मुकुंदरा में शिकारी सक्रिय, भालू तक चढ़े हत्थे
रणथम्भौर व रामगढ़ जैसी घटनाओं से सबक ले मुकुंदरा
पिछले 5 साल में 2 दर्जन से ज्यादा वन्यजीव व जलीय जीवों का हुआ शिकार
कोटा। रणथम्भौर में बाघ का शिकार व रामगढ़ में बाघिन की रहस्यमयी मौत की घटनाओं ने टाइगर रिजर्व और वन्यजीवों की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़े कर दिए। मुकुन्दरा में पूर्व में बाघ एमटी-1 व 2 शावक गायब हो चुके है, जिनकी शिकारियों द्वारा हत्या किए जाने की आशंका प्रबल होती है। जबकि, करोड़ों रुपए के सुरक्षा उपकरणों व मॉनिटरिंग के लिए कर्मचारियों का लावजमा होने के बावजूद बेजुबानों की जान शिकारियों के फंदे में फंसकर जा रही है। शिकारियों की जद से मुकुंदरा भी अधूता नहीं है। एमएचटीआर में पिछले पांच सालों में दो दर्जन से अधिक वन्यजीव व जलीय जीवों का शिकार हो चुका है। ऐसे में मुकुंदरा प्रशासन को रणथम्भौर व रामगढ़ रिजर्व जैसी घटनाओं से सबक लेते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे। वहीं, इंसान और जंगली जानवरों के बीच टकराव रोकने की दिशा में रिलोकेशन प्रक्रिया को गति देने के सार्थक प्रयास करना चाहिए।
दो दर्जन वन्यजीव व जलीय जीव का शिकार
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में वर्ष 2018 से 2022 तक दो दर्जन से अधिक वन्यजीव व जलीय जीवों का शिकार हो चुका है। शिकारियों की जड़ें बफर तक सीमित न होकर कोर एरिया तक जम चुकी है। यहां भालू से लेकर नील गाय तक को शिकारियों ने बेरहमी से फंदे में फंसा मौत के घाट उतार दिया। अधिकतर शिकारियों को वन विभाग पकड़ नहीं सका।
भालू को उतारा मौत के घाट
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में वर्ष 2021-22 में अज्ञात शिकारियों ने भालू को मौत के घाट उतार दिया। शिकारियों ने जंगल में कई जगह लोहे के फंदे लगाए थे। जिसमें पैर फंसने पर घात लगाए बैठे शिकारियों ने भालू पर धारधार हथियारों से हमला कर हत्या कर दी। वनकर्मियों को वारदात का पता गश्त के दौरान लगा। मौके पर भालू के पंजे व शरीर के अवशेष ही मिले थे। शेष हिस्सा नहीं मिला। इसके बाद अज्ञात शिकारियों के खिलाफ वन अधिनियम में मामला दर्ज किया लेकिन आरोपियों का सुराग नहीं लगा सके।
नीलगाय से राष्टÑीय पक्षी मोर तक का शिकार
मुकुंदरा में गत पांच वर्षों में नीलगाय से लेकर राष्टÑीय पक्षी मोर तक का शिकार हो चुका है। खरगोश के शिकार के 4 मामले दर्ज हुए हैं। वहीं, पाटागोह के 4, मोर का 1, भालू-1, नीलगाय-1, अज्ञात शिकार 1 तथा शिकार के प्रयास के 2 मामले दर्ज हुए हैं। वहीं, जलीय जीव में सबसे ज्यादा 15 मामले अवैध मतस्य आखेट के दर्ज हुए हैं।
अब तक 7 आरोपियों को ही सजा
वन विभाग शिकार के अब तक दो मामलों के 7 आरोपियों को ही जेल तक पहुंचा सका है। इनमें वर्ष 2021 में 4 आरोपियों ने वन्यजीवों का शिकार करने का प्रयास किया था, जिन्हें गश्त के दौरान वनकर्मियों ने दबोच लिया। आरोपियों के खिलाफ वन अधिनियम में मामला दर्ज कर कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। हालांकि, सभी आरोपी वर्तमान में जमानत पर बाहर हैं। इसी तरह वर्ष 2021-22 में तीन आरोपियों ने बंदूक से वन्यजीवों का शिकार करने का प्रयास किया, जिसे भी जेल भेजा गया। वहीं, फरवरी 2024 में नीलगाय के संभवत: एक आरोपी को पकड़ सके। जबकि, शेष आरोपी गिरफ्त से बाहर हैं।
वनप्रेमी बोले- विस्थापन व मॉनिटरिंग हो सुदृढ़
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में कई गांव बसे हैं। ग्रामीणों की आड़ में संदिग्ध घुसपैठ भी बढ़ती है। वहीं, कोलीपुरा, राउंठा व बोराबांस रेंज में बसे गांववासियों के मवेशी कोर एरिया में विचरण करते हैं। जिन्हें लाने के लिए इंसान भी जंगल में जाते हैं, इससे इंसान और वन्यजीव के बीच संघर्ष की स्थिति बनती है। जिससे रणथम्भौर जैसी घटनाओं की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में टाइगर रिजर्व में बसे गांवों को जल्द से जल्द विस्थापित करना चाहिए।
-देवव्रत सिंह, अध्यक्ष पगमार्क फाउंडेशन
वर्तमान में मुकुंदरा में दो बाघ हैं, जिनकी निगरानी व मॉनिटरिंग की सुदृढ़ व्यवस्था हो। जंगल की अलग-अलग शिफ्टों में गश्त व पेट्रोलिंग की जाए। संदिग्धों की घुसपैठ रोकने के लिए जंगल में आने-जाने के रास्तों पर चौकियां बनाकर सख्त पहरा होना चाहिए। वहीं, करोड़ों के एंटी पोचिंग सिस्टम, कैमरा ट्रैप व कैमरा टावर के फुटेज की नियमित आॅर्ब्जरवेशन व एनालिसिस हो। टाइगर के अलावा अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए एक्शन प्लान तैयार कर हैबीटॉट डवलपमेंट के प्रयास किए जाने चाहिए।
-एएच जैदी, नेचर प्रमोटर
मुकुंदरा में वर्तमान में दो टाइगर हैं। जिनकी मॉनिटरिंग के लिए दो-दो टीम लगा रखी है, जो बाघ-बाघिन पर नजर रखते हैं। रणथम्भौर व रामगढ़ की घटना के बाद बाघों की सुरक्षा और मजबूत कर दी है। वहीं, टाइगर की टेरीटेरी में किसी भी मवेशी का मूवमेंट नहीं है। यदि, कोई मांसाहारी वन्यजीव किसी मवेशी का शिकार करता है तो उसका तुरंत मुआवजा दिए जाने की व्यवस्था है। साथ ही गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया भी तेज कर दी है।
-मुथूएस, डीएफओ मुकुंदरा टाइगर रिजर्व
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