कोटा में जंगल सफारी शुरू करने की तैयारी!

कोटा वनमंडल के अधीन सकतपुरा वनखंड का मामला : वन्यजीव विभाग ने सीसीएफ को लिखा पत्र

कोटा में जंगल सफारी शुरू करने की तैयारी!

अभेड़ा स्थित 1100 हैक्टेयर वनभूमि को कोटा वन्यजीव में शामिल करने की योजना।

कोटा । शहरवासियों के लिए खुशखबरी है, उन्हें कोटा में वाइल्ड लाइफ सफारी की सुविधा मिल सकती है। वन्यजीव विभाग की ओर से इसकी तैयारी की जा रही है। इस संबंध में संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक को पत्र भी लिखा जा चुका है। दरअसल, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से सटे सकतपुरा वनखंड की 1100 हैक्टेयर वनभूमि को वन्यजीव विभाग में शामिल करने की कार्य योजना है। वर्तमान में यह क्षेत्र कोटा वन मंडल के अधीन है। जिसे कन्जरर्वेशन रिजर्व में तब्दील किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वन्यजीव विभाग ने गत 20 जुलाई को विधानसभा सत्र-2 में विधायक संदीप शर्मा द्वारा लगाए सवालों के जवाब से इसकी जानकारी दी।

इंडियन वुल्फ से पैंथर तक का बसेरा
वन्यजीव विभाग के डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि सकतपुरा वनक्षेत्र में बड़ी तादात में वन्यजीवों का बसेरा है। यहां इंडियन वुल्फ से लेकर पैंथर का मूवमेंट रहता है। इस क्षेत्र में चिंकारा की संख्या बहुत अच्छी है। साथ ही इंडियन वुल्फ, जैकाल, फॉक्स, नीलगाय, जंगली खरगोश, जंगली बिल्ली, जंगली सूअर, सिवेट, भालू, पैंथर, मोनिटर लिजार्ड सहित कई वन्यजीव शामिल हैं।

अवैध गतिविधियों पर लगेगी लगाम
मुकुंदरा समिति के अध्यक्ष तपेश्वर सिंह भाटी ने बताया कि वर्तमान में सकतपुरा वनक्षेत्र में अवैध गतिविधियां हो रही है। जिससे वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है। संदिग्ध घुसपैठ होने से जंगली जानवरों का पलायन बढ़ रहा है। अभी तक यह एरिया साधारण वनक्षेत्र है। ऐसे में इसे सेंचुरी एरिया घोषित किया जाना अति आवश्यक है। वनक्षेत्र का स्टेटस चेंज होते ही यहां वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 लागू हो जाएगा। साथ ही विभिन्न मदों में विभाग को बजट प्राप्त होगा। जिससे सुरक्षा दीवार का निर्माण, वाटर कनजरर्वेशन स्ट्रेक्चर, ट्रैकिंग ट्रेक, ग्रासलैंड विकसित करने सहित अन्य डवलपमेंट कार्य हो सकेंगे।

अभेड़ा से ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट तक सफारी की तैयारी
सकतपुरा वनखंड, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से सटा वनक्षेत्र है, जो प्रस्तावित कोटा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट शंभुपुरा तक 1100 हैक्टेयर में फैला हुआ है। इसमें बड़ी संख्या में शाकाहारी व मांसाहारी वन्यजीवों की मौजूदगी है। कंजरर्वेशन रिजर्व घोषित किए जाने से यह वनक्षेत्र संरक्षित हो जाएगा और वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 लागू होने जंगली-जानवरों व जंगल का प्रोटेक्शन बढ़ जाएगा। ऐसे में अभेड़ा से ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट शंभुपुरा तक वाइल्ड लाइफ सफारी शुरू किए जाने से टयूरिज्म बढ़ेगा। ह्य

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अभेड़ा तालाब में 200 प्रजातियों के पक्षियों का बसेरा
नेचर प्रमोटर एएच जैदी ने बताया कि अभेड़ा तालाब में 200 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षियों का निवास है। जिनमें मुख्य रूप से सारस क्रेन, पेन्टेड स्टार्क, बार हैडेगूज, स्टेपी ईगल, हैरीयर सहित कई तरह के पक्षियों का बसेरा है। उपयुक्त वैटलैंड होने से यहां सर्दी-गर्मी में बड़ी संख्या में देसी-विदेशी पक्षियों का कलरव गूंजता है। इधर, वन्यजीव प्रेमियों ने इस क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए कन्जरर्वेशन रिजर्व घोषित किए जाने के वन्यजीव विभाग के प्रयास को सराहा है। 

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वन्यजीवों का बढ़ेगा जनसंख्या घनत्व
पगमार्क फाउंडेशन के अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाड़ा का कहना है कि वनमंडल का सकतपुरा वनक्षेत्र को सेंचुरी का दर्जा मिलता है तो यह संरक्षित हो जाएगा। चारों ओर सुरक्षा दीवार का निर्माण होने से अवैध खनन, संदिग्ध घुसपैठ व अवैध चराई जैसी गतिविधियों पर लगाम लगेगी। जिससे वहां ग्रासलैंड विकसित होगा। जिसका असर वन्यप्राणियों का प्राकृतिक आवास सुरक्षित होगा और शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। जिससे फू्रड चैन व पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होगा। 

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अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क स्थित कोटा वनमंडल के सकतपुरा वनखंड के 1100 हैक्टेयर वनक्षेत्र को वन्यजीव विभाग में शामिल किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस क्षेत्र में चिंकारा,इंडियन वुल्फ सहित अन्य शाकाहारी व मांसाहारी वन्यजीवों का मूवमेंट है। यहां वाइल्ड लाइफ सफारी शुरू किए जाने ट्यूरिज्म के साथ रोजगार भी बढ़ेगा। संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक को इस संबंध में पत्र भेजा है। हालांकि, प्रस्ताव पूरी तरह से नहीं बना है। कन्जरर्वेशन रिजर्व घोषित होने से यह क्षेत्र संरक्षित होगा और वन्यजीवों की संख्या में इजाफा होगा। 
- अनुराग भटनागर, उप वन संरक्षक, वन्यजीव विभाग 

वनमंडल का जो वनक्षेत्र है, उसे वन्यजीव विभाग में शामिल करने से वह एरिया संरक्षित होगा। इस क्षेत्र में वन्यजीवों की संख्या अधिक है। ऐसे में यहां वाइल्ड लाइफ सफारी शुरू किए जाने से पर्यटन बढ़ेगा। इसके प्रस्ताव तैयार करवाकर उच्चाधिकारियों को भेजे जाएंगे।
- रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक

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