कोटा के बड़े मंदिरों के प्रसाद की अब होगी जांच

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग 23 से चलाएगा अभियान

कोटा के बड़े मंदिरों के प्रसाद की अब होगी जांच

मंदिर, गुरुद्वारा, भंडारे, प्रसाद की दुकानों की होगी जांच।

कोटा। दक्षिण भारत के तिरुपति मंदिर में बनने वाले लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल मिलाए जाने की खबरों के बाद पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है। कोटा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की भी अलर्ट मोड पर आ गया है। शहर के विभिन्न मंदिरों के बाहर लगी प्रसाद की दुकानों, प्रसाद और भंडारे और लंगर के अलावा बड़े मंदिरों के प्रसाद की भी जांच के लिए तैयारियां कर ली है। 23 से 26 सितंबर तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। जिसमें सभी बड़े मंदिरों और उसके बाहर बिकने वाली प्रसाद सामग्री की जांच व नमूने लिए जाएंगे। खाद्य सुरक्षा टीम की ओर से 23 से शुरू होने वाले अभियान को लेकर सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली है। सीएमएचओ डॉ. जगदीश कुमार सोनी ने बताया कि खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से एक विशेष अभियान चलाया जाएगा।  इसके तहत कोटा के ऐसे बड़े मंदिरों, जहां प्रसाद मंदिरों में तैयार होते हैं और भक्तों को वितरित किए जाते हैं वहां अब प्रसाद की जांच की जाएगी। खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से यह अभियान 23 सितंबर से 26 सितंबर तक चलाया जाएगा। इस दौरान मंदिरों में तैयार होने वाले प्रसाद के नमूने लिए जाएंगे। बड़े मंदिर, जिनमें सवामणि और अन्य प्रायोजन नियमित रूप से किए जाते हैं और भोग लगाकर प्रसाद वितरित किए जाते हैं, उन सभी में तीन से पांच दिन का एक विशेष निरीक्षण व नमूनीकरण अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत सभी मंदिरों में बनने वाले प्रसाद और सवामणि में बनने वाले विभिन्न खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता जांची जाएगी। 

देवस्थान विभाग आया अलर्ट मोड पर 
कोटा बूंदी जिले के सभी देवस्थान विभाग के अधीन आने वाले मंदिर में बनने वाले प्रसाद सामग्री की गुणवत्ता के लिए सभी पुजारियों को विभाग की ओर से दिशा निर्देश जारी कर दिए है। खाद्य सामग्री की गुणवत्ता युक्त खरीदने के लिए कहा गया है। 

मंदिरों ने किया सर्टिफिकेट के लिए आवेदन 
राजस्थान के बड़े मंदिरों को हाल ही में ईट राइट सर्टिफिकेट जारी किया गया था और जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर पहला मंदिर था, जिसे ये सर्टिफिकेट मिला था। इसके अलावा प्रदेश से कुल 54 मंदिरों की ओर से सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया गया है। उनका भी वेरिफिकेशन किया जाएगा, जिसमें प्रसाद की गुणवत्ता के साथ गंदगी, हाइजीन का निरीक्षण किया जाएगा। राजस्थान में अब तक 14 धार्मिक स्थलों व मंदिरों के पास भोग का प्रमाणपत्र है। दरअसल, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने इट राइट प्रोग्राम के तहत भोग के लिए एक सर्टिफिकेशन स्कीम शुरू की है। इस स्कीम के तहत धार्मिक स्थलों पर प्रसाद बेचने वाले वेंडर्स और खाने-पीने की चीजों का सर्टिफिकेट दिया जाता है और ये सर्टिफिकेट दो साल तक मान्य होते हैं।
- पंकज ओझा अतिरिक्त खाद्य सुरक्षा आयुक्त

कोटा जिले के सभी मंदिरों, गुरुद्वारा के बाहर प्रसाद सामग्री बेचने वालों के सैंपल 23 सितंबर से लिए जाएंगे। जहां प्रसाद तैयार होता या भंडारे या सवामणि का आयोजन होता है। वहां के भी सैंपल लिए जाएंगे। इसके लिए टीम अलर्ट मोड पर है। जयपुर से कोटा सर्टिफिकेट के लिए आवेदन वाली लिस्ट आने के बाद उन मंदिरों की गुणवत्ता भी चेक किए जाएंगे। प्रदेश से कुल 54 मंदिरों की ओर से सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया गया है। उनमें कोटा कोई मंदिर है तो उनका भी वेरिफिकेशन किया जाएगा, जिसमें प्रसाद की गुणवत्ता के साथ गंदगी, हाइजीन का निरीक्षण किया जाएगा। 
- संदीप अग्रवाल, खाद्य सुरक्षा अधिकारी कोटा

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देवस्थान के सभी मंदिरों में भोग सामग्री कच्ची बाजार से पुजारी खरीदकर लाते है और स्वयं भोग तैयार करते है। वैसे सभी पुजारियों को गुणवत्ता युक्त भोग तैयार करने के निर्देश जारी कर दिए है। बाजार से लाए जाने वाले घी तेल की गुणवत्ता जांच कर ही उपयोग में लेने के निर्देश दिए। 
- ऋचा बल्देवा, सहायक आयुक्त देवस्थान विभाग कोटा

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