भारी बारिश ने अन्नदाताओं के अरमानों पर फेरा पानी
किसानों ने बांसी-भण्डेड़ा मार्ग पर जताया आक्रोश
नालों में बनी पानी की आवक से खेतों में फसलें जलमग्न, फसले हो गई चौपट।
भण्डेड़ा। लगातार बारिश से बांसी क्षेत्र में खेत जलमग्न हो गए है। जिससे किसानों की फसल चौपट हो गई है। किसान अपनी फसलों पर अपना सारा पैसा खर्च चुके है। अब केवल फसल की पैदावार होनी बाकी थी। लेकिन लगातार बरसात से अन्नदाताओं के अरमानों पर पानी फेर दिया। बांसी तालाब से होकर नालो में पानी की निकासी एक तरफ अधिक हो रही है, जो इस समय अधिक निकासी वाले भण्डेड़ा मार्ग पर नाले में आए उफान से नाले के क्षेत्र के लगभग तीन-चार किमी के क्षेत्र नाले के दोनों तरफ खेत जलमग्न हो गई है। जिससे इस नाले के दोनो तरफ के क्षेत्र में अन्नदाताओ की फसलें दो फीट से चार फीट तक फसलों में बरसाती पानी भरा होने से चौपट होती नजर आ रही है। किसानों का कहना है कि तालाब के पानी निकासी इस तरफ से कम किया जाए व दूसरी तरफ की कम निकासी को अधिक किया जाए। इस समस्या को लेकर सोमवार को आक्रोशित किसानों ने बांसी-भण्डेड़ा मुख्य मार्ग पर एक घंटे तक आक्रोश जताया गया है। कुछ किसानों की पहले ही फसलें खराब हो चुकी थी। शेष बचे किसानों की अब इस दो दिन से चल रही बारिश के चलते पानी से गलकर नष्ट होने की कगार पर पहुंच रही है। क्षेत्रीय अन्नदाताओ का कहना है कि दो बांध की पानी निकासी बांसी के तालाब में है, जो एक तरफ कम मात्रा में हो रही है। दूसरी तरफ अधिक होने से इस क्षेत्र में किसानों की फसलें जलमग्न हो चूकी है। पानी की निकासी इस तरफ कम की जाए व दूसरी तरफ अधिक की जाएं। जिससे किसानों को हर वर्ष होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। इस समस्या को लेकर एक घंटे तक बांसी-भण्डेड़ा मुख्य मार्ग पर आक्रोश जताया गया है।
इस बार अच्छी ग्रोथ पर फसले चल रही थी। मक्का में पास माजरे आ रहे थे, वहीं उड़द की फसलों में फूल व फलियां बन रही है। इस बारिश से किसानों की फसलें चौपट होती जा रही है।
- हेमराज माली, किसान निवासी बांसी
किसान का कहना है कि गांव के किसानों की फसलों में बरसाती पानी लंबे समय से भरा होने से फसलें चौपट हो चूकी है। फसलों में पहले दो से तीन बार दवाओं का छिड़काव कर चूके है। अच्छी फसलें नजर आ रही थी, पर बारिश ने सब नष्ट कर दिया है।
- रामप्रकाश मीणा, किसान निवासी गुजरियाखेड़ा
नाले मे आए उफान से खेतो की फसलें जलमग्न हो गई है, जो कम पानी की फसलें अधिक बुवाई गई थी। उड़द की फसल गल चूकी है। तालाबों की चादर के पानी की निकासी से कुएं व खेत फूल भरे हुए है।
- अंबाशकर माली, किसान निवासी बांसी
दो बांधों की चादर का पानी नाले से होकर गुजर रहा है। एक तरफ कम मात्रा में पानी निकासी होने से दूसरी तरफ भण्डेड़ा रोड की तरफ के किसानों के खेतों की फसलें नष्ट होने जा रही है। वही मकानों में भी पानी पहुंच चूका है। यह समस्या सुनने वाले कोई नही है।
- राधेश्याम माली, किसान निवासी बांसी
मेरे खेत में चार बीघा उड़द की फसल है, अधिक बारिश के होने से नाले में आए पानी के उफान के चलते यह फसल गल चूकी है। फसल खराब होने से भरणपोषण के लिए भी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
- सुखपाल गुर्जर, किसान निवासी रामगंज
इस सप्ताह में चल रही हवा से उड़द की फसल खेतों में आडी पड गई है।ऊपर से बारिश चल रही है, जो फसल बरसाती पानी से गलने लग गई हैं।
- हेमराज माली, किसान निवासी बांसी
बारिश के साथ हवा के चलने से उड़द की अच्छी फसल थी, जो तेज हवा व बारिश से फसल आडी पड़ गई है। जो इस समय सड़ने लगी है। पैदावार मे भी बहुत कमी आएगी।
- भोजराज माली, किसान निवासी बांसी
कुएं के पास से गुजर रहे नाले मे आए तेज पानी के उफान से पुरे कुएं पर पानी भरा हुआ है। रहने की जगह के चौतरफा पानी ही पानी है। इससे जहरीले जीव-जन्तुओ की भी समस्या बनी हुई है। व पशुओं के भूसा भी पानी अधिक आने से भीग चूका है। सड़क से मकान तक आनेजाने के लिए खतरे भरी राह से तीन से चार फीट पानी से होकर आनाजाना पड रहा है। पशुओं को बांधने की जगह तक नही बची जो सड़क पर बांधने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
- हैमराज सैनी, किसान निवासी बांसी
दो रोज की क्षेत्र में हुई बारिश से तालाब के आए अधिक पानी व पानी की निकासी तालाब में दोनों तरफ बराबर नही होने से भण्डेड़ा मार्ग वाले नाले के पासवाले किसान की फसलें चौपट होती जा रही है। फसलों पर सब खर्चकर चूके। अब पैदावार आनी बाकी थी। पर सबकुछ खत्म होता नजर आ रहा है।
- लक्ष्मण माली, किसान निवासी बांसी
तीन बीघा उड़द व तीन बीघा मक्का की फसल थी। फसल के ऊपर दवा सहित खाद का खर्चा हो चुका है। पैदावार आनी बाकी थी, पर नाले में आए अधिक पानी से सबकुछ नष्ट होने जा रहा है।
- भोलाशंकर माली, किसान निवासी बांसी
मैंने पंद्रह बीघा जमीन आदोली ले रखी है। जिसमें उड़द, मक्का व दो बीघा शकरकंद की फसल थी। उड़द में तीन बाद दवाओं का छिड़काव कर दिया। मक्का में दवा लगा दी। दो बार मंहगें दामों में खाद खरीदकर छिड़काव कर दिया। लगभग दो महिने से अधिक समय की फसल हो चूकी पर नाले में अधिक पानी के आने से पूरी फसल नष्ट हो गई है।
- रामस्वरूप माली, किसान निवासी बांसी
तालाब की चादर का पानी निकासी हमारी तरफ के नाले में अधिक होने से पूरे कुएं की फसल में एक से दो फीट पानी भरा हुआ है। जो फसलें नष्ट हो चूकी है। कुएं पर पशुओं के लिए चारे के भी लाले पड़ चूके है।
- मनोज कुमार पालीवाल, किसान निवासी बांसी
शकरकंद की चार बीघा, मक्का चार बीघा है। नाले में आए अधिक पानी से बहुत दूरी पर यह फसल थी, जो जलमग्न हो गई। फसल नष्ट होने की कगार पर हो चूकी है। भण्डेड़ा रोड में अम्बिका माता से होता हुआ पानी पेट्रोलपंप की तरफ तक फैला हुआ है। पंद्रह हजार का खर्चा शकरकंद में, बीस हजार रुपये का खर्चा मक्का फसल में हो चूका है। मगर पानी की ऐसी आफत आई, जो नष्ट हो गई है
- हैमराज माली, किसान निवासी बांसी
किसानों की मांग तालाब के दोनों तरफ पानी निकासी बराबर करने की तो मौके पर पहुंचकर देखा जाएगा। मैं बीडीओ साहब से बात करता हूँ, मौका स्थिति दिखवाएंगे।
- रामराय मीणा, तहसीलदार राजस्व विभाग नैनवां
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