सेंचुरी में एक भी घड़ियाल नहीं, चिड़ियाघर में नजरबंद पड़े

बायोलॉजिकल पार्क में न शिफ्ट किया, न ही जू लोगों के लिए खोला

सेंचुरी में एक भी घड़ियाल नहीं, चिड़ियाघर में नजरबंद पड़े

चिड़ियाघर में दो दर्जन से अधिक वन्यजीव, पर्यटकों के लिए खोले तो राजस्व में हो बढ़ोतरी।

कोटा। शहर की चंबल घड़ियाल सेंचुरी में एक भी घड़ियाल नहीं है, लेकिन कोटा रियासतकालीन चिड़ियाघर में दो घड़ियाल हैं जो पिछले तीन साल से नजरबंद हैं। वन्यजीव विभाग न तो इन्हें अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट कर रहा और न ही चिड़ियाघर को पर्यटकों के लिए खोल रहा। नतीजन, कोटा में घड़ियाल होने के बावजूद कोटावासी देख नहीं पा रहे। वहीं, बायोलॉजिकल पार्क शहर से करीब 7-8 किमी दूर हैं,जबकि चिड़ियाघर बीच सिटी में होने से लोगों की पहुंच आसान है। यहां मगरमच्छ से लेकर अजगर तक चार दर्जन से अधिक वन्यजीव हैं।  यदि, चिड़ियाघर को पर्यटकों के लिए खोल दिया जाए तो वन्यजीव विभाग के राजस्व में इजाफा होगा। 

45 से ज्यादा वन्यजीव नजरों से दूर
चिड़ियाघर में 45 से अधिक अधिक वन्यजीव हैं। यहां, घड़ियाल के अलावा मगरमच्छ, अजगर, 3 फीट उंचे पेलिकन हवासिल सहित लव बडर्स के साथ विविध पक्षियों का संसार बसा है। कोटावासियों को न तो इन पक्षियों का दीदार करने दिया जा रहा और न ही चिड़िया घर के दरवाजे खोले जा रहे। नतीजन, बंदरों की विशेष प्रजाति बोनट, पहाड़ी कछुए और हवा में कालाबाजी दिखाते नाइट हेरोन व विसलिंग टिल पक्षी कद्रदानों की झलक पाने को तरस गए। 

वन्यजीवों की कमी, पर्यटकों का रुझान कम
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में टाइगर की मौत के बाद कोई बड़ा एनीमल नहीं लाया गया। यहां विश्व का दूसरा सबसे बड़ा पक्षी ऐमू, फॉक्स, लॉयन, टाइगर जैसे बड़े वन्यजीवों की कमी है। जबकि, चिड़ियाघर में करीब 8 फीट लंबे घड़ियाल का जोड़ा, मगरमच्छ,  अजगर, पहाड़ी कछुए सहित तीन दर्जन से अधिक वन्यजीव होने के बावजूद न तो उन्हें शिफ्ट कर रहे और न ही उन्हें देखने के लिए चिड़ियाघर के दरवाजे खोले। नतीजन, बायोलॉजिकल पार्क में विजिर्ट्स का रुझान घटता जा रहा है। 

चिड़ियाघर में यह हैं वन्यजीव
कोटा चिड़ियाघर में वर्तमान में बंदरों की विशेष प्रजाति के 2 बोनट, 18 पहाड़ी कछुए, पानी के 5 कुछए, तीन फीट ऊंचे पेलिकन हवासिल, 8 से 10 फीट लंबे 4 अजगर जोड़े में, 2 घड़ियाल, 2 मगरमच्छ तथा पक्षियों में इग्रेट, स्पॉट बिल्ड डक, विसलिंग टिल, कोम्ब डक, नाइट हेरोन, पोण्ड हेरोन, बारहेडेड गूज, राजहंस बतख, तोता, लवबर्ड्स सहित कुल 48 तरह के वन्यजीव हैं, जो तीन साल से पर्यटकों के लिए नजर बंद हैं। 

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क्या है कारण
बायोलॉजिकल पार्क के निर्माण का निर्माण कार्य वर्ष 2019 में शुरू हुआ था। 1 जनवरी 2022 को पर्यटकों के लिए खोला गया। निर्माण के दौरान यहां 44 एनक्लोजर बनने थे लेकिन प्रथम चरण में मात्र 13 ही बन पाए। जबकि, 31 एनक्लोजर अभी बनने बाकी हैं। जायका प्रोजेक्ट के तहत 25 करोड़ का बजट मिलना था, जो नहीं मिल सका। इसकी वजह से द्वितीय चरण के तहत  होने वाले निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाए। ऐसे में जब तक यह एनक्लोजर नहीं बनेंगे तब तक पुराने चिड़ियाघर में मौजूद अजगर, घड़ियाल सहित अन्य वन्यप्राणी बायलॉजिकल पार्क में शिफ्ट नहीं हो पाएंगे। 

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क्या कहते हैं पर्यटक 
आकाशवाणी निवासी आरिफ खान, वियज सिंह, बजरंग नगर के पुष्पेंद्र सिंह, नवाजिश अहमद, रघुवीर कुमार कहते हैं, बायोलॉजिकल पार्क नयापुरा से करीब 5 से 6 किमी दूर है। जबकि, चिड़ियाघर एक से डेढ़ किमी की दूरी पर ही है। ऐसे में चिड़ियाघर के दरवाजे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाए तो न केवल विभाग का राजस्व बढ़ेगा बल्कि पर्यटन भी बढ़ेगा। इधर, दादाबाड़ी निवासी संतोष, शंभू यादव कहते हैं, बायोलॉजिकल पार्क में बड़े एनीमल तो है नहीं, चिड़ियाघर में है तो जाने की परमिशन नहीं। वन विभाग को जू फिर से खोलना चाहिए।

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चिड़ियाघर में सभी वन्यजीवों का विशेष ध्यान रखा जाता है। यहां के वन्यप्राणियों को बायोलॉजिकल में शिफ्ट किया जाना है, लेकिन बजट के अभाव में एनक्लोजर नहीं बन पाए। जिसकी वजह से इनकी शिफ्टिंग नहीं हो पा रही। हालांकि, बजट के लिए सरकार को लिखा जा चुका है। वहीं, बायोलॉजिकल पार्क में ऐमु, टाइगर व चिंकारा लाने के प्रयास जारी हैं।
- अनुराग भटनागर, डीएफओ 

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