रेपो दर में कटौती से निवेश धारणा को नहीं मिला बल, शेयर बाजार में तीसरे दिन भी गिरावट
शेयर बाजार लगातार तीसरे दिन गिरकर बंद हुआ
बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 197.97 अंक की गिरावट लेकर 77,860.19 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 43.40 अंक टूटकर 23,559.95 अंक पर आ गया।
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रेपो दर में चौथाई फीसदी की कटौती से निवेश धारणा को बल नहीं मिला, जिससे ऊर्जा, एफएमसीजी, इंडस्ट्रियल्स और तेल एवं गैस समेत बारह समूहों में हुई बिकवाली से शेयर बाजार लगातार तीसरे दिन गिरकर बंद हुआ। बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 197.97 अंक की गिरावट लेकर 77,860.19 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 43.40 अंक टूटकर 23,559.95 अंक पर आ गया। हालांकि बीएसई की दिग्गज कंपनियों के विपरीत छोटी कंपनियों के शेयरों में मिलाजुला रुख रहा। इस दौरान मिडकैप 0.13 प्रतिशत बढ़कर 43,050.27 अंक पर पहुंच गया, जबकि स्मॉलकैप 0.68 प्रतिशत का गोता लगाकर 50,164.22 अंक पर आ गया।
इस दौरान बीएसई में कुल 4064 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2402 में गिरावट, जबकि 1520 में तेजी रही वहीं 142 में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसी तरह निफ्टी की 23 कंपनियां लाल, जबकि 28 हरे निशान पर रही।
विश्लेषकों के अनुसार आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की व्यापक रूप से अपेक्षा की जा रही थी, जिसके कारण इस फैसले पर शेयर बाजार में कोई बड़ा उछाल नहीं देखा गया। वास्तव में भारत के 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड में उछाल आया, क्योंकि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से तटस्थ रुख बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया। ब्याज दर में कटौती सही दिशा में एक सकारात्मक कदम है, लेकिन आगे की कटौती का आकार और समय मुख्य रूप से अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति पर निर्भर करेगा। यदि फेड दरों में आक्रामक कटौती करता है तो आरबीआई के लिए भी आगे दरों में कटौती का मार्ग आसान हो सकता है। इसके विपरीत यदि अमेरिकी दरें ऊंची बनी रहती हैं, तो भारतीय मौद्रिक नीति को अधिक सतर्क दृष्टिकोण अपनाना पड़ सकता है।
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