पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन

दिल्ली के एम्स में ली अंतिम सांस, कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग रद्द

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन

डॉक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद डॉ. सिंह का नौ बजकर 51 मिनट पर निधन हो गया

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार देर शाम राष्ट्रीय राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। उनके निधन के बाद कर्नाटक के बेलगावी में चल रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग रद्द कर दी गई है। डॉक्टर सिंह को सांस लेने में तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सिंह को आठ बजकर पांच मिनट पर अस्पताल लाया गया और उन्हें तुरंत चिकित्सा प्रदान की गई। डॉक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद डॉ. सिंह का नौ बजकर 51 मिनट पर निधन हो गया। डॉक्टर सिंह के निधन का समाचार मिलने पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी अस्पताल पहुंची। उनके निधन पर शोक जताते हुए राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने अपना गुरु खो दिया। डॉ. सिंह वर्ष 2004 से वर्ष 2014 तक प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले वह वित्त मंत्री और वित्त सचिव भी रह चुके हैं। नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान अर्थव्यवस्था के उदारीकरण में उनकी केंद्रीय भूमिका मानी जाती है। डॉ. सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव में हुआ था। डॉ. सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर की तीन बेटियां हैं। देश के चौदहवें प्रधानमंत्री डॉ. सिंह अपनी नम्रता, कर्मता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं।

राजस्थान से रहे राज्यसभा सांसद
मनमोहन सिंह 3 अप्रैल को राज्यसभा से रिटायर हुए थे। वे 1991 में पहली बार असम से राज्यसभा पहुंचे थे। तब से करीब 33 साल तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। छठी और आखिरी बार वे 2019 में राजस्थान से राज्यसभा सांसद बने थे। मनमोहन सिंह की सीट पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पहली बार राज्यसभा पहुंची थीं। 20 फरवरी को उन्हें राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुना गया था। 

मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए एक्स पर अपने संदेश में लिखा, ‘भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक मना रहा है। साधारण परिवार से उठकर वह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर एक मजबूत छाप छोड़ी। संसद में उनका हस्तक्षेप भी व्यावहारिक था। हमारे प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए। 

डॉ. मनमोहन सिंह के नाम कई उपलब्धियां
मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में कार्य करते हुए साल 1991 में शुरू किए गए आर्थिक उदारीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसमें सरकारी नियंत्रण को कम करना, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ाना और स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स को लागू करना शामिल था, जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया था।

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राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा): 2005 में शुरू किए गए इस अधिनियम ने प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के वेतन रोजगार की गारंटी दी, जिससे लाखों लोगों की आजीविका में उल्लेखनीय सुधार हुआ और ग्रामीण बुनियादी ढांचे में वृद्धि हुई।

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सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीई): 2005 में पारित आरटीआई ने नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों से जानकारी मांगने का अधिकार दिया, जिससे शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिला।

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आधार की सुविधा: आधार परियोजना निवासियों को विशिष्ट पहचान प्रदान करने, विभिन्न सेवाओं तक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए शुरू की गई थी।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण : डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण को लागू किया, जिसने कल्याण वितरण को सुव्यवस्थित किया और कई खामियों को दूर किया।

 कृषि ऋण माफी : कृषि संकट को दूर करने के लिए 60,000 करोड़ रुपए के ण माफी के माध्यम से किसानों को राहत प्रदान की।

भारत-अमेरिका परमाणु सौदा: मनमोहन सिंह की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर बातचीत थी। इस समझौते के तहत, भारत को परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह से छूट मिली। इसके तहत भारत को अपने नागरिक और सैन्य रमाणु कार्यक्रमों को अलग करने की अनुमति मिली। इस डील के तहत भारत को उन देशों से यूरेनियम आयात करने की अनुमति मिली,जिनके पास यह तकनीक है।

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