जर्जर नहरें बन रही बाधा, खेत प्यासे

मरम्मत नहीं होने से व्यर्थ बह जाता है पानी

जर्जर नहरें बन रही बाधा, खेत प्यासे

जर्जर नहर से कई स्थानों से पानी रिस कर बह जाता है। जिससे प्यासे खेतों को पानी नहीं मिल पाता है।

कोटा। मानसून कूमजोर रहने के कारण धान की फसल के लिए कोटा बैराज की दायीं व बायीं नहर में जलप्रवाह किया जा रहा है। नहरों की मरम्मत नहीं होने से टेल क्षेत्र के खेतों तक नहरी पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इससे किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मरम्मत के अभाव में नहरों से पानी रिस कर व्यर्थ बह रहा है। साठ के दशक में कोटा बैराज से चबल की नहरों का निर्माण हुआ था। वर्तमान में नहरें जगह-जगह से जर्जर हो चुकी हैं। हर साल रबी और खरीफ सीजन में फसलों में सिंचाई के लिए जलप्रवाह के दौरान काफी मात्रा में नहरी पानी सीपेज में व्यर्थ बह जाता है। हर साल नहरों की मरम्मत के कार्य किए जाते हैं, लेकिन कार्यो में खानापूर्ति के कारण उनका लाभ नहीं मिल पाता है।    

व्यर्थ बह जाता है हजारों क्यूसेक पानी
किसान जानकीलाल व रामेश्वर ने बताया कि हाड़ौती के जर्जर नहरी तंत्र के कारण हर साल हजारों क्यूसेक पानी व्यर्थ बह जाता है। जर्जर नहर से कई स्थानों से पानी रिस कर बह जाता है। जिससे प्यासे खेतों को पानी नहीं मिल पाता है। यदि व्यर्थ बहते पानी को सहेज लिया जाए तो हजारों हैक्टेयर भूमि की फसलों में सिंचाई हो सकी है। इससे करोड़ों का सालाना कृषि उत्पादन बढ़ सकता है। हम हर साल जर्जर नहरी तंत्र की मांग को लेकर आंदोलन करते हैं, लेकिन प्रशासन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देता है। इस कारण हर साल जर्जर नहरी तंत्र के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है। 

बायीं मुख्य नहर नहीं हो रही पक्की
दोनों नहरों में धान की फसल के लिए जलप्रवाह शुरू किया जा रहा है, लेकिन सिंचित क्षेत्र के किसानों के लिए खरीफ व रबी की फसलों को पानी पिलाने के लिए बनाई गई बायीं मुख्य नहर 6 दशक बाद भी पक्की नहीं होने से आधा पानी बह कर ड्रेनों के माध्यम से चबल नदी में चला जाता है। इस बार नहरों में सफाई कार्य शुरू ही नहीं हो पाया। नहरों की दीवारों के पत्थर पानी को आगे बढ़ने से रोकते हैं। नहरी समस्याओं के प्रति राज्य सरकार व जल संसाधन विभाग गंभीर नहीं है। जर्जर हो चुकी नहरों को क्षमता से अधिक पानी छोड़ने के बाद भी कब कहां से टूट जाए कहना मुश्किल है। नहरों की पक्की दीवारें जगह जगह टूटी हुई है। बायीं मुख्य नहर की कापरेन व केशवरायपाटन ब्रांच जगह जगह क्षतिग्रस्त पड़ी है।

फैक्ट फाइल
दायीं मुख्य नहर
- 6300 क्यूसेक जल प्रवाह क्षमता
-  124 किलोमीटर राजस्थान में
-  248 किलोमीटर मध्यप्रदेश में
-  1.27 लाख हैक्टेयर भूमि राजस्थान में सिंचित
-  3.70 लाख हैक्टेयर भूमि मध्यप्रदेश में सिंचित
बायीं मुख्य नहर 
- 1500 क्यूसेक जलप्रवाह क्षमता
- 178 किलोमीटर राजस्थान में
-  1.02 लाख हैक्टेयर भूमि सिंचित

Read More चांदी दो हजार रुपए और जेवराती सोना पांच रुपए सस्ता

करोड़ों की योजना का नहीं मिला लाभ
चंबल की दायीं और बायीं मुख्य नहरों की मरमत के लिए साल 2012-13 में 1274 करोड़ की परियोजना मंजूर की थी। इसमें नहरों के कच्चे धोरों को पक्का करने तथा नहरों का आधुनिकीकरण का कार्य पांच साल में पूरा करना था। यह काम आज तक पूरा नहीं हुआ। परियोजना सरकारी सुस्ती और लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। किसान संघों के प्रतिनिधियों ने निर्माण कार्याे में सरकार को घटिया निर्माण की शिकायत भी की थी, लेकिन जांच केवल कागजों में चल रही है। 

Read More गणेश जी को सोने का वर्क धारण करवाया, प्रथम पूज्य की सजी 56 भोग की झांकी 

दोनों नहरों में हो रहा जलप्रवाह
सीएडी विभाग के अधिकारियों के अनुसार धान की फसल के लिए वर्तमान में दायीं नहर में 10500 क्यूसेक और बायीं नहर में 500 क्यूसेक जलप्रवाह किया जा रहा है। नहरों में पानी छोड़ने के लिए जवाहर सागर पनबिजलीघर से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। वहां से बिजली उत्पादन कर 3200 क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है। जवाहर सागर से आने वाले पानी को दोनों नहरों में छोड़ा जा रहा है।

Read More युद्धाभ्यास तरंगशक्ति 2024 : सूर्यकिरण को देख शहरवासी अचंभित

नहरों की समय पर साफ सफाई नहीं होने से किसानों के खेतों तक पानी पहुंचने में परेशानी आती है। जर्जर नहरों की वजह से 25 प्रतिशत पानी व्यर्थ बह जाता है। अधिकारियों को समय पर नहरों में सफाई अभियान चलाना चाहिए ताकि पानी खेतों तक पहुंच सके।
-जगदीश कुमार, किसान नेता

 नहरों में जल प्रवाह शुरू करने को लेकर कोई व्यवधान नहीं है। किसानों को मांग के अनुरूप नहरी पानी मिलेगा। नहरों में चल रहे पक्के निर्माण कार्य जल प्रवाह शुरू होने के बाद बंद करवा दिए गए हैं। 
-लखनलाल गुप्ता, अधीक्षण अभियंता, सीएडी कोटा

Post Comment

Comment List

Latest News

राजस्थान में रिफाइनरी का काम तय समय-सीमा में पूरा किया जाना चाहिए: गहलोत राजस्थान में रिफाइनरी का काम तय समय-सीमा में पूरा किया जाना चाहिए: गहलोत
उन्होंने कहा कि अब राज्य और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है लेकिन गत मई तक रिफाइनरी का 79...
चांदी दो हजार रुपए और जेवराती सोना पांच रुपए सस्ता
युद्धाभ्यास तरंगशक्ति 2024 : सूर्यकिरण को देख शहरवासी अचंभित
आईएनए सोलर को राजस्थान बिजनेस समिट 2024 में सोलर पैनल मैन्युफैक्चरिंग में उत्कृष्टता का अवार्ड
जम्मू-कश्मीर में शांति के बिना पाकिस्तान से बातचीत का सवाल ही नहीं : अमित शाह
गणेश जी को सोने का वर्क धारण करवाया, प्रथम पूज्य की सजी 56 भोग की झांकी 
राजस्थान स्टेट गैस द्वारा गैल गैस को 32.50 लाख का लाभांश