सीवी गार्डन में घात लगाए बैठा काल
जिस तालाब में बोटिंग, उसी में छिपा मगरमच्छ
शिकायतों के बावजूद वन विभाग नहीं गंभीर ।
कोटा। नयापुरा सीवी गार्डन के तालाब में 6 महीने से भारी-भरकम मगरमच्छ ने डेरा डाल रखा है। शिकायतों के बावजूद वन्यजीव विभाग के अफसरों ने आंखें मूंदी रखी। जबकि, 7 दिन पहले ही मगरमच्छ ने तालाब किनारे बतखों पर हमला कर दिया। एक बतख को खा गया और दूसरी को जख्मी कर दिया। इसी तालाब में केडीए द्वारा पैडल बोटिंग करवाई जाती है। बोटिंग में बच्चों की संख्या अधिक रहती है। वहीं, तालाब किनारे जॉय ट्रेन होने से बच्चों की मौजूदगी अधिक रहती है। ऐसे में हादसे का खतरा बना रहता है। जागरूक मॉर्निंग वॉकर्स ने पहले भी इसकी शिकायत वन्यजीव विभाग से की थी। इसके बावजूद उसे रेस्क्यू नहीं किया जा रहा। हालांकि, पिंजरा लगाकर खानापूर्ति कर दी गई थी।
बतखों पर किया हमला, दहशत में लोग
सीवी गार्डन में बोटिंग व जॉय ट्रेन के कॉन्ट्रेक्टर शिव शर्मा ने बताया कि 7 दिन पहले 9 दिसम्बरको तालाब में छिपा मगरमच्छ ने बतखों पर हमला कर दिया था। बतखों के जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज सुन स्टाफ सकते में आ गया। मौके पर देखा तो मगरमच्छ बतखों पर हमला कर रहा था। एक बतख को तो खा गया और दूसरी को लहुलूहान कर दिया। लोगों की आवाजाही होने से मगरमच्छ वापस पानी में चला गया। बाद में घायल बतख का पशु चिकित्सा केंद्र ले जाकर इलाज करवाया।
वन अधिकारियों को लिखे पत्र, नहीं किया रेस्क्यू
सीवी गार्डन के कॉन्ट्रेक्टर शिव शर्मा ने बताया कि गार्डन के तालाब में मगरमच्छ लंबे समय है। जबकि, इसी तालाब में पैदल बोटिंग करवाई जाती है। वहीं, जॉय ट्रेन भी यहीं हैं। ऐसे में लोगों व बच्चों की मौजूदगी अधिक रहती है। ऐसे में हादसे का खतरा बना रहता है। मगरमच्छ रेस्क्यू को लेकर हमने वन विभाग के अधिकारियों को कई बार पत्र लिखे लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। विभाग की अनदेखी से बड़ा हादसा हो सकता है। केडीए के अधिकारियों ने भी पत्र भेज रेस्क्यू करवाने की मांग की थी, जिसे भी वन अधिकारियों ने अनदेखा कर दिया। जबकि, पार्क में सुबह-शाम बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
सम्पर्क पोर्टल पर की शिकायत फिर भी नहीं चेता वन विभाग
मॉर्निंग वॉकर डॉ. सुधीर उपाध्याय ने बताया कि गत 6 माह से करीब 8 से 10 फीट लंबा मगरमच्छ सीवी गार्डन के तालाब में डेरा जमाए हुआ है। जिसकी पूर्व में प्रशासनिक व वन अधिकारियों से शिकायत भी की। लेकिन, सुनवाई नहीं हुई। जबकि, मॉर्निंग व इवनिंग वॉक पर प्रतिदिन यहां बड़ी संख्या में शहरवासी व पर्यटक आते हैं। मगरमच्छ कभी पानी में तो कभी जमीन पर झाड़-झंखाड़ं के बीच छिपा रहता है। ऐसे में राहगीरों व बच्चों पर मगरमच्छ के हमले का खतरा बना रहता है। इसके बाद मुख्यमंत्री सम्पर्क पोर्टल पर भी शिकायत की। इसके बाद विभाग को मगरमच्छ पकड़ने की याद आई।
मंदिर के पास मूवमेंट, सर्दियों में बड़ा खतरा
सीवी गार्डन में तालाब किनारे गणेश मंदिर बना हुआ है। जहां बोटिंग के लिए टिकट विंडो है। यहां बड़ी संख्या में बच्चे खेलते हैं। वहीं, श्रद्धालु दर्शन को जाते हैं। ऐसे में मगरमच्छ द्वारा हमला करने का डर लगा रहता है। सर्दियों में मगरमच्छ तालाब से बाहर आने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में वह लोगों पर हमला कर सकता है। वन अधिकारियों की घोर लापरवाही से बड़ा हादसा हो सकता है। पूर्व में मगरमच्छ के फोटो-वीडियो वन्यजीव विभाग के डीएफओ को भेजकर रेस्क्यू का आग्रह किया था। इसके बावजूद वन अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं।
तालाब किनारे चिल्लाती 39 बतखें
डॉ. गुप्ता ने बताया कि गार्डन में करीब 40 बतखें थी, जो मगरमच्छ के डर के मारे पिछले कई महीनों से पानी में नहीं उतरी। 9 दिसम्बर को मगरमच्छबतखों पर हमला कर एक को खा गया और दूसरी को जख्मी कर दिया। पानी में नहीं उतरने से बतखों का भोजन का संकट हो गया। तालाब किनारे छोटे बड़े पौधे व झाड़ियां उगी हुई हैं। जहां मगरमच्छ पानी से निकल घात लगाकर छिपा रहता है। जिससे हादसे का खतरा बना रहता है।
तालाब में बोटिंग व किनारे पर जॉय ट्रेन
राहगीरों का कहना है, तालाब में केडीए की ओर से बोटिंग करवाई जाती है। बोटिंग के दौरान पानी के बीच में बच्चे व बड़े अनजाने खतरे के साय में रहते हैं। वहीं, तालाब किनारे जॉय ट्रेन की टिकट विंडो है। जहां बच्चों की भीड़ लगी रहती है। वन विभाग की लापरवाही से बड़ा हादसा हो सकता है।
पिंजरा भी उठा ले गए वनकर्मी
मॉर्निंग वॉकर सत्येंद्र सिंह, यूसुफ खान, इरफान व हितेश जोशी ने बताया कि पिछले महीने वन्यजीव विभाग के कर्मचारियों ने तालाब किनारे पिंजरा लगाया था लेकिन मॉनिटरिंग नहीं करते थे। वह पिंजरा देखने तक नहीं आते थे। मगरमच्छ को रेस्क्यू करने का प्रयास ही नहीं किया। वन अधिकारियों की घोर लापरवाही से किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। जिला प्रशासन को हस्तक्षेप कर सीवी गार्डन के तालाब से मगरमच्छ को रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों को पाबंद करना चाहिए।
पानी के अंदर से हम मगरमच्छ को पकड़ नहीं सकते। डेढ़ महीने पिंजरा भी लगाया था। जिसमें कभी श्वान तो कभी अन्य जानवर ट्रैप होता रहा। किसी भी व्यक्ति ने पत्र के माध्यम से अब तक हमसे कोई शिकायत नहीं की है। यहां कॉन्ट्रेक्टर या केडीए को एक व्यक्ति 24 निगरानी के लिए लगाना चाहिए। जब मगरमच्छ पानी से बाहर आए तो हमें सूचना कर दें और हम टीम भेजकर रेस्क्यू करवा लेंगे।
अनुराग भटनागर, डीएफओ वन्यजीव विभाग
मगरमच्छ का पानी से पकड़ नहीं सकते और पकड़ना भी नहीं चाहिए। लोगों की सुरक्षा के उपाए किए जा सकते हैं, बजाए मगरमच्छ को पकड़ने के। तालाब के चारों तरफ सुरक्षा दीवार बनाई जा सकती है और चेतावनी बोर्ड लगा दिए जाए। वैसे भी मगरमच्छ बोटिंग पर हमला नहीं करता।
- रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वनसंरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक वन विभाग
मामला आपके द्वारा संज्ञान में आया है, संबंधित विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर जल्द से जल्द समस्या का निस्तारण करवाएंगे।
- राजेंद्र माथूर, निदेशक अभियांत्रिकी केडीए
Comment List