विश्वशान्ति की दिशा में नवीन आयाम स्थापित करने की पहल, गांधी पर दिया प्रशिक्षण
दर्यान को साकार करने के व्यापक स्तर पर सफलतापूर्वक संस्थानिक प्रयास किए गए हैं
इस इंस्टीट्यूट मेंगांधी के विचारों के माध्यम से पढ़ाई करवाई गईहै। सबसे पहले गांधी के विचारों को लेकर उच्च शिक्षा के शिक्षकों के लिए आॅरिएंटेशन कार्यक्रम सहित अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम हुए है।
जयपुर। राज्य सरकार की ओर से महात्मा गांधी इन्स्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड सोशल साइन्सेस, जयपुर को मूर्त रूप मिल गया है। जिसमें गांधी का प्रशिक्षण आमजन, शिक्षकों तथा बच्चों को दिया गया है। इस इंस्टीट्यूट मेंगांधी के विचारों के माध्यम से पढ़ाई करवाई गईहै। सबसे पहले गांधी के विचारों को लेकर उच्च शिक्षा के शिक्षकों के लिए ऑरिएंटेशन कार्यक्रम सहित अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम हुए है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार की महत्वाकांक्षी गांधीवादी शैक्षणिक योजना के तहत संस्थापित महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट आफ गवर्नेंस एंड सोशल साइन्सेस का प्रो. बी.एम. शर्मा को प्रथम निदेशक बनाया था। गांधी के शान्ति एवं अहिंसा के विभिन्न सैद्वांतिक पक्षों को सामाजिक धरातल पर प्रयोग किए गए। भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन को नेतृत्व प्रदान करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्म स्थली वाले प्रमुख राज्यों को छोड़कर यदि देखा जाए तो राजस्थान राज्य उन सभी राज्यों में अग्रणी और सिरमौर माना जा सकता है। जहां गांधी चिन्तन एवं दर्यान को साकार करने के व्यापक स्तर पर सफलतापूर्वक संस्थानिक प्रयास किए गए हैं।
समस्याओं का समाधान
व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय क्षितिज पर विकराल होती समस्याओं का समाधान अहिंसा में ही निहित है, जो आत्म कष्ट सहन करने तथा प्रेम को व्यापक करने से ही सम्भव हो सकता है। गांधी की अनुपम देन भी यही थी कि उन्होंने व्यक्तिगत आचार नियमों को सामाजिक और सामूहिक प्रयोग का विषय बनाया। इस इंस्टीट्यूट का उद्घाटन हुआ। इसके बाद अभी कानून व नियम बना गए है। गांधी एक विलक्षण व्यक्ति है। इन्होंने अपने विचार यथार्थ सहित अन्य कसोटियों को ध्यान में रखते हुए किया है। विधानसभा से एक्ट पारित हुआ है। बोर्ड आॅफ मैनेजमेंट की स्थापना की जा रही है।
इंस्टीट्यूट का जल्द ही बोर्ड का गठन किया जाएगा। इसके बाद उसके आगामी काम काज की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, संभावना है, कि 18 अक्टूबर को इंस्टीट्यूट का भवन मिल सकता है। इसके बाद कामकाज में तेजी आएगी। ’
- सौमित्र नाथ झा, कुलसचिव, महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट आफ गवर्नेंस एंड सोशल साइन्सेस , जयपुर
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