महीनों तक शुष्क मौसम रहने के बाद हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी और बारिश
मौसम विभाग ने दोपहर बाद हल्की से मध्यम बारिश और हिमपात का लगाया अनुमान
अधिकारियों ने अत्यधिक ठंड और सड़कों पर फिसलन बढऩे से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों के प्रति आगाह किया है।
शिमला। हिमाचल प्रदेश में कई महीनों तक मौसम शुष्क रहने के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में बर्फबारी और बारिश हुई। शिमला के रिज मैदान, कुफरी और सिरमौर के चूड़धार जैसे लोकप्रिय स्थलों में मौसम की पहली हल्की बर्फबारी हुई। रोहतांग दर्रा, बारालाचा और लाहौल-स्पीति में कुंजुम दर्रा सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ताजा हिमपात हुआ, जिससे प्राकृतिक आकर्षण बढ़ गया। राज्य में शीतलहर का प्रकोप जारी है, जिससे तापमान में तेजी से गिरावट आई है। हिमाचल में अधिकतम तापमान में पांच से छह डिग्री की गिरावट दर्ज की गई, जबकि सात स्थानों पर न्यूनतम तापमान शून्य के करीब पहुंच गया। लाहौल-स्पीति के ताबो में मौसम का सबसे कम तापमान -13.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। नारकंडा, मनाली और सोलन सहित अन्य क्षेत्रों में पारा शून्य के आसपास पहुंच गया। कुल्लू और बिलासपुर के कुछ हिस्सों में हल्की बूंदाबांदी हुई, जिससे सर्दी बढ़ गई। बर्फबारी के कारण कुछ इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा।
अटल सुरंग और सिस्सू मार्ग फिसलन वाला हो गया, जिससे ट्रैफिक जाम हो गया और लगभग 100 पर्यटक फंस गए। बाद में उन्हें सुरक्षित बचा लिया गया। लाहौल-स्पीति के पुलिस अधीक्षक मयंक चौधरी सहित विभिन्न अधिकारियों ने यात्रियों से अपनी यात्रा की योजना बनाने से पहले मौसम की स्थिति के बारे में अपडेट रहने का आग्रह किया है। चंबा के आदिवासी क्षेत्रों में काफी बर्फबारी हुई, जिसमें साचे जोत में 30 सेंटीमीटर तक बर्फ पड़ी। आसपास के इलाकों जैसे हुदान भटोरी और सुराल भटोरी में 15 सेंटीमीटर बर्फबारी दर्ज की गई, जबकि भरमौर के कुगति और मणि महेश में छह सेंटीमीटर बर्फबारी हुई। मौसम में परिवर्तन होने से निवासियों और पर्यटकों को राहत मिली है, सुरम्य बर्फबारी ने क्षेत्र की सुंदरता को फिर से जीवंत कर दिया है। अधिकारियों ने अत्यधिक ठंड और सड़कों पर फिसलन बढऩे से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों के प्रति आगाह किया है।
मौसम विभाग ने दोपहर बाद हल्की से मध्यम बारिश और हिमपात का अनुमान लगाया है। आसमान में आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे, लेकिन शाम तक मौसम सामान्य हो जाएगा। धूल और कोहरे के साफ होने के बाद राज्य में वायु गुणवत्ता में सुधार होने की संभावना है; हालांकि, बारिश और बर्फबारी की मात्रा किसानों और सेब उत्पादकों को राहत प्रदान करने के लिए पर्याप्त नहीं है, क्योंकि लंबे समय तक सूखे के कारण मिट्टी में नमी का स्तर पर्याप्त नहीं है।
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