सतरंगी सियासत

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संसदीय बोर्ड बनाम 36 कौम : ट्वीट्स से ट्वीस्ट : दांव आधी आबादी पर! : दर्द कुछ और! : भारत खोल रहा पत्ते! : एक और ‘खेला’!

संसदीय बोर्ड बनाम 36 कौम...
राज्य में विधानसभा चुनाव में दो साल बाकी। लेकिन विपक्षी दल भाजपा में सीएम पद को लेकर यदाकदा दावे प्रतिदावे हो रहे। ताजा बयान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का। कहा, भविष्य में राज्य का मुख्यमंत्री वही बनेगा। जिसे राज्य की 36 कौम का प्यार और आशीर्वाद मिलेगा। यानी मरुधरा की जनता का भरपूर समर्थन मिलेगा। जब वसुंधरा राजे कुछ बोलें और उसके सियासी मायने नहीं हो। ऐसा कैसे हो सकता है? वहीं, भाजपा के अन्य नेता इन सवालों पर कहते रहे। सीएम पद पर निर्णय भाजपा संसदीय बोर्ड करेगा। यही पार्टी में व्यवस्था। चुनाव होने दें और परिणाम आने दें। उसी समय सब चीजें तय कर ली जाएंगी। मतलब जिसे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का विश्वास हासिल होगा। वही सीएम की कुर्सी संभालेगा। सवाल यह कि ऐसी बातें अभी से ही क्यों राजनीतिक गलियारे में तैर रहीं? असल में, काफी समय से पूर्व सीएम राजे असक्रिय। उनकी पुत्रवधु की तबीयत लंबे से समय से नासाज। जब राजे सक्रिय होंगी। तो बयानबाजी भी होगी!


ट्वीट्स से ट्वीस्ट..

सीएम गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने बुधवार को रात को तीन ट्वीट किए। कहा, 16 अक्टूबर को दिल्ली में राहुल गांधी और अशोक गहलोत के बीच ‘वन टू वन’ कोई बैठक नहीं हुई। बल्कि इसमें प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल एवं अजय माकन भी थे। मीडिया ने मनगढ़ंत एवं गलत रिपोर्ट किया। लेकिन खंडन आया तीन दिन बाद, 20 अक्टूबर को। सो, जिज्ञासा होनी ही थी। असल में, पंजाब के पूर्व सीएम अमरिन्दर सिंह एक नया दल बनाकर कांग्रेस को चुनौती देने के मूड में। करेला नीम चढ़ा यह कि उन्होंने भाजपा से सीट शेयरिंग की शर्त भी सार्वजनिक कर दी। जबकि ‘गहलोत-राहुल’ की बैठक के बाद राजस्थान में कई ‘खबरें’ तैर रहीं। मतलब, उन्हें सब कुछ ठीक करने का निर्देश! मामला मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का। सो, कहीं ऐसा तो नहीं ‘जादूगरजी’ आलाकमान को संदेश दे रहे हों! पंजाब जैसे हालात होते देर नहीं लगेगी। अमरिन्दर सिंह के एक्शन के बाद यह टाइमिंग बड़ा महत्वपूर्ण। इन सबमें, ‘ट्वीट्स से ट्वीस्ट’ जरुर पैदा हो गया।


दांव आधी आबादी पर!
प्रियंका गांधी ने यूपी विधानसभा चुनाव में 40 फीसद टिकट महिलाओं को देने का ऐलान करके एक बार तो महफिल लूट ली। बाद में ज्यों-ज्यों इसके निहितार्थ सामने आए। परतें खुलती चली गर्इं। असल में, बीते करीब तीन दशकों से कांग्रेस राज्य की सत्ता से बाहर। अब वह अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस पाने को लालायित। प्रियंका की चुनाव के बहाने इसकी तलाश जारी। ऐसे में कोई भी राजनीतिक दांव खेलने में जा क्या रहा? मुस्लिम और यादव की राजनीति सपा कर रही। तो दलित और मुस्लिम की बसपा। बाकी बची भाजपा। जो हिन्दुत्व के सहारे बाकी जातियों को गोलबंद करने में पिछली बार सफल रही। ऐसे में इन सपा-बसपा के बीच वही वोट बैंक बंट चुका। जो कभी कांग्रेस का मजबूत स्तंभ रहा। मतलब दलित, मुस्लिम एवं ब्राह्मण समाज का तानाबाना। सीधा सवाल? कांग्रेस आधी आबादी वाला यह फार्मूला वहां क्यों नहीं लागू करती, जहां वह सत्ता में? यह प्रयोग यूपी में ही क्यों? जबकि ‘ट्रेडिशनल पोलटिक्स’ के दिन अब लद रहे।


दर्द कुछ और!
मोदी सरकार ने सीमावर्ती राज्यों में बीएसएफ का जांच, हिरासत और तलाशी का दायरा 15 से 50 किमी कर दिया। इससे ममता बनर्जी आग बबूला। हों भी क्यों नहीं? आखिर राज्य की आधी विधानसभा सीटें एवं आधी लोकसभा सीटें इस फैसले की जद में आएंगी। फिर राज्य पुलिस और बीएसएफ के बीच टकराव की आशंकाएं जताई जा रहीं। जबकि 15 किमी के पूर्व के दायरे में पहले ऐसा नहीं हुआ। तो अब क्या समस्या? असल में, केन्द्र सरकार के इस फैसले से टीएमसी के राजनीतिक हित टकराने की संभावना। सारे अवैध काम सीमावर्ती क्षेत्रों में ही ज्यादा होते। पड़ोस में बांग्लादेश की सीमा। जहां से बड़ी संख्या में घुसपैठ, नकलर मुद्रा एवं अवैध तस्करी की समस्या। भाजपा का आरोप। ममता सरकार इन्हें रोकने के बजाए बढ़ावा देतीं रही। हालांकि ममता ने लोकतंत्र एवं संघवाद के आधार पर घोर आपत्ति जताई। लेकिन असल में सारा मामला वोट बैंक का। जिससे ममता को अपनी राजनीति प्रभावित होने की आशंका। सो, तीखा और तीव्र विरोध तो होगा ही।

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भारत खोल रहा पत्ते!

अफगानिस्तान पर अब भारत अपने पत्ते धीरे-धीरे खोल रहा। दिल्ली में अगले माह अफगानिस्तान पर संवाद के लिए अमेरिका एवं रूस समेत इस हिंसाग्रस्त देश के पड़ोसियों को भी बुलाया गया। अगुवाई करेंगे एनएसए अजित डोभाल। इससे पहले अमेरिका एवं रूस के एनएसए भारत का दौरा कर चुके। ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई-6 के चीफ भी आ चुके। सो, पाक एवं चीन के कान खड़े होना लाजमी। और यदि मिशन के अगुआ डोभाल हों। तो पाक का परेशान होना स्वाभाविक। भारत ने पूर्व में अमेरिका, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया के साथ किए गए क्वाड समझौते का पश्चिम में भी विस्तार कर दिया। इसमें अमेरिका, यूएई के अलावा इजराइल भी। अब दुनिया के फलक पर भारत अपना कूटनीतिक असर एवं प्रभाव दिखाने को आतुर। अफगानिस्तान पर भारत की पहल को अमेरिका खारिज नहीं कर सकता। क्योंकि अब तक उसका कथित रूप से पाकिस्तान साथ देता रहा। लेकिन वह चीन के कर्ज में उलझ गया। अब भारत द्वारा अफगानिस्तान पर फेंके जाने वाले पत्ते क्या रंग दिखाएंगे? इसका इंतजार!

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एक और ‘खेला’!
कांग्रेस को लगातार यूपी में ‘पोलिटिकल स्पेस’ मिल रहा। प्रियंका गांधी इन दिनों खासा सक्रिय। योगी सरकार को वह प्रभावित करती दिख रहीं। लेकिन भाजपा एक और ‘खेला’ करने की तैयारी में। मायावती के सामने बैबीरानी मौर्य को आगे बढ़ाया जा रहा। उनके बहाने भाजपा मायावती के कोर वोटों में सेंध लगाने की फिराक में। बैबीरानी मौर्य उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकीं। पहले उनका इस्तीफा करवा गया। फिर भाजपा की राष्ट्रीय टीम में स्थान दिया गया। मतलब उनका पोलिटिकल प्रोफाइल बढ़ाया जा रहा। यह मायावती को घेरने की तैयारी। उनके कोर वोट बैंक पर सेंध लगाने के लिए कांग्रेस को भी साथ में स्पेस दिया जा रहा। जबकि सपा में चाचा, भतीजा का झगड़ा फिर उबाले मार रहा। सीट बंटवारे पर बात नहीं बन रही। सो, सपा का कोर वोट भी बंटेगा। भाजपा विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव के बहाने उसके विधायक दल में पहले ही सेंध लगा चुकी। मतलब, भाजपा यूपी में विपक्ष के वोट को कई स्तरों पर बांटने एवं बंटवाने की तैयारी में।

        दिल्ली डेस्क
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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