डीएपी के बाद यूरिया की भी चल रही मारामारी

दो गाडी यूरिया एक घंटे में ही हुआ खत्म धक्का-मुक्की चलती रही, कतार में लगे धरतीपुत्र निराश लौटे

डीएपी के बाद यूरिया की भी चल रही मारामारी

क्षेत्र में यूरिया की किल्लत दूर नहीं होने से क्षेत्रीय धरतीपुत्र चिंतित नजर आए है।

भण्डेड़ा। पहले डीएपी की कमी से काश्तकारों को परेशानी झेलनी पड़ी अब यूरिया की भी मारामारी चल रही है। क्षेत्र में लंबे समय बाद रविवार को सुबह यूरिया खाद आने की सूचना पाकर हजारों धरतीपुत्र बांसी कस्बे में खाद की दुकानों के सामने एकत्रित हो गए। खाद आते ही धरतीपुत्र दुकानों के सामने कतारबद्ध नजर आए है। टोकन लेने के बाद खाद मिल सका है। कतार में लगे धरतीपुत्रों को ही खाद उपलब्ध नहीं हो सका है। एक घंटे में ही खाद के बैग खत्म हो गए है। कतारबद्ध पीछे लगे धरतीपुत्रों को मजबूरन निराश घर लौटना पड़ा है। बांसी में यूरिया लेने वालों के वाहनों से सड़क जाम की स्थिति बनी रही है। तत्कालीन राहगीरों को परेशानी हुई हैं। क्षेत्र में यूरिया की किल्लत दूर नहीं होने से क्षेत्रीय धरतीपुत्र चिंतित नजर आए है। जानकारी के अनुसार भण्डेड़ा क्षेत्र में यूरिया खाद को लेकर मारामारी चल रही है। क्षेत्र के धरतीपुत्र खाद के लिए इधर-उधर भागादौड़ी कर रहे है, फिर भी यूरिया हाथ नहीं आ रहा है। वर्तमान सीजन की रबी फसल गेहूं, जौ, सरसों आदि फसलों को पानी देने का समय चल रहा है। पानी से पहले यूरिया खाद देने की आवश्यकता होती है। बांसी में तीन प्राइवेट दुकानों पर रविवार को सुबह जब क्षेत्र में खाद आने की जानकारी मिली तो क्षेत्र के कस्बों, गांव सहित ढाणियों से सभी कामकाज को छोड़कर धरतीपुत्र खाद लेने के लिए पहुंच गए थे। दुकानदार दुकान पर नही आया उससे पहले ही दुकानों के सामने धरतीपुत्र काफी संख्या में एकत्रित हो गए। खाद आते ही दुकानदार ने टोकन  प्रक्रिया शुरू कर दी। जो टोकन को लेकर धरतीपुत्र खाद मिलने की जगह पर पहुंचे। मौके पर भीड़ में धरतीपुत्र आपस में धक्का-मुक्की खाते रहे। कुछ समय बाद आए धरतीपुत्रों को अंतिम छोर पर कतार में लगना पडा। जितना-सा खाद आया था उससे तीन गुना अधिक धरतीपुत्र  उमड़ गए। जो बाद में आए धरतीपुत्रों को कतारबद्ध होने के बावजूद भी यूरिया प्राप्ति नही हुई है। मौके पर निराश हुए धरतीपुत्रों का कहना था कि यूरिया के लिए भागादौड़ी करने पर भी हाथ नहीं आ रहा है। हमारे दैनिक कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। यूरिया के बैग के साथ संपूर्ण नामक माइक्रो न्यूट्रेंट मिक्सचर फर्टिलाइजर 5 किलो का बैग या नैनो यूरिया प्लस 500 एमएल देने से अधिक पैसो का इंतजाम करने की मजबूरी बनी है। हर वर्ष इस सीजन में यूरिया के लिए मशक्कत व भागादौड़ी करनी पड़ती है। पर जिम्मेदार समय पर ध्यान नहीं देते है। जो जिलेभर के किसानों को परेशानी भुगतनी पड़ती है। 

ग्रामीण अंचलों से उमड़े किसान
बांसी में खाद मिलने की सूचना पाकर कुछ किसान तो मौके पर पहले ही पहुंच गए। बांसी, दुगारी, भण्डेड़ा, सादेड़ा, गुजरियाखेड़ा, मरां, भामर, माधोराजपुरा, कल्याणपुरा, मूण्डली, डोड़ी, उरांसी, रामगंज, मानपुरा, भजनेरी, पाण्डूला, बीजन्ता, फतेहपुरा, कालानला, फलास्थूनी, गुढ़ासदावर्तियां सहित अन्य ग्रामीण अंचलों से किसानों की भीड़ यूरिया के लिए उमड़ी है। पर संबंधित विभाग के जिम्मेदारों से क्षेत्र में खाद की किल्लत दूर नहीं हो रही है।  

बांसी में लंबे समय बाद तो दुकानों पर खाद पहुंचा है। जैसे-तैसे कर मौके पर पहुंचे है। मगर कुछ देरी होने से यूरिया खाद नही मिल सका है। संबंधित विभाग क्षेत्र में एक साथ दस गाडी यूरिया भेज देवें, तो इस समस्या से निजात मिलेगी। 
-कालूलाल भील, धरतीपुत्र निवासी कल्याणपुरा

पहले डीएपी खाद के लिए मारामारी चली तब भी बड़ी मुश्किल से धक्का-मुक्की का सामना कर डीएपी मिलने पर रबी फसल की बुवाई की थी। अब सिंचाई का पहला पानी देना है मगर क्षेत्र में यूरिया की किल्लत के कारण फसलों की सिंचाई करने मे भी देरी होगी खाद मिले तो फसलों को खाद देकर सिंचाई कर सके।  
-सुवालाल गुर्जर, धरतीपुत्र निवासी भामर

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बांसी की दुकानों पर यूरिया आने की जानकारी मिलते ही यहां पर आए है। मगर तीन कट्टे यूरिया भी बड़ी मुश्किल का सामना करने पर मिल सका है। मगर खाद के साथ संपूर्ण की थैली लेनी पडी है, तब खाद मिल सका है। 
-फूंदीलाल सैनी, धरतीपुत्र निवासी सादेड़ा

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पहले तो फसलें बारिश से गल गई, जो हाथ खाली है। फिर डीएपी की बारी आई तो जैसे-तैसे हाथ उधार पैसे लेने पडेÞ है। जब भी परेशानियों का सामना करने पर खाद मिल पाया था। अब इस समय पहला पानी फसलों को देना है, मगर यूरिया के लिए मारामारी चल रही है। इस समस्या से क्षेत्रीय किसान परेशान है।  
-गणेश गौड़, धरतीपुत्र निवासी भण्डेड़ा 

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खाद की जानकारी मिलने पर दुकान पर पहुंचे है। मगर हमारी बारी नही आई उससे पहले ही यूरिया के बैग खत्म हो गए है। अब अन्य जगह पर पहुंचकर जब खाद आएगा, तब लेना पडेÞगा। इस समय धरतीपुत्रों को यूरिया खाद की जरूरत है। पर आवश्यकतानुसार से आधी मात्रा में भी खाद नही आ रहा है। जो डीएपी के बाद यूरिया की किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है। संबंधित विभाग के जिम्मेदार समय पर चेत जाते तो इन दिनों परेशानी नहीं होती। 
 -सत्यनारायण साहू, धरतीपुत्र निवासी भण्डेड़ा

इनका कहना है 
 बांसी कस्बे में तीन प्राइवेट दुकानों पर 1350 बैग यूरिया पहुंचा था। फसलों की सिंचाई का समय होने से धरतीपुत्रों को खाद की आवश्यकता है, जो दुकानदारों ने आधारकार्ड से खाद का वितरण किया है।
  -प्रेमराज गोचर, सहायक कृषि अधिकारी, कृषि विभाग बांसी

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