ज्येष्ठा नक्षत्र, रवि योग में मना राधारानी का प्राकट्य उत्सव
गोविंद देवजी मंदिर में अभिषेक पूजन के बाद उछाल
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी बुधवार को राधा अष्टमी का पर्व भक्तिभाव से मनाया गया। छोटीकाशी के देवालयों में राधाजी का पंचामृत अभिषेक कर नवीन पोशाक धारणा कराई गई।
जयपुर। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी बुधवार को राधा अष्टमी का पर्व भक्तिभाव से मनाया गया। छोटीकाशी के देवालयों में राधाजी का पंचामृत अभिषेक कर नवीन पोशाक धारणा कराई गई। फूलों से आकर्षक श्रृंगार किया गया। राधा अष्टमी के दिन रवि योग बनने से इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने का विशेष फल रहेगी।
ज्योतिषाचार्य डॉ महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि राधा अष्टमी पर ज्येष्ठा नक्षत्र सुबह से रात तक इसके बाद से मूल नक्षत्र प्रारंभ है। राधा अष्टमी का मुख्य उत्सव गोविंद देवजी मंदिर में हुआ। रामगंज बाजार लाड़ली जी मंदिर में सुबह 5.30 बजे राधारानी का जन्माभिषेक कर पंचामृत प्रसाद वितरण किया गया। राधारानी को झगुली टोपी व पायजामा धारण कराकर 8.30 बजे धूप आरती चरण दर्शन और 9.30 बजे श्रृंगार आरती पालना दर्शन हुए। 3 बजे झांकी दर्शन तथा 3 से शाम 6 बजे तक पालना दर्शन के अभिषेक दर्शन खोले जाएंगे। खास बात यह है कि राधाजी के अभिषेक के समय ठाकुरजी की प्रतिमा पर पर्दा किया जाएगा। राधाजी के अभिषेक के समय ठाकुरजी के दर्शन नहीं होंगे। इसके बाद लाड़ली जी धारण करेंगी झगुली टोपी व पायजामा हेरी समाज, ग्वारिया समाज, दधिकांदो बधाइयां में उछाल, फल वस्त्र खिलौने टॉफी आदि सामान की उछाल की जाएगी। शाम को 7 बजे से रात्रि 11 बजे तक दर्शन पालना झांकी बधाइयां भक्ति संगीत होगा। किशोरी जी को हल्का गर्म दूध केसर पिस्ता बादाम युक्त मक्खन रबड़ी खीरसा का भोग लगाया गया। पंचामृत वितरित किया गया। श्रृंगार झांकी में बधाई-उछाल के साथ राधारानी के उत्सव की खुशियां मनाई गई।
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