नेपाल व भूटान के रास्ते घुसपैठ कर रहा चाइनीज लहसुन
कृषि मंडियों में आवक बढ़ने से किसानों को होने लगा नुकसान
हाड़ौती के लहसुन के दाम 10 हजार रुपए प्रति क्विं. तक टूटे
कोटा। कृषि मंडियों में चाइनीज लहसुन की घुसपैठ ने हाड़ौती के लहसुन उत्पादक किसानों की परेशानी को बढ़ा दिया है। प्रतिबंधित होने के बावजूद चाइनीज लहसुन तस्करी के जरिए यहां पहुंच रहा है। हाड़ौती में लहसुन का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। वर्तमान में लहसुन उत्पादक किसानों को दाम भी अच्छे मिल रहे हैं। इसी बीच प्रदेश की कृषि मंडियों में चाइनीज लहसुन की बिक्री होने लगी है। जिससे हाड़ौती में उत्पादित लहसुन के दामों में गिरावट आ रही है। अभी हाड़ौती की मंडियों में चाइनीज लहसुन नहीं आया है, लेकिन राजस्थान की अन्य मंडियों में यह पहुंच रहा है। इसका असर यहां भी देखने को मिल रहा है। पिछले एक पखवाड़े में ही लहसुन के भाव 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक कम हो गए हैं। यानी किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
तस्करी के जरिए आ रहा चाइनीज लहसुन : भामाशाहमंडी के व्यापारियों के अनुसार केन्द्र सरकार ने चाइनीज लहसुन पर बैन लगा रखा है। इसके बावजूद नेपाल, भूटान और बर्मा के म्यांमार से तस्करी के जरिए भारतीय बाजारों में यह लहसुन पहुंच रहा है। यह माल राजस्थान के हाड़ौती सहित मध्य प्रदेश और गुजरात के किसानों को भी नुकसान पहुंचा रहा है। अच्छे दाम मिलने की उम्मीद में किसानों ने बड़ी मात्रा में अपना माल रोक रखा है। वर्तमान में भामाशाहमंडी और थोक फलसब्जी मंडी में स्थानीय किसान लहसुन बेचने आ रहे हैं। भामाशामंडी में करीब 2 हजार क्विंटल और थोक मंडी में एक हजार क्विंटल माल रोजाना आ रहा है। एक सप्ताह में ही भाव में 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल की कमी होने से किसानों को नुकसान होने लगा है।
रामगंजमंडी में आया चाइनीज लहसुन तो मचा हड़कंप
अभी तक हाड़ौती की कृषि उपज मंडियों में चाइनीज लहसुन की आवक नहीं हुई है। जबकि राजस्थान की अन्य मंडियों में यह धड़ल्ले से बिक रहा है। गत दिनों रामगंजमंडी की थोक सब्जीमंडी में करीब दस कट्टे चाइनीज लहसुन के बिक्री के लिए आए तो हड़कंप मच गया। कोई अज्ञात व्यक्ति इस लहसुन को नीलामी करने के लिए सब्जीमंडी में लाया था। जांच करने पर वह लहसुन चाइनीज निकला। ऐसे में वहां मौजूद किसानों ने हंगामा करते हुए चाइनीज लहसुन की नीलामी की विरोध किया। इस पर मंडी के व्यापारियों ने इस लहसुन को नीलामी में शामिल नहीं किया। व्यापारियों का कहना है कि चाइनीज लहसुन की बिक्री से हाड़ौती के किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
बड़े शहरों में अधिक हो रही खपत
भामाशाह कृषि उपज मंडी में लहसुन के प्रमुख व्यापारी भूपेन्द्र सोनी का कहना है कि देश की बड़ी मंडियां कोलकाता, बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली और नेपाल बॉर्डर के नजदीक स्थित गोरखपुर, भुवनेश्वर सहित अन्य जगहों पर बड़ी मात्रा में चाइनीज लहसुन की खपत हो रही है। इसके चलते हाड़ौती की कृषि मंडियों में दाम टूट रहे हैं। भारत में 1.5 लाख कट्टे लहसुन की रोज मांग रहती है। कोटा संभाग में कोटा भामाशाह कृषि उपज मंडी, थोक सब्जी मंडी, बारां कृषि उपज मंडी और छीपाबड़ौद की लहसुन की विशिष्ट मंडी में बड़ी संख्या में लहसुन आता है। व्यापारी यहां से लहसुन की ट्रेडिंग करते हैं और उसके बाद बड़ी प्रोसेसिंग यूनिट्स को भी यहां से माल भेजा जाता है।
चाइनीज लहसुन की ऐसे करें पहचान
उद्यान विभाग के उपनिदेशक नंदबिहारी के अनुसार भारत और चीन में पैदा होने वाले लहसुन को पहचानना काफी आसान है। चाइनीज लहसुन दिखने में शुद्ध सफेद होता है। उसकी तुलना में भारतीय लहसुन पीले सफेद रंग का होता है। चाइनीज लहसुन में बहुत कम लहसुन की कलियां होती हैं, लेकिन इसका आकार बहुत बड़ा है, दूसरी ओर भारतीय स्थानीय लहसुन में कई कलियां होती हैं, जिसका आकार चाइनीज लहसुन से कई गुना छोटा होता है। भारतीय लहसुन की जड़ वाला भाग काला पड़ता हुआ देखा जा सकता है, जबकि चीन से निर्मित लहसुन पूरी तरह से सफेद पाया जाता है। चाइनीज लहसुन की कली छीलने के बाद एकदम सफेद रंग की निकलती है, लेकिन भारतीय लहसुन में अंकुर निकलने के बाद इसका रंग पीला दिखाई देता है।
दिसंबर माह में ऐसे टूटे दाम
1 दिसंबर-7000 से 34000
2 दिसंबर-7000 से 32000
3 दिसंबर-7000 से 30000
5 दिसंबर-7000 से 29000
6 दिसंबर-7000 से 28000
7 दिसंबर-7000 से 28500
8 दिसंबर-7000 से 25400
9 दिसंबर-5000 से 24000
-भाव रुपए प्रति क्विंटल में
पिछले दो सालों से लहसुन की कीमत अच्छी मिल रही थी। पूरी फसल की लागत निकलने के बाद भी बढ़िया मुनाफा हो रहा था। अच्छे दाम की आस में पांच बीघा का माल रोक रखा था। जिसे अब मंडी में बेचा तो कम दाम मिला। सरकार को चाइनीज लहसुन की बिक्री पर रोक लगाना चाहिए।
-बिरधीचंद नागर, किसान
प्रदेश की कृषि मंडियों में चाइनीज लहसुन की बिक्री होने लगी है। इसका असर हाड़ौती की मंडियों में भी देखने को मिल रहा है। पिछले एक पखवाड़े में ही लहसुन के भाव 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक कम हो गए हैं। इससे कई किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
-भूपेन्द्र सोनी, प्रमुख लहसुन व्यापारी
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