किम जोंग ने आवाज से 12 गुना तेज चलने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल की लॉन्च, अमेरिका को भी दिया संदेश
कार्बन फाइबर से बना इंजन है
मिसाइल ने लॉन्च के बाद समुद्र में गिरने से पहले तकरीबन 1,100 किमी उड़ान भरी।
प्योंगयांग। उत्तर कोरिया ने एक नई हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है। मिसाइल लॉन्च की उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन ने खुद अपनी बेटी के साथ बैठकर मॉनिटरिंग सिस्टम के जरिए निगरानी की। ये हाइपरसोनिक मिसाइल ध्वनि की गति से 12 गुना ज्यादा रफ्तार से उड़ान भर सकती है और इसकी मारक क्षमता 1,500 किमी तक है। इसने उत्तर कोरिया की सैन्य ताकत में अहम बढ़ोत्तरी की है। इससे उत्तर कोरिया के प्रतिद्वन्द्वी दक्षिण कोरिया और अमेरिका की चिंता बढ़ गई है। दोनों देशों ने इस मिसाइल लॉन्च की निंदा की है। उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी के अनुसार, उनकी यह मिसाइल प्रशांत क्षेत्र में किसी भी प्रतिद्वंदी को काबू में रखने के लिए है। ये लॉन्च इसलिए भी खास है क्योंकि हाइपरसोनिक मिसाइलों की रफ्तार सामान्य मिसाइलों से बहुत तेज होती है। इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना बहुत मुश्किल होता है। इस नई मिसाइल में नया गाइडेंस कंट्रोल सिस्टम और कार्बन फाइबर से बना इंजन है। मिसाइल ने लॉन्च के बाद समुद्र में गिरने से पहले तकरीबन 1,100 किमी उड़ान भरी।
अमेरिका को भी दिया संदेश
किम जोंग ने कहा कि लॉन्च के जरिए प्रतिद्वंद्वियों को साफ-साफ बता रहे हैं कि हम अपने वैध हितों की रक्षा के लिए किसी भी साधन का उपयोग करने के लिए तैयार हैं। यह लॉन्च हमारे दुश्मनों को संदेश है। उत्तर कोरिया ने इस लॉन्च से अमेरिका को भी संदेश देने की कोशिश की है। उत्तर कोरिया ने यह परीक्षण सोमवार को ऐसे समय किया, जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन दक्षिण कोरिया में मौजूद थे। दक्षिण कोरिया ने इसे उकसावे की कार्रवाई कहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर कोरिया यह परीक्षण अप्रत्याशित नहीं है। उत्तर कोरिया कई वर्षों से मिसाइलों में कार्बन फाइबर जैसे पदार्थों का इस्तेमाल कर रहा है। कानेर्गी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में परमाणु हथियार विशेषज्ञ अंकित पांडा ने कहा कि उत्तर कोरिया कई वर्षों से मिसाइलों में उपयोग के लिए समग्र सामग्रियों के साथ काम कर रहा है। वह अपनी ताकत को लगातार बढ़ा रहा है।
हाइपरसोनिक तकनीक लगातार हो रही बेहतर
हाइपरसोनिक हथियार नए नहीं हैं, ये दशकों से मौजूद हैं लेकिन हाल के वर्षों में विकसित नई मिसाइलें कहीं ज्यादा मारक हैं। ये वातावरण में तेजी से प्रवेश करती हैं और बचाव के लिए दिशा बदलती हैं। सेंटर फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन-प्रोलिफरेशन के अनुसार, हाइपरसोनिक मिसाइलों का पता अंतरिक्ष-आधारित सेंसर से ही लगाया जा सकता है।
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