मेडिकल कॉलेज के पीजी हॉस्टल में गंदगी का अंबार, नियमित नहीं हो रही सफाई

टूटी नालियों में पनप रहे मच्छर, जहरीले जीव जंतुओं का बना रहता खतरा

मेडिकल कॉलेज के पीजी हॉस्टल में गंदगी का अंबार, नियमित नहीं हो रही सफाई

जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही का दंश हर रोज रेजीडेंट्स झेलने को मजबूर हैं।

कोटा। कोटा के मेडिकल कॉलेज के पीजी हॉस्टल में नियमित सफाई नहीं होने से चहुंओर गंदगी और कटीली झांडिया उग आई है। कमरों के बाहर उगी झांडियों में जहरीले जीव जंतु विचरण कर रहे है। अस्पतालों की तीमारदारी में जुटे रेजिटेंड डॉक्टरों के हॉस्टल में ही सफाई नहीं है तो अस्पताल परिसर का क्या हाल होगा। हॉस्टल में सारा दिन श्वान और सुअर विचरण करते है। वहीं बंदरों का आंतक इस क्रद है कि हॉस्टल में घूस बंदर डॉक्टरों रूम के बाहर रखे खाने तक खा जाते है। अस्पतालों में 12 से 18 घंटे काम करने के बाद घर पहुंचने पर डॉक्टरों को मूलभूत सुविधाओं के अभाव में अवसाद में है। शिकायत करने पर सीनियर के कोप भाजन के चलते वो गंदगी में रह रहे है। खास बात यह है कि अस्पतालों में मरीजों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाले रेजिडेंट्स डॉक्टर खुद ही गंदगी और कूड़े-कचरे के बीच जीवन काटने को मजबूर हैं। नवीन चिकित्सालय, एमबीएस व जेकेलोन अस्पताल के पीछे स्थित पीजी हॉस्टल बदहाल है। हॉस्टल के चारों ओर कूड़े- कचरे के ढेर लगे हैं। कमरों के पीछे जंगल उगा हुआ है। जिनमें जहरीले जीव-जंतुओं विचरण कर रहे है। कोबरा जैसे जहरीले सांप कमरों की दहलीज पर दस्तक दे चूके हैं। चहुंओर मच्छरों की भरमार है। डेंगू से एक नर्सिंग छात्रा जान भी गंवा चुकी है। वहीं कुछ माह पूर्व जहरीले कीट के काटने से नर्सिंग स्टूडेंट्स की जान पर बन आई थी। वहीं, गंदगी व मच्छरों के प्रकोप से बीमारी का खतरा बना रहता है। रेजीडेंट्स डॉक्टरों के पीजी हॉस्टल 26 साल  से अधिक पुराना है। हाल ही में अस्पताल प्रशासन ने रंग-रोगन व प्लास्टर का काम करवाया है लेकिन हॉस्टल परिसर में फैली गंदगी-कचरे व झाड़ियों का निस्तारण नहीं करवाया। वर्तमान में हॉस्टल में 150 से 200 रेजीडेंट्स रहते हैं, जो जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही का दंश हर रोज झेलने को मजबूर हैं।

तीनों पीजी हॉस्टल की सफाई, व्यवस्था चरमराई
एमबीएस अस्पताल  के पीछे तीन  पीजी हॉस्टल है वहां चारों तरफ गंदगी के ढेर लगे है।  पीजी-1 से पीजी-3 तक बीच चहुंओर गंदगी के ढेर और कटीली झांडिया उगी हुई है। हॉस्टल में रात के समय अंधेरा रहता है।  तीनों हॉस्टल में कमरों के पीछे बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हुई है। जिनमें सांप, बिच्छु सहित जहरीले जीव जंतुओं का बसेरा बना हुआ है। पिछले साल  पीजी-3 हॉस्टल में कमरों की दहलीज पर कोबरा की दस्तक से हड़कम्प मच गया था। इसके अलावा हॉस्टल परिसर में स्थित औषधीय भंडार के पीछे नाला है, जिसकी लंबे समय से सफाई नहीं होने से मच्छर पनप रहे हैं। वहीं, गंदगी से उठती बदबू से सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है। पीजी-2 हॉस्टल में  बिजली का पैनल खुला पड़ा है। नालियों गंदगी से अटी पड़ी है। पीजी हॉस्टल के बाहर नालियां गंदगी से अटी पड़ी है। यही हाल मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल का भी वहां भी घास झाडिया उगी है। नियमित सफाई नहीं हो रही है। 

श्वान व सुअरों का आतंक
पीजी हॉस्टल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने बताया कि हॉस्टल परिसर में दिनरात लावारिस मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। सबसे ज्यादा परेशानी श्वान और सुअरों की है। भोजन की तलाश में यह कमरों तक पहुंच जाते हैं। वहीं, रात में हॉस्टल आने-जाने के दौरान काटने को दौड़ते हैं। पूर्व में कई रेजिडेंट डॉग बाइट का शिकार हो चुके हैं। पीजी-3 हॉस्टल के पास सुरक्षा दीवार टूट रही है, जिसमें से श्वान व सूअरों का झुंड हॉस्टल परिसर में घुस जाता है। कमरों के बाहर बर्तनों में मुंह मारते हैं। श्वानों को भगाने पर काटने को दौड़ते हैं। इसके अलावा बंदरों की भी बड़ी समस्या है।

नालियां टूटी, फर्श उखड़ा पड़ा
हॉस्टल में जगह जगह से फर्श उखड़ गया है। वहीं नालियों टूटी होने से जगह जगह पानी जमा हो रहा है। हॉस्टल के मुख्य गेट यहां लाइट खराब पड़ी है। मुख्य नाली ढक्कन नहीं होने से चहुुंओर बदबू फैली है। 

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इनका कहना है
हॉस्टल में गंदगी और सफाई नहीं हो रही ऐसी शिकायत किसी ने अभी तक नहीं की है। रेजिडेंट को किसी प्रकार की परेशानी हो रही है तो संबंधित से अवगत कराना चाहिए। परिसर में सफाई के लिए कर्मचारी लगाए हुए है। गंदगी है तो इसकी जांच कराकर सफाई कराई जाएगी।
- डॉ. निलेश जैन,चीफ वार्डन व अधीक्षक स्पेशलिस्ट अस्पताल कोटा

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