सतरंगी सियासत
भारत दुनिया की धुरी बन रहा और इसे अमेरिका से ज्यादा कौन समझेगा? वैसे भी उसकी अब वह बात नहीं।
पीएम की यात्रा
पीएम मोदी अमेरिका की यात्रा पर। जब मोदी अमेरिका में हो तो चर्चा स्वाभाविक। जहां उनका यूएन महासभा में संबोधन भी। अब भारत ग्लोबल साउथ की सशक्त आवाज। इसीलिए पीएम मोदी की बात का वजन ज्यादा। हां, इस बार अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव का माहौल। जहां डेमोक्रेट उम्मीदवार बदला जा चुका। जबकि 78 वर्षीय डोनाल्ड ट्रम्प भी पुरजोर तरीके से चुनावी मैदान में है। पिछली बार पीएम मोदी ने उनके समर्थन में प्रचार किया था, जिसकी घरेलू स्तर पर काफी चर्चा रही। लेकिन इस बार हालात बदले हुए है। भारत कुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ करने की स्थिति में है। फिर बांगलादेश में जो हो रहा वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। जिसमें अमेरिका की भूमिका कोई बहुत अच्छी नहीं। भारत दुनिया की धुरी बन रहा और इसे अमेरिका से ज्यादा कौन समझेगा? वैसे भी उसकी अब वह बात नहीं।
बवाल कट रहा...
हरियाणा में मानो राजनीतिक बवाल कट रहा। भाजपा तो सत्ताधारी। सो, समझ आता। लेकिन कांग्रेस में भी कम मुसीबत नहीं। सांसदों को टिकट नहीं देने का निर्णय हुआ। तो हालात यह बन गए कि उनके रिश्तेदारों को टिकट से नवाजना पड़ा। क्योंकि राजनीति नाम ही पग-पग पर समझौते करने का। यानी सब कुछ मजबूरी। आखिर अवसर भी तो पांच साल बाद आता। कोई भी जोखिम लेना या अड़ियल रुख अपनाना नहीं चाहता। पांच साल पीछे ले जाने का खतरा पैदा करता। अब तो छोटे दलों की भी पौ बारह। आखिर उनको भी तो अपनी स्पेस बनाने का यही अवसर। सो, कोई अकेला तो कोई गठजोड़ कर रहा। हालांकि अधिकतर बेमेल और जरूरत के लिहाज के। जिनका जमीनी सच्चाई से कोई लेना देना नहीं। लेकिन जनता के बीच अपनी प्रजेंस भी तो देनी पड़ती। ताकि अगले पांच साल तक राजनीतिक कामकाज चलता रहे।
बुरे फंसे...
उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव आजकल दोराहे पर। उन्हें दोनों ओर नुकसान दिख रहा। एक तरफ वोट बैंक तो दूसरी ओर छवि बिगड़ने की चिंता। असल में, कुछ अपराधियों के खिलाफ योगी सरकार ने कड़ी कार्रवाई कर दी। जिनके पक्ष में अखिलेश खड़े हो गए। अब इसे संयोग कहे या कुछ और। जो अपराधी पकड़े गए वह अखिलेश का कोर वोटर। अब यदि पक्ष में खड़े हुए तो आम जनता में छवि खराब होने का खतरा। और यदि दूरी बनाते है तो कोर वोटर के खिसकने का डर। ऐसे में, अखिलेश क्या करें? उधर, सीएम योगी लगातार जघन्य अपराधों में शामिल लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर रहे। अब अखिलेश इतना ही बोल पा रहे कि जानबूझकर टारगेट किया जा रहा। लेकिन योगी सब कुछ कानून सम्मत कर रहे। जिसकी कोई भी काट सपा अध्यक्ष के पास नहीं।
असर!
राहुल गांधी विदेशी धरती पर अल्पसंख्यकों को लेकर बोल तो गए। इसी बीच, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनई का बयान। वह भी भारत का नाम लेकर। अब इसे संयोग कहे या कुछ और। लेकिन इसी बीच, भाजपा ने भी राहुल के बयान पर पलटवार किया। फिर विदेश मंत्रालय का बयान। कहा, अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न संबंधी टीका टिप्पणी बिल्कुल अस्वीकार्य। इनका कोई आधार नहीं। इससे पहले पीएम मोदी बोले, विदेशी धरती से आरक्षण समाप्त किए जाने की बातें हो रही। यह सब उचित नहीं। सो, क्या यह सब राहुल गांधी के बयानों का असर? हालांकि कांग्रेस का भी जवाब। भाजपा नेता भी विदेशी धरती से बहुत कुछ बोल चुके। आरोप यह भी कि भाजपा नेताओं ने परंपरा और नैतिकता तोड़ी। लेकिन इससे देश की छवि का क्या? वह प्रभावित होती! दुनिया में भारत को अलग नजर से देखा जाता।
इस्तीफा...
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली का मुख्यमंत्री पद अचानक छोड़ दिया। वहीं, विधानसभा चुनाव फरवरी 2025 में संभावित। केजरीवाल का इस्तीफा राजनीतिक निर्णय और अगले चुनाव में लाभ लेने की कोशिश। लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा? यह नतीजे बताएंगे। फिर यदि चुनाव जीत गए तो क्या केजरीवाल दोषमुक्त हो जाएंगे? जिसके लिए वह जेल गए। शायद नहीं। क्योंकि उन्हें फिर से कोर्ट जाना होगा। जहां कोर्ट उन्हें राहत देगा या नहीं। यह भी देखने वाली बात। लेकिन केजरीवाल के दांव से भाजपा जरूर भौचक्की। फिर कांग्रेस का क्या? हालांकि पिछला लोकसभा चुनाव कांग्रेस एवं आप ने गठबंधन करके लड़ा। लेकिन विधानसभा चुनाव में भी यह होगा। फिलहाल कुछ कह पाना असंभव। आतिशी मार्लेना को सीएम बनाकर केजरीवाल क्या संदेश दे रहे? क्या वह चंपई सोरेन साबित होंगी? वैसे, पद संभलाने से पहले ही उन्होंने कहा- अगले सीएम अरविंद केजरीवाल ही होंगे।
चर्चा में मोसाद...
आजकल इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद की चर्चा दुनियाभर में। कारनामा ही ऐसा। हालांकि मोसाद ने खुद कुछ कहा नहीं। लेकिन जो हुआ, वह आज तक हुआ नहीं। ईरान द्वारा पाला-पोसा आतंकी संगठन हिजबुल्ला लेबनान से इजराइल के खिलाफ युद्धरत। यह संघर्ष बरसों से जारी। जिसमें हर फन आजमाया जा रहा। लेकिन इस बार दुनिया भोचक्की। लेबनान में अचानक पहले पेजर फटने लगे और उसके बाद वॉकी टॉकी और सोलर पेनल तक में धमाके होने लगे। हजारों घायल हो गए और दर्जनों की मौत। यह युद्ध का नया तरीका। लेकिन जिसने भी इसकी योजना बनाई। वह अपने आप में नायाब। कानोंकान किसी को खबर तक नहीं। इलेक्ट्रानिक उपकरण का उपयोग करने वाला डरा सहमा सा। कब कहा क्या हो जाए? इस कारनामे के लिए मोसाद की ओर शक की सुई। जो अपने कारनामों से दुनिया में लोहा मनवाती रहती है।
-दिल्ली डेस्क
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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