गैस रिसाव से जलने के अलावा सांस की तकलीफ से भी जूझ रहे हैं घायल
गैस के दुष्प्रभाव से तकलीफदेह हो सकते हैं सदा के लिए फेफड़े
अमेरिका में 9/11 हमले के दौरान भी लोगों को हुई थी लंग डिजीज
जयपुर। गैस टैंकर हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए मरीजों को जलने के साथ सांस लेने में भी गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही आसपास के प्रभावित लोगों को भी श्वांस संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार एलपीजी गैस टैंकर में आग की चपेट में आए लोगों के शरीर में गैस के प्रवेश करने के कारण फेफड़ों को स्थाई रूप से नुकसान पहुंच सकता है।
फेफड़ों में इन्हेलेशन बर्न इंजरी का खतरा
सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शुभ्रांशु के मुताबिक एलपीजी गैस की वजह से आग तेजी से फैलती है और उसकी तीव्रता फेफड़ों तक पहुंच जाती है। इससे फेफड़ों में इन्हेलेशन बर्न इंजरी हो सकती है। यह इंजरी अस्थाई या स्थाई नुकसान का कारण बन सकती है। आग के धुएं और गैस के कारण श्वांस नलियों में सूजन, जलन और आॅक्सीजन का प्रवाह बाधित हो सकता है।
घायलों को हो सकती अस्थमा, सीओपीडी या ब्रोंकाइटिस बीमारी
सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शीतू सिंह ने बताया कि इस तरह के हादसों में फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। प्रभावित लोगों को अस्थमा, सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। उन्होंने अमेरिका में 9/11 हमले का उदाहरण देते हुए बताया कि उस हादसे में भी कई लोगों को लंग डिजीज हुई थी।
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