मौद्रिक नीति समिति बैठक: नीतिगत दरें लगातार 10वीं बार यथावत, महंगाई पर नजर
यूपीआई लाइट और यूपीआई 123 की भुगतान सीमा में बढ़ोतरी का निर्णय
रेपो दर के साथ ही सभी प्रमुख नीतिगत दरें यथावत हैं और मौद्रिक नीति के रूख को न्यूट्रल रखने का निर्णय लिया है।
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई पर कड़ी नजर रखते हुये लगातार 10वीं बार नीतिगत दरों को यथावत रखने का फैसला किया है जिससे ब्याज दरों में कमी की उम्मीद लगाये आम लोगों को निराशा हाथ लगी है। मई 2022 से 250 आधार अंकों तक लगातार 6 बार दर वृद्धि के बाद अप्रैल 2023 में दर वृद्धि चक्र को रोक दिया गया था और यह अभी भी इसी स्तर पर है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि नवगठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बहुमत से मौद्रिक नीति को यथावत बनाए रखने का फैसला किया है। समिति के छह में से पांच सदस्यों ने इस निर्णय का समर्थन किया है। इसके मद्देनजर रेपो दर के साथ ही सभी प्रमुख नीतिगत दरें यथावत हैं और मौद्रिक नीति के रूख को न्यूट्रल रखने का निर्णय लिया है।
समिति के इस निर्णय के बाद फिलहाल नीतिगत दरों में बढोतरी नहीं होगी। रेपो दर 6.5 प्रतिशत, स्टैंडर्ड जमा सुविधा दर (एसडीएफआर) 6.25 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग सुविधा दर (एमएसएफआर) 6.75 प्रतिशत, बैंक दर 6.75 प्रतिशत, फिक्स्ड रिजर्व रेपो दर 3.35 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात 4.50 प्रतिशत, वैधानिक तरलता अनुपात 18 प्रतिशत पर यथावत है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) को व्यापक रूप से अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए यूपीआई लाइट और यूपीआई 123 के उपयोगकर्ताओं के लिए भुगतान की सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद यह घोषणा की।
उन्होंने कहा कि यूपीआई 123 को मार्च 2022 में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य फीचर-फोन उपयोगकर्ताओं को यूपीआई का उपयोग करने में सक्षम बनाना था। यह सुविधा अब 12 भाषाओं में उपलब्ध है। वर्तमान में यूपीआई 123पे में प्रति-लेनदेन सीमा 5000 रुपये तक सीमित है। उपयोग के मामलों को व्यापक बनाने के लिए हितधारकों के परामर्श से प्रति-लेनदेन सीमा को बढ़ाकर 10,000 रुपये करने का निर्णय लिया गया है। एनपीसीआई को जल्द ही आवश्यक निर्देश जारी किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यूपीआई लाइट की वर्तमान में प्रति लेनदेन 500 रुपये की सीमा और यूपीआई लाइट वॉलेट के लिए 2000 रुपये की कुल सीमा लागू है, जिसमें ऑटो-रिप्लेनिशमेंट की सुविधा भी शामिल है। इस उत्पाद के उपयोग के दायरे को बढ़ाने के लिए अब यूपीआई लाइट वॉलेट की सीमा को बढ़ाकर 5,000 रुपये और प्रति लेनदेन सीमा को बढ़ाकर 1,000 रुपये करने का निर्णय लिया गया है। ऑफलाइन डिजिटल मोड में छोटे मूल्य के भुगतान की सुविधा के लिए रिजर्व बैंक द्वारा जारी रूपरेखा, जिसके तहत यूपीआई लाइट को सक्षम किया गया है, में उचित संशोधन किया जाएगा।
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