ऑपरेशन सिंदूर केस : सुप्रीम कोर्ट की बड़ी राहत, पत्रकार वरदराजन की गिरफ्तारी पर रोक
अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया
उच्चतम न्यायालय ने 'ऑपरेशन सिंदूर' से संबंधित खबर के आधार पर असम पुलिस की ओर से दर्ज मुकदमे के मामले में पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन को अंतरिम राहत
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 'ऑपरेशन सिंदूर' से संबंधित खबर के आधार पर असम पुलिस की ओर से दर्ज मुकदमे के मामले में पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन को अंतरिम राहत देते हुए उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई करने पर मंगलवार को रोक लगा दी। इसके साथ ही अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म और वरदराजन की ओर से दायर रिट याचिका पर यह अंतरिम आदेश पारित किया। याचिका में राजद्रोह कानून के दंडात्मक प्रावधान, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 की वैधता को चुनौती दी गई है।
पीठ ने उनके अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद राहत दी और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। अदालत ने इस मामले को सेवानिवृत्त मेजर जनरल एस जी वोम्बटकेरे की एक अन्य याचिका के साथ संलग्न कर दिया, जिसमें बीएनएस की धारा 152 की वैधता को चुनौती दी गई है। पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि मीडियाकर्मियों को एक अलग वर्ग के रूप में नहीं माना जा सकता।
पीठ ने यह भी कहा कि जब अपराध किसी समाचार माध्यम द्वारा प्रकाशित लेखों से संबंधित हो तो हिरासत में पूछताछ आवश्यक नहीं हो सकती क्योंकि ये ऐसे मामले हैं जिनमें हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं होती।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने तर्क दिया कि नया प्रावधान अस्पष्ट और व्यापक है और इससे मीडिया के रिपोर्टिंग के अधिकार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। अदालत ने राजद्रोह से संबंधित भारतीय न्याय संहिता (आईपीसी की धारा 124-ए की जगह लेने वाला प्रावधान) की धारा 152 की संवैधानिक वैधता की जांच करने पर आइ अगस्त को सहमति व्यक्त की थी।

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