पाकिस्तान ने किया सिंधु जल संधि के सिद्धांतों का उल्लंघन, विदेश मंत्रालय ने संसदीय समिति को दी जानकारी
परिस्थितियां पूरी तरह बदल गई हों
विदेश मंत्रालय ने कहा कि सिंधु जल संधि पर पुन: बातचीत करने की आवश्यकता है ताकि इसे 21वीं सदी के लिए उपयुक्त बनाया जा सके।
नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने सिंधु जल संधि स्थगन को लेकर संसदीय समिति को जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि के सिद्धांतों का उल्लंघन किया। इसलिए भारत ने संधि को स्थगित करने का फैसला किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इंजीनियरिंग तकनीक, जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के पिघलने से हालात में आए बदलावों के कारण संधि की शर्तों पर फिर से बातचीत करना जरूरी हो गया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ब्रीफिंग में कहा कि 1960 की संधि की प्रस्तावना में कहा गया है कि इसे सद्भावना और मित्रता की भावना के आधार पर तैयार किया गया है, लेकिन पाकिस्तान ने इन सभी सिद्धांतों को प्रभावी रूप से स्थगित कर दिया। हाल ही में मिस्री ने संसदीय समिति को पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर सहित भारतीय कार्रवाईयों के बारे में जानकारी दी थी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि संधि पर हस्ताक्षर के बाद से जमीनी हालात में आए बदलावों के कारण भारत लगातार बातचीत करने के लिए पाकिस्तान से कह रहा है, लेकिन पाकिस्तान ने इस अनुरोध पर गौर ही नहीं किया।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि सिंधु जल संधि पर पुन: बातचीत करने की आवश्यकता है ताकि इसे 21वीं सदी के लिए उपयुक्त बनाया जा सके। यह 1950 और 1960 के दशक की इंजीनियरिंग तकनीकों पर आधारित है। इनमें स्वच्छ ऊर्जा की खोज के अलावा संधि के अंतर्गत अधिकारों और दायित्वों के वितरण के लिए पुन: बातचीत की आवश्यकता भी शामिल है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि संधि की प्रस्तावना में कहा गया है कि इसे सद्भावना और मैत्री की भावना से संपन्न किया गया है। इन सभी सिद्धांतों को पाकिस्तान ने प्रभावी रूप से स्थगित कर दिया है। पाकिस्तान लगातार जारी सीमा पार आतंकवाद, संधि के प्रावधानों के अनुसार इसका लाभ उठाने की हमारी क्षमता में बाधा डालता है। जब परिस्थितियां पूरी तरह बदल गई हों तो संधि को स्थगित रखना स्वाभाविक और भारत के अधिकार क्षेत्र में है।

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