असर खबर का - ड्रिप से होगी सिंचाई, एनएचएआई ने बदली राष्ट्रीय राजमार्गों पर पौधारोपण की पॉलिसी

नवज्योति के सुझाव पर एनएचएआई ने लगाई मोहर

असर खबर का - ड्रिप से होगी सिंचाई, एनएचएआई ने बदली राष्ट्रीय राजमार्गों पर पौधारोपण की पॉलिसी

अब डीपीआर में ही देनी होगी लगने वाले पौधों की संख्या, उनके स्थान और सिंचाई की जानकारी।

कोटा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा अब हाई वे पर सड़क बनाने के दौरान पौधारोपण की पॉलिसी में परिवर्तन किया है। नई पॉलिसी के तहत अब पौधारोपण की व्यवस्था को डीपीआर के तहत शामिल करना होगा। साथ ही सड़क बनाने के दौरान कटने वाले पेड़ों की संख्या के अनुसार पहले पौधारोपण करना होगा। जिससे पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान ना हो। इसके अलावा सड़कों पर पेड़ पौधों को पानी देने के लिए एक ड्रिप पद्द्ति से मजबूत सिंचाई व्यवस्था को सड़क के साथ विकसित करना होगा। उल्लेखनीय है कि नवज्योति ने इस संबंध में जून माह में ही समाचार प्रकाशित कर सरकार को सुझाव दिया था कि डिवाइडर और रोड साइड पर लगने वाले पौधों की सिंचाई ड्पि सिस्टम से की जाए। डिवाइडरों पर पौधे लगा तो दिए जाते हैं लेकिन सार संभाल नहीं होने तथा उचित सिंचाई व्यवस्था नहीं होने से यह पनप नहीं पाते हैं। ऐसे में यदि ड्पि सिस्टम से सींचे जाएं तो इनकी उम्र लम्बी हो सकती है। 

डीपीआर में शामिल हों पौधारोपण की लागत
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से जारी की गई नई पॉलिसी के तहत अब इंजीनियरों और संवोदक फर्म को हाईवे निर्माण की डीपीआर तैयार करते समय ही पौधारोपण की लागत भी दर्शानी होगी। जिससे सड़क की कुल लागत को अनुमानित किया जा सके। इसके अलावा डीपीआर में सड़क पर लगने वाले पौधों की संख्या और स्थान के बारे में भी जानकारी अपडेट करनी होगी। जिससे हाई वे की सड़क पर पौधारोपण को ट्रैक किया जा सके। वहीं डीपीआर में भूमि की उपलब्धता, पंक्तियों और पेड़ों की संख्या को दर्शाते हुए एक किलोमीटर-वार मानचित्र भी तैयार करना होगा।

निर्माता को कम से कम पांच साल देखरेख की जिम्मेदारी
नई पॉलिसी के तहत सड़क निर्माता को पौधारोपण के बाद उनकी देख रेख कम से कम पांच साल या उनके पूरी तरह से विकसित हो जाने तक करनी होगी। इसका मुख्य उद्देश्य सड़कों पर हरियाली को बढ़ाना है, क्योंकि कई बार सड़क का निर्माण पूरा हो जाने के बाद पौधारोपण तो हो जाता है लेकिन उनकी देखरेख में कमी के चलते सूखने लग जाते हैं। ऐसे में एनएचआई को दोबारा पौधारोपण करना पड़ता है जिसमें खर्चा भी आता है।

सिंचाई के लिए ड्रिपिंग की हो व्यवस्था
सड़कों पर पौधारोपण के बाद उनकी सिंचाई के लिए सस्ता और मजबूत तंत्र बनाना आवश्यक होगा। जिससे भविष्य में सिंचाई के लिए कोई प्रावधान न हो। वहीं प्राधिकरण की ओर से जारी नई पॉलिसी में कहा गया है कि अगर सड़क में ड्रिपिंग व्यवस्था को लगाने के लिए पर्याप्त स्थान हो तो निश्चित रूप से उसे लागू किया जाए। गौरतलब है कि नवज्योति ने डिवाइडर स्थित पौधों को ड्रिप सिंचाई पद्धति से पानी देने को लेकर पूर्व में भी खबर प्रकाशित की थी। साथ ही सड़क पर पौधारोपण पूरे निर्माण कार्य के पूरा हो जाने के बाद ही किया जाए। जिससे पौधारोपण को ज्यादा बेहतर तरीके से धरातल पर उतारा जा सके।

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