जेमफील्ड्स इस महीने केजेम पन्ना की 50वीं नीलामी करेगा
जयपुर के जौहरी भी नीलामी में भाग लेंगे
जयपुर के कारीगर, जो पीढ़ियों से अपनी अद्वितीय शिल्पकला के लिए जाने जाते हैं, इस नीलामी में नियमित रूप से भाग लेते हैं।
जयपुर। इस नवंबर में, जेमफील्ड्स अपनी जाम्बिया स्थित केजेम खदान से निकाले गए पन्ना की 50वीं नीलामी करने जा रहा है, जो रंगीन रत्न उद्योग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा। यह नीलामी 2009 में शुरू की गई उस प्रक्रिया का हिस्सा है जिसने अंतर्राष्ट्रीय रत्न बाजार में पारदर्शिता और स्थिरता को बढ़ावा दिया है।
जेमफील्ड्स की नीलामी प्रक्रिया से पहले रंगीन रत्नों की उपलब्धता असंगठित थी और इनकी बिक्री की प्रक्रिया जटिल थी। परंपरागत रूप से, पन्ना जैसे रत्न अनिश्चित आपूर्ति के कारण आसानी से उपलब्ध नहीं होते थे। लेकिन जेमफील्ड्स की इस नई प्रणाली ने न केवल रत्नों की आपूर्ति को सुव्यवस्थित किया, बल्कि वैश्विक बाजार में जाम्बियन पन्नों को एक विशेष पहचान भी दिलाई। अपने गहरे हरे और नीले रंग की वजह से ये पन्ने बेशकीमती माने जाते हैं और आभूषण उद्योग में इनकी मांग बढ़ी है।
नीलामी प्रक्रिया और गुणवत्ता परीक्षण
नीलामी के दौरान, पन्नों का मूल्यांकन उनकी रंगत, गुणवत्ता, आकार और विशेषताओं के आधार पर किया जाता है। इन रत्नों को विभिन्न लॉट्स में वर्गीकृत कर पेश किया जाता है, ताकि खरीदार अपनी जरूरत के अनुसार उपयुक्त पन्ने चुन सकें। जेमफील्ड्स की इस नीलामी प्रक्रिया में भारतीय और इज़रायली खरीदारों की विशेष रुचि रहती है, खासतौर पर जयपुर के खरीदारों की, जो पन्ना कटाई का एक प्रमुख केंद्र है। जयपुर के कारीगर, जो पीढ़ियों से अपनी अद्वितीय शिल्पकला के लिए जाने जाते हैं, इस नीलामी में नियमित रूप से भाग लेते हैं।
पिछली नीलामी में, जयपुर के खरीदारों ने केजेम खदान से बड़ी मात्रा में पन्ने खरीदे थे। जेमफील्ड्स के अनुसार, भारतीय बाजार, खासकर जयपुर के जौहरी, उनकी नीलामी में नियमित और बड़े ग्राहक हैं, जो स्थानीय शिल्प परंपराओं और पन्ना कटाई की कला को दर्शाता है।
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