जर्जर सड़क साढ़े पांच साल के इंतजार बाद भी दे रही दर्द
अधूरी सड़क के कारण आधा दर्जन गांवों के लोग परेशान
धूल मिट्टी उड़ने से घातक बीमारियों की आशंका
कापरेन। कापरेन से बालोद जाने वाली 8 किमी लंबी जर्जर सड़क साढ़े पांच साल गुजरने के बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। यह सड़क जगह-जगह से धंसी हुई है तो कहीं गिट्टी निकल गई है। अधूरी सड़क के कारण आधा दर्जन गांवों के लोग परेशान है। धूल मिट्टी उड़ने से सड़क पर निकलना मुश्किल हो रहा है। दमा, श्वांस और आंखों की घातक बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है। दरअसल चार साल के लंबे इंतजार के बाद वर्ष जून 2023 में अधूरी बनी थी जो कि एक सप्ताह में ही उखड़ने लगी। शिकायत के बाद अधिकारियों ने संवेदक को नोटिस दिया तो उसने काम बन्द कर दिया। तब से डेढ़ साल बाद भी किसी ने इस सड़क की सुध नहीं ली। इस सड़क से जुड़े 6 गांवों के लोग अब इस जर्जर सड़क से गुजरते हैं। सड़क पर छोटे बड़े वाहनों के गुजरने पर धूल मिट्टी के ऐसे गुबार बनते हैं कि 10 मिनिट तक कुछ भी नजर नहीं आता है, इससे लोगों को आंखों व श्वांस की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। परेशान ग्रामीणों को सड़क निर्माण स्वीकृति के बाद सुकून मिला था लेकिन घटिया निर्माण सामग्री से बनी अधूरी सड़क एक सप्ताह में ही उखड़ने से ग्रामीणों की परेशानी जस की तस रह गई हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि कापरेन से बालोद जाने वाले रास्ते पर टकरवाड़ा तक चार किमी सड़क डेढ़ साल पहले बनी और उखड़ने लगी औरु कई जगह जमीन में धंस गई , तो कहीं गिट्टी निकल आई। संवेदक ने बारिश के मौसम को देखते हुए तुरत फुरत में गुणवत्ता का ध्यान रखे बिना ही सड़क पर डामर फैला दिया था तभी से ही यह सड़क ग्रामीणों, वाहन चालकों को दर्द दे रही है। वे गांव जो इस सड़क मार्ग से जुड़े हुए हैं खेड़ली व्यावसान,पीपल्दा जागीर,बालोद, जगदरी, बंजारा का झोपड़ा के ग्रामीणों ने ही इस सड़क की शिकायत जिला कलक्टर को की है और शीघ्र सड़क बनाई जानी चाहिए।
जर्जर सड़क पर दौड़ते ओवर लोडिंग वाहन और उड़ती हुई धूल मिट्टी लोगों को गंभीर बीमारियां दे रही हैं। दमा, श्वास व आंखों की बीमारियों की आशंका बनी हुई है।
- भोलाशंकर मीणा
आठ किमी की सड़क और साढ़े पांच साल का इंतजार आखिर ग्रामीणों व क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों के लोगों को दर्द दे रहा है। कई बार अधिकारियों व संवेदक को कहा गया किंतु कोई भी इस और ध्यान नहीं देता।
- दशरथ मीणा
ग्रामीणों का कहना है
साढ़े पांच साल से सड़क पर चलना जिंदगी से खेलने जैसा साबित हो रहा है। अधिकारियों को सड़क निर्माण के समय पर भी कहा था किंतु किसी ने भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
- बृजमोहन मेघवाल
कापरेन से झोपड़िया तक ग्रामीण पशुपालक है और रोजाना सुबह शाम दूध बेचने शहर जाते हैं। ऐसे में आए दिन वाहनों को नुकसान होता है, गिरते हैं तो जख्मी हो जाते है।
- कालुलाल मीणा
इनका कहना है
ठेकेदार की हठधर्मी के कारण उसे नोटिस देकर का बंद करवा दिया गया था। अब दुबारा टेंडर जारी कर कार्य शुरू करवाया जाएगा।
- अनुज मीणा, एईएन, सार्वजनिक निर्माण विभाग कापरेन।
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