सावधान : खतरे में सांस प्रदूषण में कोटा नम्बर 1
सर्दी व कोहरे के कारण हवा की गुणवत्ता हुई खराब
प्रदूषण के कणों से बढ़ा बीमारियों का खतरा।
कोटा। मौसम में बदलाव होने से शहर में सर्दी का असर बढ़ने के साथ ही अब कोहरा छाने लगा है। इससे कोटा शहर में वायु प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। सर्दी व कोहरा साथ मिलकर हवा की सेहत को नासाज कर रहे हैं। दो दिन में ही शहर में वायु प्रदूषण का पारा तेजी से उछला है। मंगलवार को यहां पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 268 दर्ज किया गया था। अब गुरुवार को एक्यूआई उछलकर 340 पर आ गया है। 48 घंटे में एक्यूआई में 72 अंकों की तेजी आ गई। कोटा शहर गुुरुवार को राजस्थान में वायु प्रदूषण के मामले में नम्बर वन पर आ गया। एक्यूआई के 300 के पार पहुंचने के बाद हवा की गुणवत्ता काफी खराब हो जाती है। यानी अस्थमा सहित अन्य बीमारियों के रोगियों के लिए यह हवा काफी खतरनाक साबित हो सकती है।
शहर में धानमंडी क्षेत्र सबसे प्रदूषित
सर्दी के मौसम में कोटा शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी प्रदूषण का स्तर काफी बढ़कर 340 एक्यूआई पर पहुंच गया है। यहां की हवा जहरीली हो गई और इस मौसम में मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। कोटा शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर भी अलग-अलग हैं। इस समय शहर के धानमंडी क्षेत्र में प्रदूषण का लेवल सबसे अधिक है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल की वेबसाइट के अनुसार गुरुवार को धानमंडी और उसके आसपास के क्षेत्र में एक्यूआई 340 दर्ज किया गया है। जबकि शहर के अन्य क्षेत्र नयापुरा में एक्यूआई 313 और श्रीनाथपुरम में एक्यूआई 218 दर्ज किया गया। यानी शहर में सबसे प्रदूषित क्षेत्र धानमंडी है। कोटा में नयापुरा, नई धानमंडी और श्रीनाथपुरम क्षेत्र में लगे संयंत्र के माध्यम से रोजाना प्रदूषण का स्तर दर्ज किया जाता है।
वायु प्रदूषण का स्तर और प्रभाव
0 से 50 अच्छा यानि कोई दिक्कत नहीं
51 से 100 संतोषजनक हवा
100 से 200 बाहर जाने से बचें
201 से 300 श्वसन के मरीजों को परेशानी
301 से 400 लम्बे समय से बीमार मरीजों को परेशानी
401 से 500 बाहर बिलकुल भी नहीं निकलें
राजस्थान के टॉप पांच प्रदूषित शहर
शहर एक्यूआई
कोटा 340
चूरू 320
झुंझुनू 310
शहर एक्यूआई
सीकर 305
हनुमानगढ़ 301
इनका कहना है
वायु प्रदूषण के कारण बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। प्रदूषण के कण हवा के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। उसके बाद यह धीरे-धीरे शरीर के अंदरुनी अंगों को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण से बचने के लिए विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। इस दौरान मास्क का उपयोग करना चाहिए।
- डॉ. कपिल कुमार, फिजिशियन
रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत
चिकित्सकों के अनुसार वायु प्रदूषण के चलते मानव शरीर बीमारियों की चपेट में आ जाता है। प्रदूषण के कारण अब सीओपीडी बीमारी के रोगियों की संख्या में इजाफा होता है। स्थाई रूप से श्वास नालियों में रुकावट यानी सीओपीडी बीमारी अक्सर 45 वर्ष के बाद अधिकतर पुरुषों में देखी गई हैं। एक उम्र होने के बाद व्यक्ति को श्वास में तकलीफ, खांसी में बलगम और उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह लक्षण बढ़ते चले जाते हैं। किसी भी तरह का धूम्रपान, हवन व भट्टी का धुआं, वायु प्रदूषण और जैविक ईंधन जैसे लकड़ी या कंडो के चूल्हे के धुआं इस रोग को बढ़ाता है। इस समय रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्हें मास्क का उपयोग करना चाहिए।
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