मोदी सरकार ने सहकारिता क्षेत्र में किया बड़ा बदलाव : देश में केंद्रीय सहकारिता विभाग का किया गठन, अमित ने कहा- कभी थी अनियमन की स्थिति
कुछ जगह पूरी तरह विनाश हुआ
देश में जिस तेजी से परिस्थितियां बदलीं, उनके अनुरूप कानून नहीं बदले गए। उस समय कभी भी राष्ट्रीय स्तर पर समग्रता के साथ विचार नहीं हुआ।
भोपाल। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित ने कहा कि देश में सहकारिता आंदोलन में कभी 'अनियमन की स्थिति थी, लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने साढ़े तीन सालों के दौरान सहकारिता के क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया है। अमित ने यहां राज्य स्तरीय सहकारी सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, राज्य के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग और पशुपालन मंत्री लखन पटेल समेत अनेक जनप्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। इस मौके पर राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और मध्यप्रदेश डेयरी फेडरेशन के मध्य समझौते पर हस्ताक्षर भी हुए, जिसके तहत राज्य में डेयरी क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाए जाएंगे।
अपने संबोधन में कहा कि एक समय था, जब देश में सहकारिता आंदोलन में अनियमन था। कुछ राज्यों में यह काफी आगे था। कुछ जगह इसका सरकारीकरण हुआ, तो कुछ जगह पूरी तरह विनाश हुआ। देश में सहकारी आंदोलन बटा हुआ था, इसकी मुख्य वजह यह थी कि कानूनों में समय के साथ बदलाव नहीं किया गया। देश में जिस तेजी से परिस्थितियां बदलीं, उनके अनुरूप कानून नहीं बदले गए। उस समय कभी भी राष्ट्रीय स्तर पर समग्रता के साथ विचार नहीं हुआ।
अमित ने कहा कि मोदी सरकार ने देश में 75 साल बाद केंद्रीय सहकारिता विभाग का गठन किया। इसका मंत्री उन्हें बनाया गया। उन्होंने मंत्री बनने के बाद सबसे पहले प्राथमिक सहकारी समितियों में सुधार के लिए आदर्श ''बाय लॉज बनाए और उन्हें सभी राज्यों को भेज दिया। प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सभी राज्यों ने इन ''बाय लॉज को लागू कर दिया और इसके साथ ही सहकारिता क्षेत्र में सुधार प्रारंभ हो गया। उन्होंने कहा कि वे सभी राज्यों को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं। केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि इन सुधारों की वजह से अब ''पैक्स 20 से ज्यादा काम करने लगे हैं और उनकी आय भी बढ़ी है, जबकि एक समय पैक्स केवल अल्पकालीन किसान ऋण से संबंधित कार्य करते थे, जिससे उन्हें सिर्फ आधा प्रतिशत का मुनाफा होता था। अब पैक्स आयुष्मान भारत से जुड़ी सस्ती दवाएं बेच रहा है। जल वितरण का कार्य भी कर रहे हैं। आने वाले समय में ये और अधिक काम करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से मुहैया कराए गए 25 हजार करोड़ रुपए के खर्चे से पूरे देश में पैक्स का कंप्यूटराइजेशन कर दिया गया है। इस कार्य में मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर रहा।
अमित ने कहा कि मध्य प्रदेश में कृषि, सहकारिता और पशुपालन के क्षेत्र में ढेर सारी संभावनाएं हैं। अब इन्हीं संभावनाओं का दोहन करने का निर्णय लिया गया है। आज वे यहां पर एनडीडीबी और एमपी फेडरेशन के बीच हुए समझौते के साक्षी बने हैं। मध्यप्रदेश में साढ़े पांच करोड़ लीटर दुग्ध उत्पादन है, जो देश का नौ प्रतिशत है। जबकि सरकारी डेयरियों में इसका एक प्रतिशत से भी कम संग्रहण होता है। उनका कहना है कि किसान जब ''ओपन मार्केट में दूध बेचने जाता है, तो उसका शोषण होता है। अब किसानों का शोषण रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अब प्राथमिक डेयरियों का विस्तार करना है। दुग्ध संग्रहण बढ़ाना है। पशुओं की नस्ल सुधारना है, ताकि दुग्ध उत्पादन बढ़ सके और दूध से जुड़े अन्य उत्पादों का भी उत्पादन हो सके।
केंद्रीय मंत्री ने मध्य प्रदेश से संबंधित अनेक आकड़े प्रस्तुत किए और कहा कि अब शेष 83 प्रतिशत गांवों तक दुग्ध सहकारी संघों के पहुंचने का मार्ग खुल गया है। अब अनुबंध के तहत पांच साल में 50 प्रतिशत गांवों में दुग्ध उत्पादन समितियां बनाने का लक्ष्य है। उन्होंने संबंधित विभागों से आग्रह किया कि इस दौरान दुग्ध गुणवत्ता की जांच और किसानों को हर सप्ताह भुगतान सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने समझौते के तहत तए किए गए लक्ष्यों के संबंध में कहा कि इनका फिर से निर्धारण किया जाना चाहिए। अब मध्य प्रदेश में सुशासन है, इसलिए और बेहतर लक्ष्य तय करके इन्हें हासिल किया जा सकता है।
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