सरकार से मदद की गुहार लगा रहा पैरा ओलंपिक खिलाड़ी दया सिंह
दिव्यांगता को अपनी कमजोरी मानते है
दया सिंह उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है, जो दिव्यांगता को अपनी कमजोरी मानते है। दया ने दिव्यांगता को कमजोरी नहीं, बल्कि चुनौती के रूप में लिया और कठिन परिश्रम एवं साहस से दयासिंह ने स्वयं के जीवन की कहानी को ही बदल दिया।
चिड़ावा। दया सिंह उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है, जो दिव्यांगता को अपनी कमजोरी मानते है। दया ने दिव्यांगता को कमजोरी नहीं, बल्कि चुनौती के रूप में लिया और कठिन परिश्रम एवं साहस से दयासिंह ने स्वयं के जीवन की कहानी को ही बदल दिया। हाल ही में दया सिंह ने वेट लिफ्टिंग में प्रदेश स्तर पर रजत पदक जीता है। जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान एक बिजली का पोल नीचे गिरने वाला था। इसी दौरान दया सिंह की नजर पड़ी, तो वह बच्ची को बचाने के लिए दौड़ पड़ा। बच्ची तो बच गई, लेकिन पोल दया सिंह की पीठ पर आ गिरा। दया सिंह की रीढ़ की हड्डी में गम्भीर चोट आई। परिजनों ने दया सिंह अस्पताल में दिखाया, लेकिन सभी जगह से निराशा ही हाथ लगी और डॉक्टरों ने कहा कि अब दयासिंह कभी बैठ नहीं पाएगा। तभी दयासिंह ने एक वीडियो देखा, जिसमें पैरा ओलंपिक के बारे में बताया गया। इसके बाद दया सिंह ने डालमिया स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में हुई प्रतियोगिता में ट्राई साइकिल और पॉवर लिफ्टिंग में मेडल हासिल किए। इसके बाद जयपुर में आयोजित हुई स्टेट प्रतियोगिता में मेडल हासिल कर जिले एवं कस्बे का नाम रोशन किया।
दया सिंह का एयफोर्स में हुआ था चयन
दयासिंह का हादसे से पहले एयरफोर्स में चयन हो चुका था, लेकिन हादसे ने दयासिंह के जीवन को बदल दिया। दया सिंह ने अपनी हिम्मत और हौसलों के बल पर वेट लिफ्टिंग को अपना नया मुकाम बनाया और वे अब इसी में आगे कदम बढ़ा रहे है। दयासिंह का जन सहयोग से इलाज करवाया गया। इस सफलता में मदर फाउंडेशन, कीवी स्पोर्ट्स और गौरक्षा दल के अभिषेक पारीक व भवानी सिंह राजपुरोहित ने मदद की। फिलहाल सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है।
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