रिवर फ्रंट की दुकानों को लीज पर देने की तैयारी

दुकानों से केडीए को हर महीने होगी करोड़ से अधिक की आय

रिवर फ्रंट की दुकानों को लीज पर देने की तैयारी

लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश के बाद अधिकारियों ने इस संबंध में कार्यवाही शुरु कर दी है।

कोटा। चम्बल नदी के किनारे बनाए गए विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल पर अब आय बढ़ाने के लिए कोटा विकास प्राधिकरण द्वारा यहां की दुकानों को लीज पर देने की तैयारी की जा रही है। जिससे केडीए को हर महीने करीब  करोड़ रुपए से अधिक की आय हो सकेगी। कांग्रेस सरकार के समय में रिवर फ्रंट का निर्माण कराया गया था। जिसका उद्घाटन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता से पहले 12 सितम्बर 2023 को किया गया था। उस समय जल्दबाजी में शुरु करने के कारण यहां प्रवेश टिकट की सुविधा तो शुरु कर दी गई थी। लेकिन दुकानों को पूरी तरह से शुरू नहीं किया जा सका था। इसका कारण दुकानों के आवंटन प्रक्रिया में देरी होना व दुकानदारों द्वारा दुकानें आवंटन करवाने के बाद भी शुरू नहीं करना रहा था। हालांकि एक कारण उस समय इसका मामला एनजीटी में विचाराधीन होना भी बताया जा रहा था। लेकिन अब एनजीटी से इसे क्लीन चिट मिल गई है। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद अब इससे संबंधित विवाद भी समाप्त हो गए हैं। लेकिन हालत यह है कि उद्घाटन के एक साल बाद भी यहां अभी तक पूरी तरह से दुकानों का आवंटन व शुरुआत नहीं हो सकी है। जिससे यहां पर्यटन तो आ रहे हैं लेकिन उन्हें खाने-पीने व खरीदारी की सुविधा नहीं मिल पा रही है। 

185 दुकानें हैं रिवर फ्रंट पर
चम्बल रिवर फ्रंट के दोनों छोर पर कुल 185 दुकानें बनाई गई है। उन दुकानों को रेस्टोरेंट समेत अन्य उपयोग के लिए बनाया गया है। करीब 1 लाख 75 हजार वर्ग फीट क्षेत्र में इन दुकानों का निर्माण किया गया है। लेकिन वर्तमान में उनमें से मात्र आधा दर्जन से अधिक ही दुकानें संचालित हो रही है। जबकि अधिकतर बंद हैं। आवंटन के बाद भी दुकानदार उन्हें शुरू नहीं कर रहे हैं। ऐसे में केडीए की ओर से उनका आवंटन निरस्त कर उनका नए सिरे से आवंटन किया जाना है। सूत्रों के अनुसार केडीए का प्रयास है कि इन दुकानों को अलग-अलग आवंटित करने के  स्थान पर एक ही कम्पनी को लीज पर दे दिया जाए तो वही अपने हिसाब से उन दुकानों का सचालन करेगी। जिससे दुकानों के लिए निर्धारित की गई प्रति वर्ग फीट 59 रुपए के हिसाब से 185 दुकानों को लीज पर देने से केडीए को हर महीने करीब 1 करोड़ 3 लाख 25 हजार रुपए की आय होगी। 

नवज्योति ने किया था प्रकाशित
चम्बल रिवर फ्रंट पर केडीए को आय से अधिक करीब दो गुना खर्चा करना पड़ रहा है। इस संबंध में दैनिक नवज्योति ने समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें इस स्थिति को बयां किया था। दैनिक नवज्योति में 6 सितम्बर पेज दो पर आमदनी अठन्नी, खर्चा रूपय्या’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। उसके बाद से अधिकारी यहां आय बढ़ाने के प्रयास में जुटे। गत दिनों लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रिवर फ्रंट का निरीक्षण किया था। उस दौरान केडीए अधिकारियों को यहां आय बढ़ाने के निर्देश दिए थे। लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश के बाद अधिकारियों ने इस संबंध में कार्यवाही शुरु कर दी है। 

प्रवेश टिकट से भी हर महीने 1 करोड़ की आय
चम्बल रिवर फ्रंट पर उद्घाटन के बाद से ही यहां प्रवेश शुरु कर दिया था। प्रवेश के लिए दो सौ रूपए प्रति टिकट की दर निर्धारित की गई है। साथ ही विद्यार्थियों की यह दर आधी रखी गई है। रिवर फ्रंट पर होने वाली आय केडीए के खाते में जाती है लेकिन रिवर फ्रंट का संचालन करने के लिए मेन पावर गुरुग्राम की निजी फर्म द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही है।  सूत्रों के अनुसार रिवर फ्रंट पर रोजाना जितने लोग आ रहे हैं उनसे केडीए को करीब 1 करोड़ रुपए महीना आय हो रही है। 

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नो प्रोफिट, नो लोस पर हो सकेगा संचालन
चम्बल रिवर फ्रंट पर मेन पावर सप्लाई करने की एवज में केडीए द्वारा निजी फर्म को हर महीने करीब दो करोड़ रुपए का भुगतान किया जा रहा है। जबकि वर्तमान में केडीए को मात्र प्रवेश टिकट से 1 करोड़ रुपए की ही आय हो रही है। वहीं दुकानों को लीज पर देने से केडीए को हर महीने 1 करोड़ रुपए से अधिक की आय और हो सकेगी। हालांकि यहां शूटिंग, वाटर पार्क व अन्य व्यवस्थाओं से भी आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे है। लेकिन वर्तमान में आय से दो गुना खर्चा करना पड़ रहा है। जबकि दुकानों को लीज पर देने से केडीए द्वारा यहां हर महीने एक करोड़ रुपए और आय होने से कम से कम नो प्रोफिट नो लोस पर संचालन हो सकेगा। 

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इनका कहना है
रिवर फ्रंट की दुकानों को शीघ्र शुरु करने का प्रयास किया जा रहा है। इसकी प्रक्रिया चल रही है। पूर्व में दुकानें अलग-अलग आवंटित करने की योजना थी। लेकिन अब सभी दुकानों को एक साथ निजी कम्पनी को लीज पर देनी की योजना है। जिससे केडीए को एक मुश्त करीब 1 करोड़ 3 लाख रुपए महीना की आय दुकानों से हो सकेगी। जो अधिक राशि देगा उसे ही दिया जाएगा। 
- कुशल कोठारी, सचिव कोटा विकास प्राधिकरण

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