झालावाड़ में खतरे की घंटी, हवा में घुल रहा जहर

शहर में ईंट भट्टे 24 घंटे उगलते हैं जहरीला धुआं, जिससे बढ़ रहा प्रदूषण

झालावाड़ में खतरे की घंटी, हवा में घुल रहा जहर

हाड़ौती में झालावाड़ का सबसे ज्यादा एक्यूआई

झालावाड़। पूरे राजस्थान में इन दोनों एयर क्वालिटी इंडेक्स को लेकर चर्चा हो रही है। झुंझुनू का एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़कर 474 तक जा पहुंचा है, लेकिन झालावाड़ जैसे प्रदूषण मुक्त माने जाने वाले जिलों में भी अब खतरे की घंटी बजने लगी है। शुक्रवार को झालावाड़ का एयर क्वालिटी इंडेक्स हाड़ौती में सबसे ज्यादा बढ़कर 262 हो गया, जबकि कोटा का एक्यूआई-240, बारां एक्यूआई-256 तथा बूंदी का एक्यूआई-234 रहा। यह पहला अवसर है जबकि झालावाड़ का एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़कर कितने उच्च स्तर पर पहुंच गया है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पहले एक दौर था जब राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक्यूआई 70 से 90 के बीच हुआ करता था, लेकिन अब 150 से 200 तक एक्यूआई होना सामान्य बात हो गई है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि भिवाड़ी वर्ष 2021 में दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रहा था। भिवाड़ी में पूरे साल औसत एक्यूआई 106.2 रहा था। कुल मिलाकर बीते करीब 20 बरसों में राजस्थान में प्रदूषण का स्तर बढ़कर दोगुना हो गया है।

झालावाड़ में क्यों बढ़ रहा है एक्यूआई
झालावाड़ जैसे प्राकृतिक रूप से संपन्न जिले में एक्यूआई बढ़ना वास्तव में चिंता का विषय है। यहां ना तो बहुत ज्यादा ट्रैफिक है ना ही बड़े उद्योग धंधे हैं, जिनसे प्रदूषण फैलता है। यहां एक्यूआई बढ़ने की मुख्य वजह यहां के ईंट भट्टों को माना जाता है। झालावाड़ शहर सहित जिले के विभिन्न भागों में अवैध रूप से बड़ी तादाद में ईंट भट्टे चल रहे हैं जिसके चलते यहां लगातार प्रदूषण रहता है और एक्यूआई का स्तर लगातार बढ़ता रहता है। हालांकि यहां पर थर्मल पावर परियोजना जैसी परियोजनाएं भी है जो दिन रात धुआं उगलती है, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि थर्मल में पॉल्यूशन प्लांट बहुत ही उच्च स्तर का लगा हुआ है, जिसके चलते यहां पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। मुख्य रूप से यहां पर ईंट भट्टे और खेतों में जलाए जाने वाला पराली ही ए क्यू आई बढ़ने का कारण माना जाता है।

कैसे कम करें प्रदूषण
विशेषज्ञों की राय के अनुसार हवा और पानी दो बुनियादी जरूरतों के हालत खराब होंगे तो लोग की सहत ठीक नहीं रहेगी। इसका एक रास्ता ये है कि हरियाली को बढ़ावा दिया जाए और विकास को पर्यावरण फ्रेंडली बनाया जाए। किसी भी तरह के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन न किया जाए। बस केवल आवश्यक जरूरतों को ही पूरा किया जाये। कोयले से जलाकर जहर उगलने वाले ईट भट्टों को बंद किया जाए तथा उनकी वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। उसके अतिरिक्त लोगों को धुआं करने और खेतों में पराली जलाने से रोका जाए।

क्या होता है नुकसान
चिकित्सकों की राय के अनुसार वायु प्रदूषण से कई प्रकार के नुकसान होते हैं जिनमें प्रमुख रूप से आंखों में जलन, सांस फूलना, जी घबराना और चक्कर आना तथा फेफड़ों का संक्रमण शामिल हैं। इसको अतिरिक्त वायु प्रदूषण से त्वचा के विकार भी उत्पन्न होते हैं त्वचा में कई तरह का संक्रमण वायु प्रदूषण की वजह से होते हैं।

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कैसे रखें बचाव
चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर रामविलास बताते हैं कि प्रदूषण से बचने के लिए आमजन घर पर ही रहें। बाहर निकले तो मास्क लगाकर निकलें। सांस फूलने, चक्कर आने तथा आंखों में जलन होने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर डॉक्टर को दिखाएं। घरों पर गैस चूल्हे का उपयोग करें। हैवी ट्रैफिक व भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में जहां भवन निर्माण चल रहा हो, वहां जाने से बचें। सुबह जल्दी और देर शाम के समय घर के खिड़की व दरवाजे बन्द रखें। हवा का स्तर अधिक खराब होने पर मार्निंग वॉक एवं इवनिंग वॉक भी बन्द कर दें।

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