दोगलापन : विकास ही नहीं लापता बाघों को खोजने में भी मुकुंदरा दरकिनार

रणथम्भौर के लापता बाघों को ढूंढने के लिए बनी कमेटी

दोगलापन : विकास ही नहीं लापता बाघों को खोजने में भी मुकुंदरा दरकिनार

5 साल से लापता है मुकुंदरा का बाघ एमटी-1 व 2 शावक ।

कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के साथ हर मोर्चे पर सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है। बाघों की शिफ्टिंग हो या विकास कार्य सभी में मुकुंदरा को उपेक्षित रखा गया। लेकिन अब लापता बाघों को खोजने में भी एमएचटीआर को दरकिनार कर दिया गया। दरअसल, रणथम्भौर से पिछले एक साल में14 बाघ लापता हो गए तो उन्हें खोजने के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने जांच कमेटी गठित कर दी। लेकिन, मुकुंदरा का बाघ एमटी-1 व 2 शावक पिछले पांच साल से लापता हैं, जिन्हें ढूंढने तक का प्रयास नहीं किया जा रहा। तीन सदस्यीय जांच कमेटी न सिर्फ रणथम्भौर के लापता बाघों को खोज रही बल्कि टाइगर मॉनिटरिंग के समस्त रिकॉर्ड को भी खंगाल रही। वहीं, रणथम्भौर प्रशासन ने उन्हें ढूंढने के अब तक क्या प्रयास किए, अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही की भी जांच कर रही है। लेकिन, मुकुंदरा के 82 वर्ग किमी के एनक्लोजर से बाघ एमटी-1 अचानक गायब हो जाता है, जिसका कहीं सुराग नहीं मिलता फिर भी तत्कालीन अधिकारियों की लापरवाही की जांच करना तक मुनासिब नहीं समझा। वन्यजीव विशेषज्ञों का मत है कि वन विभाग का टॉप मैनेजमेंट ही मुकुंदरा को पनपने नहीं देना चाहता। 

5 साल से लापता बाघ एमटी-1 व शावक 
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व की दरा रैंज में 82 हैक्टेयर के एनक्लोजर से बाघ एमटी-1 19 अगस्त 2020 के बाद से अचानक गायब हो गया। जिसको ढूंढने के सार्थक प्रयास नहीं किए गए। वहीं, इससे पहले 3 अगस्त 2020 को बाघिन एमटी-2 का एक शावक लापता हो गया। इसके अगले ही महीने 22 मई को एमटी-4 का शावक भी गायब हो गया। जिनका आज तक कोई सुराग नहीं लगा। हालांकि, वन अधिकारी दबी जुबान से बाघ एमटी-1 व दोनों शावकों के मृत मान रहे हैं लेकिन अधिकारिक रूप से घोषणा नहीं कर रहे। ऐसे में आज भी यह बाघ व शावक वन विभाग के कागजों में जिंदा है।

रेडियोकॉलर की बैट्री खराब थी फिर भी नहीं बदली
वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक बाघ एमटी-1 के गले में लगे रेडियोकॉलर की बैट्री खराब हो चुकी थी। जिसकी जानकारी तत्कालीन डीएफओ सहित क्षेत्रिय वन अधिकारियों को थी। इसके बावजूद उसकी बैट्री नहीं बदली गई। वहीं, दरा रैंज में करोड़ों का ई-सर्विलांस सिस्टम भी लगा हुआ है, जो 24 घंटे जंगल की निगरानी, बाघ का मूवमेंट व अवैध गतिविधियों पर नजर रखने और तत्काल अधिकारियों को सूचना देने का काम करता है। इसके बावजूद बाघ अचानक एनक्लोजर से गायब हो जाता है और अत्याधुनिक संसाधन होने के बावजूद किसी को भी पता नहीं लगता। जबकि, टाइगर मॉनिटरिंग व ट्रैकिंग के लिए टीमें भी गठित थी। इसमें तत्कालीन अधिकारियों की घोर लापरवाही उजागर हुई, इसके बावजूद उनकी भूमिका की न तो जांच हुई और न ही लापरवाही बरतने वाले दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई। 

3 करोड़ का सर्विलांस, 20 कैमरा टावर फिर भी टाइगर गायब 
मुकुंदरा टाइगर रिर्जव 6 रेंजों में बांटा गया है। जिसमें दरा, जवाहर सागर, कोलीपुरा, रावंठा, बोराबांस व गागरोन रेंज शामिल है। टाइगर रिजर्व की निगरानी के लिए 3 करोड़ का ई-सर्विलांस एंड एंटी पोचिंग सिस्टम, 20 कैमरा टावर और 200 से ज्यादा कैमरा ट्रैप लगे हुए हैं। दरा रेंज में ही सर्विलांस लगा है, जिससे सभी रेंजों में लगे कैमरा टावर जुड़े हैं। इसकी मॉनीटरिंग डीओआईटी डिपार्टमेंट करता है। इसके लिए यहां सेंटलाइज कमाण्ड सेंटर बना हुआ है। जिससे 24 घंटे जंगल की एक-एक गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। सभी कैमरे टावर नाइट विजन हैं। अत्याघुनिक तकनीक से लैस होने के बावजूद टाइगर व शावकों का लापता होना और खोज नहीं पाना, वन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल है। 

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इनका कहना है
हर महीने टाइगर एमटी-1 व दोनों शावकों के लापता होने की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाती है। हमारे स्तर पर बाघ व शावक को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है। 
- रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, वन विभाग 

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इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से बात की जा सकती है।
- मूथू एस, डीएफओ, मुकुंदरा टाइगर रिजर्व

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क्या कहते हैं वन्यजीव प्रेमी
82 वर्ग किमी के एनक्लोजर से अचानक बाघ एमटी-1 के  लापता होना निश्चित रूप से तत्कालिन अधिकारियों की घोर लापरवाही है। वह जानते थे कि एमटी-1 शिकार हो चुका है। इसलिए, अपनी लापरवाही छिपाने के लिए उसे कागजों में लापता बताकर जिंदा दर्शाते रहे। इसके बाद पदस्थापित होने वाले अधिकारियों ने भी यही परिपाटी चलाई। वर्तमान में भी इसे लापता ही दर्शाया जा रहा है।  ऐसे में रणथम्भौर की तर्ज पर एमटी-1 के लापता होने की जांच की जानी चाहिए। वन विभाग के टॉप मैनेजमेंट को मुकुंदरा के प्रति दोहरा रवैया नहीं अपनाना चाहिए। 
- तपेश्वर सिंह भाटी, मुकुंदरा एवं पर्यावरण समिति अध्यक्ष

वैसे तो एमटी-1 जीवित नहीं है। यह बात वन अधिकारी भी मानते हैं। यदि, उनकी नजर में बाघ एमटी-1 व दोनों शावक लापता हैं तो उन्हें ढूंढने के लिए रणथम्भौर की तरह जांच कमेटी गठित करनी चाहिए। उन्हें खोजने का प्रयास न करना ही जीवित न होने का प्रमाण दर्शाता है। वन अधिकारियों की कथनी-करनी में स्पष्ट अंतर नजर आता है, लेकिन टॉप मैनेजमेंट को नजर नहीं आना, समझ से परे है। 
- एएच जैदी, नेचर प्रमोटर

वन विभाग के पास अत्याधुनिक संसाधन होने के बावजूद बाघ तलाश न पाना अधिकारियों की घोर लापरवाही का नतीजा है। उनकी कार्य क्षमता, कार्य कुशलता, कार्य के प्रति गंभीरता पर सवाल उठता है। वन अधिकारी काम को बोझ समझने की प्रवृति के आदि हो चुके हैं। ऐसे में विभाग को अधिकारियों द्वारा करवाए गए कार्यों की प्रति वर्ष मूल्यांकन करवाना चाहिए ताकि उनकी वर्क परफॉर्मेंस का पता लग सके। रणथम्भौर के अलावा मुकुंदरा व सरिस्का से भी टाइगर लापता है, उन्हें भी खोजने के प्रयास करना चाहिए। यदि, नहीं तो उन्हें मृत घोषित करें और इसके जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए।
- बाबू लाल जाजू, प्रदेश प्रभारी, पीपुल फॉर एनीमल

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