बांग्लादेश में हिंसा की आंच में झुलसा हाड़ौती का लहसुन
बार्डर सील होने से लहसुन का निर्यात ठप, भाव होने लगे प्रभावित
विश्व के अन्य देशों की तुलना में बांग्लादेश में लहसुन का काफी मात्रा में निर्यात किया जाता है।
कोटा। हाड़ौती में लहसुन का बम्पर उत्पादन होता है। अपने बेहतरीन स्वाद के चलते यहां का लहसुन काफी मात्रा में बांग्लादेश निर्यात किया जाता है। इससे स्थानीय किसानों को भाव भी अच्छा मिलता है। अब वहां की राजनीतिक अस्थिरता के कारण लहसुन उत्पादक किसानों को नुकसान झेलना पड़ सकता है। बांग्लादेश में हिंसा होने के कारण लहसुन का निर्यात बंद हो गया है। भारत-बांग्लादेश का घोजाबाड़ा बार्डर बंद हो गया है। इस कारण लहसुन सहित अन्य भारतीय उत्पादों का निर्यात नहीं हो पा रहा है। यह स्थिति अगर लंबे समय तक कायम रही तो किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा। निर्यात बंद होने से हाड़ौती की मंडियों में लहसुन के भाव प्रभावित होने लगे हैं।
ऐसे पड़ेगा किसानों की कमाई पर असर
लहसुन के थोक व्यापारियों के अनुसार बांग्लादेश में हिंसा का दौर जारी रहने और सरकार के तख्तापलट से भारत के लहसुन उत्पादक किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि बांग्लादेश भारतीय लहसुन सबसे बड़ा आयातक देश है। विश्व के अन्य देशों की तुलना में बांग्लादेश में लहसुन का काफी मात्रा में निर्यात किया जाता है। व्यापारियों के अनुसार हाड़ौती क्षेत्र से करीब 15 से 20 टन लहसुन बांग्लादेश में भेजा जाता है। ऐसे में यदि लम्बे समय तक निर्यात बंद रहा तो स्थानीय स्तर पर लहसुन के भाव कम हो जाएंगे। इससे किसानों की कमाई पर असर पड़ेगा। मांग नहीं होने से भावों में कमी होती चली जाएगी।
हिंसा से निर्यात को लगा झटका
थोक फलसब्जी मंडी के प्रमुख व्यापारी भूपेन्द्र सोनी ने बताया कि बांग्लादेश में लहसुन के मीडियम क्वालिटी के माल की काफी डिमांड है। पूर्व में लहसुन के छोटे माल की डिमांड देश के कुछ राज्यों में ही बनी हुई थी। कुछ सालों से बांग्लादेश में भी इसकी मांग होने से निर्यात की मात्रा बढ़ा दी गई थी। अन्य देशों की तुलना में बांग्लादेश में सबसे ज्यादा लहसुन जा रहा था। अब बांग्लादेश में हिंसा के कारण सभी बार्डर सील कर दिए गए हैं। बांग्लादेश के कस्टम विभाग का सिस्टम काम नहीं कर पा रहा है। ऐसे में लहसुन और अन्य भारतीय उत्पादों का एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में सभी निर्यातक बांग्लादेश के हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
मंडियों में भाव होने लगे प्रभावित
थोक व्यापारियों के अनुसार वर्तमान में भामाशाहमंडी में लहसुन की 3500 से 4500 कट्टे और थोक फल सब्जी मंडी में 1500 से 2000 कट्टों की आवक हो रही है। पूर्व में लहसुन के भाव 12 हजार से 22 हजार के बीच चल रहे थे। कुछ दिनों से बांग्लादेश में निर्यात बंद होने के कारण भावों में कमी आई है। अभी मंडी में लहसुन के भाव 11 हजार से 20 हजार के बीच बोले जा रहे हैं। वहीं किलो के हिसाब से बात की जाए तो भाव 110 से 200 रुपए किलो के बीच हैं। कुछ माह पहले लहसुन के भाव तीन सौ से चार सौ रुपए किलो तक पहुंच गए थे। उस समय बांग्लादेश में काफी मात्रा में लहसुन का निर्यात हो रहा था।
पिछले साल की तुलना में इस साल किसानों को लहसुन के भाव अच्छे मिल रहे हैं। कई किसानों ने भावों में और बढ़ोतरी को लेकर माल का स्टोरेज कर रखा है। विदेश में निर्यात बंद होने से यहां पर भाव कम होने लगे हैं। आगामी दिनों में किसानों को नुकसान हो सकता है।
- जगदीश कुमार, किसान नेता
हाड़ौती क्षेत्र से करीब 15 से 20 टन लहसुन बांग्लादेश में भेजा जाता है। ऐसे में यदि लम्बे समय तक निर्यात बंद रहा तो स्थानीय स्तर पर लहसुन के भाव कम हो जाएंगे। इससे किसानों को नुकसान होगा। बांग्लादेश में पूरी तरह से निर्यात बंद हो चुका है।
- शब्बीर वारसी, प्रमुख व्यापारी, थोक फलसब्जी मंडी
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