए जागरूकता की कमी है। साथ ही विभाग की ओर से इन इलाकों में बिना रीडिंग के पानी का बिल दिया जा रहा है। जिसके चलते पानी के उपयोग पर कोई सीमा नहीं है। वहीं औसत बिल आने से लोगों में पानी के ज्यादा उपयोग होने की चिंता भी नहीं रहती है। जिससे पानी का दुरुपयोग और बढ़ जाता है। वहीं जलदाय विभाग प्रत्येक घर में पानी का मीटर लगाकर उसकी रीडिंग के अनुसार ही बिल बनाए तो कुछ हद तक पानी की बर्बादी में कमी आ सकती है। वहीं शहर वासियों में पानी के दुरुपयोग को लेकर जागरुकता की कमी के चलते भी पानी की बर्बादी बढ़ रही है। लोग पीने के पानी का उपयोग कार व सड़क धोने और अन्य कार्यों में कर रहे हैं।
लोगों का कहना है
हमारे इलाके में पानी की समस्या को दो दशकों से ज्यादा हो चुके हैं, पहले कच्ची बस्ती होने के कारण रहती थी। लेकिन अब आवासीय इलाका होने के बाद भी हालात में कोई सुधार नहीं है। आज भी पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है।
- राजकुमार सेन, प्रेमनगर द्वितीय
पानी की समस्या को लेकर जलदाय विभाग को कई बार अवगत कराया प्रदर्शन भी किया अधिकारियों जनप्रतिनिधियों से भी मिल चुके हैं। लेकिन समस्या ज्यों की त्यों है। एक ओर लोग पानी को जितना मर्जी आए उतना बहा रहे हैं वहीं दूसरी ओर लोगों को एक बाल्टी पानी के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
- सुभाष भील
इनका कहना है
शहर में पर्याप्त जलापूर्ति के लिए संयंत्रों को पूरी क्षमता पर चलाने के साथ में टैंकरों की भी व्यवस्था की हुई है। जिन इलाकों में पाइप लाइन या जलापूर्ति के संसाधन नहीं है। उन्हें अमृत योजना 2.0 में शामिल किया जा रहा है, जिसके बाद उन इलाकों में भी पर्याप्त जलापूर्ति हो सकेगी। मीटर रीडिंग उन क्षेत्रों में ली जा रही है जहां 24 घंटे सप्लाई होती है। कोई मीटर की रीडिंग के अनुसार बिल चाहता है तो वह कार्यालय में बता सकता है।
- पी के बागला, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग कोटा
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