अपराजिता विधेयक राज्य की विफलता पर पर्दा डालने का प्रयास : मेघवाल
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार द्वारा पारित कराये गये अपराजिता विधेयक को राज्य सरकार की कमियों और कमजोरियों पर पर्दा डालने की कार्रवाई करार दिया है।
नई दिल्ली। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार द्वारा पारित कराये गये अपराजिता विधेयक को राज्य सरकार की कमियों और कमजोरियों पर पर्दा डालने की कार्रवाई करार दिया है।
मेघवाल ने महिला पत्रकारों के एक फोरम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। उन्होंने श्रोताओं के सवालों का जवाब देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा पारित कराये गये संशोधन विधेयक के औचित्य और उसके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाये। उन्होंने इस विषेयक पर केंद्र सरकार के कानूनी रुख के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह विधेयक राज्यपाल के माध्य से केंद्र सरकार के पास जब आयेगा तब उसे देखा जायेगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था : तीन नये आपराधिक कानूनों से महिलाओं की सुरक्षा कैसे होगी? विषय पर इस कार्यक्रम का आयोजन वीमेन जर्नलिस्ट्स वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा किया गया था। कानून मंत्री ने कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया और नए कानूनों को प्रगतिशील बताया।
पश्चिम बंगाल के अपराजिता विधेयक पर श्रोताओं के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि संविधान में केंद्र और राज्य सकारों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विषयों का बंटवारा है। कुछ विषय समवर्ती सूची के होते हैं, जिनके बारे में भी व्यवस्था है। साथ ही उन्होंने इस विधेयक की तुलना केरल सरकार द्वारा विदेश सचिव नियुक्त किये जाने से की।
मेघवाल ने कहा कि अपराधों से निपटने के लिये तीनों नई संहितायें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने की ठोस कार्रवाई और कड़ी सजा के प्रावधान हैं।
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