लगातार बारिश ने फेरा किसानों की उम्मीदों पर पानी
अतिवृष्टि के चलते इस वर्ष भी सोयाबीन, उड़द व तिल्ली की फसलें हुई खराब
गांवों में भी खेतों में पानी भरने से फसलें पीली पड़ चुकी हैं।
सुल्तानपुर। क्षेत्र में इस साल भी अतिवृष्टि के चलते खरीफ की फसलें नष्ट होने से किसानों में चिंता की लहर दौड़ गई है। क्षेत्र के किसान पिछले कई वर्षों से ग्लोबिंग वार्मिंग की मार झेल रहे हैं। इस साल रबी की फसलों में भी मार्च के महीने में तेज गर्मी व लू चलने के कारण गेहूं, चने व अन्य खरीफ की फसलों की पैदावार के उत्पादन में काफी कमी हो गई थी। किसानों ने बताया कि 90% खेतों में अभी भी फसलें खड़ी हैं। जिनमें बेमौसम चल रही लगातार बारिश का पानी भर गया है। जिसके कारण फसलें गल कर नष्ट होने के कगार पर हैं। वहीं कई स्थानों पर फसलें बड़ी होने के कारण आड़ी पड चुकी हैं। सोयाबीन के पत्तों में पीलापन आता जा रहा है। इस वर्ष भी बारिश की अधिकता के चलते किसानों को फसलों में नुकसान झेलना पड़ा है। पूर्व के वर्षों में भी तेज बारिश के चलते खरीफ की पैदावार पर असर पड़ा था। इस वर्ष भी लगातार बारिश आने से किसानों की रही सही उम्मीदों पर भी पानी फिरता हुआ नजर आ रहा है। लगातार बारिश होने से किसान एक बार फिर बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं। दिन-रात कड़ी मेहनत करने के बाद किसानों को उम्मीद थी कि बढ़िया बारिश होने से खेत सोना उगलेंगे। लेकिन प्राकृतिक आपदा के चलते खेतों में पानी भरने से सोयाबीन एवं उड़द की फसल में नुकसान की आशंका है। सोयाबीन की फसल की बुवाई के बाद अच्छी बारिश के कारण किसानों के खेतों में सोयाबीन की फसल लहलहाने लगी थी। लेकिन लगातार बारिश होने के कारण पैदावार पर असर पड़ने लगा था।
खेतों में कीचड़ से भारी नुकसान की आशंका
पिछले तीन-चार सालों से लगातार किसान दोहरी मार झेल रहा है। इस वर्ष रबी की फसल में एकदम से गर्मी पड़ने के कारण पैदावार कम हो गई थी। गेहूं की पैदावार में कमी दर्ज की गई थी। वहीं इस वर्ष सोयाबीन की फसल में तेज बारिश के चलते खेतों में पानी भर गया। उसके बाद अब खेतों में फसलों के साथ कीचड़ नजर आ रहा है। जिससे फसल खराब होने लगी हैं। ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं होने से पड़ी अधिक मार: किसानों ने बताया कि ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त नहीं होने के कारण भी किसानों के खेतों में अधिक पानी भरा है। जिससे अधिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। कई स्थानों पर खेतों में कीचड़ ही कीचड़ दिखाई दे रहा है। जिससे किसानों की फसलें खराब हो गई हैं। किसान पुष्पेंद्र मीणा, ओमप्रकाश मीणा, पुष्पदयाल मीणा, सोहनलाल मीणा, सीताराम भील, रूपचंद मीणा ने बताया कि सोयाबीन, मूंगफली, उड़द की फसलें बारिश होने के कारण नुकसान हुआ है। जिससे किसानों की कमर टूट गई है।
पानी के कारण फसलें पड़ीं पीली
क्षेत्र के अमरपुरा, किशोरपुरा, नयागांव, नापाहेड़ा, जाखड़ोंद आदि गांवों में भी खेतों में पानी भरने से फसलें पीली पड़ चुकी हैं। जिससे किसानों को फसलें खराब होने का डर सता रहा है। किसान धन्नालाल यादव, युवराज नागर, नितेश शर्मा आदि ने बताया कि लगातार हुई बारिश के चलते चारों ओर पानी ही पानी हो जाने से खेतों में अधिक मात्रा में पानी भर गया। जिससे फसलें खराब होने का खतरा मंडरा रहा है।
तेज बारिश के चलते हैं किसने की फैसले खराब होने के कगार पर पहुंच चुकी है। फसलों का सर्वे कर करके किसानों को उचित मुआवजा दिलाने की मांग की गई है। कई खेतों में जहां पर पानी भरा है, फसलें गलने के कगार पर है। किसानों को अब बारिश होने के बाद से ही खेतों में नमी के चलते एवं खेतों में पानी भर जाने से फसल की जड़ों को पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं मिलने से अंदर ही अंदर फसल सड़ने का खतरा भी मंडराने लगा है। - जगदीश कलमंडा, किसान नेता, भारतीय किसान संघ
किसान फसलों को अपने बच्चों की तरह पालते हैं। इस वर्ष भी सभी किसानों ने बीज कीटनाशक एवं अन्य दवाइयों पर काफी खर्च कर दिया है। इसके बाद अगर फसल हाथ में नहीं आती है तो किसानों की कमर टूट जाएगी। वर्तमान में तेज बारिश के चलते फासले खराब होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं। बारिश अगर इसी तरह होती रही तो फसल पूर्ण तरह से खराब हो सकती है।
- मायाराम गोचर, किसान
आजीविका का एक मात्र खेती ही साधन है। खेती की पैदावार का किसान के संपूर्ण परिवार पर असर पड़ता है। वर्तमान में भी किसानों ने महंगा बीज व हंकाई-जुताई के साथ-साथ कीटनाशकों व अन्य कृषि कार्यों में हजारों रुपया खर्च किया है। लेकिन क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के कारण फसलों को पर्याप्त धूप व अनुकूल तापमान नहीं मिलने के कारण व खेतों में पानी भराव तथा अधिक नमी के चलते फसलें विकसित होने की बजाय खराब होने की आशंका है। नुकसान का तत्काल प्रशासन की ओर से सर्वे करवाने की मांग की गई है।
- नरेंद्र दाधीच, किसान
किसानों के द्वारा सोयाबीन की फसल की बुवाई करने के बाद से ही बढ़िया बारिश होने के कारण अच्छी फसल की उम्मीद थी। लेकिन लगातार बारिश चलने से फसलों में नुकसान के आशंका है अधिक बारिश के चलते फसल सड़ने के कगार तक पहुंच चुकी है।
- बाबूलाल शर्मा, किसान
बीमा कंपनियों द्वारा खड़ी फसल का कोई भी मुआवजा नहीं दिया जाता है। फसल काटने के बाद अगर किसान का नुकसान होता है तो उसकी भरपाई बीमा कंपनी द्वारा की जाती है। राज्य सरकार की तरफ से जो भी निर्देश मिलेंगे, उसी के अनुसार किसानों के हित में कार्य किया जाएगा।
- बाबूलाल मीणा, डीईओ, सीएडी, सुल्तानपुर
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