परिवार डॉक्टर इंजीनियर बनाना चाहता था, वह बन गई बॉक्सिंग में वर्ल्ड चैंपियन

एक समय था जब खेलों को छोड़ने का बना लिया था मन

परिवार डॉक्टर इंजीनियर बनाना चाहता था, वह बन गई बॉक्सिंग में वर्ल्ड चैंपियन

सेना जवाइन की, अब कर रही देश की सेवा।

कोटा। माता-पिता और परिवार के लोग उसे डाक्टर अथवा इंजीनियर के रूप में देखना चाहते थे। लेकिन कोटा शहर की बेटी की जिद ने उसे वर्ल्ड चैंपियन बना दिया। एक समय पर कोच न मिलने के कारण खेल छोड़ने वाली कोटा की अरूंधती चौधरी  बॉक्सिंग में वर्ल्ड चैंपियन हैं और कोटा का नाम देश विदेश में रोशन कर रही हैं। अरूणधति राजस्थान की एकमात्र महिला बॉक्सर हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों पदक जीत चुकी हैं। अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में 9 स्वर्ण, एक सिल्वर, एक ब्रांज के साथ ही स्टेंड्जा कप में सिल्वर तथा 2021 में वर्ल्ड चैंपियनशिप समेत राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में दर्जनों पदक अरूणधति अपने नाम कर चुकी हैं।

फेडरेशन के कहने पर बॉक्सिंग में आगे बढ़ी
अरूणधति ने बताया कि वो शुरूआत में वुशू और बॉक्सिंग दोनों खेला करती थी। लेकिन बॉक्सिंग फेडरेशन की ओर से किसी एक खेल को चुनने के लिए कहा गया। जहां वुशू के आॅलंपिक में नहीं होने के कारण बॉक्सिंग में आगे बढ़ने का निर्णय लिया। जिसके बाद उन्होंने पीछे मुडकर नहीं देखा और साल दर साल पदकों की झड़ी लगाती चली गई। 

12 दिन पढ़ाई कर पास की 10वीं की परीक्षा
अरुंधति ने बताया कि जब वो 10वीं कक्षा में थी तो उनका चयन जूनियर वर्ग की प्रतियोगिता के लिए राष्ट्रीय शिविर में हुआ था। ऐसे में बोर्ड परीक्षा से पहले शिविर में भी जाना था, तो पढ़ाई को लेकर चिंता होने लगी। हालांकि शिविर से आने के बाद उन्होंने केवल 12 दिन पढ़ाई करके फर्स्ट डिविजन में 10वीं परीक्षा पास की। जहां इसी प्रतियोगिता में उन्होंने जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता साथ ही प्रतियोगिता की सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज का पुरस्कार भी अपने नाम किया।

रेलवे, बैंक और पुलिस की जगह चुना सेना को
अरूणधति ने बताया कि  अंतराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के बाद रेलवे, पुलिस, सेना और बैंक की ओर से कई जॉब आॅफर भी मिले, लेकिन जब सेना की ओर से आॅफर आया तो उसे ना नहीं कह पाई। क्योंकि सेना में जाने का मतलब मेरे लिए देश की सेवा के साथ देश का नाम रोशन भी करना था। सेना में देश की सेवा करते हुए में देश के लिए अंतराष्ट्रीय मंच पर पदक भी जीत सकती हूं। जो मेरे साथ घरवालों के लिए भी गर्व करने वाली बात थी। खेल से आर्मी में जाने वाली अरूणधति राजस्थान की पहली लड़की हैं, और वर्तमान में पुणे स्थित मिलिट्री पुलिस की खेल अकेडमी में ट्रेनिंग कर रही हैं।

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बॉक्सिंग में आने का सफर रहा उतार चढ़ाव भरा
अरूणधति के बॉक्सिंग में आने की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं, एक समय ऐसा था जहां उन्होंने खेल को छोड़ने तक का मन बना लिया था और पढ़ाई पर फोकस कर लिया था। अरूणधति चौधरी बताती हैं कि उन्होंने अपने खेल के करियर की शुरूआत बास्केटबॉल से की थी। लेकिन उनके पिता चाहते थे, कि वो आईआईटी में जाए और इंजीनियरिंग करें, या फिर डाक्टर बने। वह कहती हैं  मेरे सामने खेल और पढ़ाई में से किसी एक को चुनने की स्थिति खड़ी थी। फिर मां को सब बताने पर उन्होंने पापा को समझाया तो पापा ने एकल खेल को करियर के रूप में चुनने को कहा और मैने बॉक्सिंग को चुन लिया। हालांकि शुरूआत में बॉक्सिंग के कोच नहीं मिलने से काफी परेशानी हुई। जिसके बाद वुशू कोच अशोक गौत्तम के मिलने पर उनसे ही ट्रेनिंग लेनी शुरू की और वुशू तथा बॉक्सिंग दोनों साथ ही खेलने लगी। 

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