तेज रफ्तार का रोमांच बन रहा मौत का बुलावा

सड़क हादसों में मरने वाले 60 फीसदी से ज्यादा 40 से कम उम्र के

तेज रफ्तार का रोमांच बन रहा मौत का बुलावा

परिवहन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक शहर में होने वाले हादसों का सबसे बड़ा कारण तेज रफ्तार निकलकर आ रहा है।

कोटा। युवा उम्र के इंसान में एक उर्जा होती है जो उसे हर समय कुछ डेयरिंग करने के लिए उत्तेजित करती है। यही उत्तेजना कभी कभी उसकी जान की दुश्मन बन जाती है। यही बात परिवहन विभाग की सड़क दुर्घटनाओं पर आधारित रिपोर्ट कहती है। जहां वर्ष 2022-23 के दौरान हादसों में हुई मौत में 60 फीसदी से ज्यादा संख्या 18 से 35 वर्ष के युवाओं की है। यानि हर सौ मृतकों में से 60 केवल इसी उम्र के हैं। वहीं इसमें 18 से कम वालों का आंकड़ा जोड़ दें तो ये 65 फीसदी तक चला जाता है। इसके अलावा रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण तेज रफ्तार माना जा रहा है। जो 80 फीसदी हादसों का जिम्मेदार है।

तेज रफ्तार से 81 फीसदी हादसे
परिवहन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक शहर में होने वाले हादसों का सबसे बड़ा कारण तेज रफ्तार निकलकर आ रहा है। जिसमें कुल हादसों के 81 फीसदी हादसे केवल वाहन के तेज रफ्तार में होने के कारण हो रहे हैं, इसके अलावा 4 फीसदी गलत दिशा में वाहन चलाने से, 1 फीसदी का कारण मोबाइल, 1 का कारण शराब पीकर वाहन चलाना और 13 फीसदी हादसों के अन्य कारण रहे। शहर में हुए कुल 444 हादसों में से 360 हादसे केवल तेज रफ्तार के कारण होते हैं। वहीं 18 हादसे गलत दिशा में वाहन 4 मोबाइल के कारण, 5 शराब पीकर वाहन चलाने और 57 हादसे अन्य कारणों की वजह से हुए हैं।

सड़क हादसों में मरने वाले युवा ज्यादा
सड़क हादसों के कारण मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा 18 से 35 आयु वर्ग के लोगों की हैं। हादसों में 111 मृतकों में से 60 फीसदी यानि 66 मृतक केवल इसी आयु वर्ग से हैं। वहीं 24 मृतक 35 से 45 आयु वर्ग, 3 मृतक 18 से कम, 13 मृतक 45 से 60 आयु वर्ग और 60 से ज्यादा उम्र के 5 मृतक दर्ज किए गए। आयु वर्ग के अनुसार देखा जा सकता है कि सड़क हादसों में मरने वाले ज्यादातर 40 से कम उम्र के लोग हैं जो हादसों का शिकार हो रहे हैं।

कोटा शहर में 2022-23 के दौरान 444 बड़े हादसे
परिवहन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार कोटा शहर की सड़कों पर साल 2022-23 के दौरान करीब 444 हादसे दर्ज किए गए। जिनमें 111 लोगों ने अपनी जान गंवाई और 432 लोग गंभीर रुप से घायल हुए। वहीं इनमें ज्यादातर हादसे शहर की आंतरिक सड़कों पर हुए हैं लेकिन ज्यादा मौतें राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्यमार्गों पर हुई हैं। साल 2022-23 के दौरान शहरी सड़कों पर 230 हादसे, राज्य मार्गों पर 79 और राष्ट्रीय राजमार्गों पर 135 हादसे हुए। जिनमें 41 लोगों ने हाईवे वाले हादसों में, 47 लोगों ने अन्य सड़कों और 23 लोगों ने राज्यमार्ग के हादसों में अपनी जान गंवाई। आंकड़ों से पता चलता है कि हाईवे पर होने वाले हादसे गंभीर होते हैं जहां मृत्यु दर 30 फीसदी है वहीं राज्य मार्गों पर यह दर 28 फीसदी और शहरी सड़कों पर 20 फीसदी है।

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एक्सपर्ट की राय
नई उम्र के युवा जुनूनी होते हैं जो हर समय डेयरिंग करने के मूड में रहते हैं। इसी के चलते वो वाहन को तेज रफ्तार से चलाते हैं। कई बार अचानक कोई अन्य वाहन या वस्तु के सामने आ जाने से वाहन संभाल नहीं पाते और हादसे का शिकार हो जाते हैं। पुलिस, परिवहन विभाग के साथ साथ परिजनों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो इस तरह से होने वाले हादसों के बारे में अपने बच्चों को आगह करें। वहीं सड़क हादसों के साथ मृत्यु दर का भी बढ़ना इस बात का भी प्रमाण है कि सड़कों पर यातायात की व्यवस्था ठीक नहीं है। वाहन चालक सड़क पर चलते समय नियमों की पालना नहीं कर रहा है। जिन पर सख्ती से कारवाई की जरुरत है।
-दिनेश सिंह सागर, पूर्व परिवहन अधिकारी

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लोगों का कहना है
 सड़क पर तेज गति से वाहन चलाना हमेशा खतरनाक होता है, इसी के कारण मेरे मित्र के भाई का एक्सीडेंट हुआ था। जिसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। नई उम्र के लोगों में बेशक रफ्तार के प्रति जुनून होता है लेकिन हमें परिजनों के साथ दूसरों के बारें में भी सोचना चाहिए।
-कुलदीप गुर्जर, कंसुआ

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कई बार देखा जाता है कि युवा वाहन चलाते समय नियमों का खुलकर उल्लंघन करते हैं। जो कि बहुत गलत है इससे बचा जाना चाहिए। हादसा एक होता है लेकिन उससे पूरा परिवार को दुख उठाना पड़ता है। रफ्तार और रोमांच हो लेकिन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए।
-दिनेश शर्मा, आरकेपुरम

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