हत्या के आरोप 7 वर्ष से जेल में बंद था : जिंदा मिली महिला, कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा- ये झकझोरने वाला मामला

पुलिस ने मेहनत नहीं की

हत्या के आरोप 7 वर्ष से जेल में बंद था : जिंदा मिली महिला, कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा- ये झकझोरने वाला मामला

कोर्ट ने कहा कि आरोपी की जमानत याचिका को स्वीकार किया जाता है और निर्देश दिया जाता है कि आरोपी को तत्काल जमानत पर रिहा किया जाए।

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिस की जांच की प्रक्रिया पर बड़े सवाल खड़ कर दिए हैं। कोर्ट ने महिला के मर्डर के आरोप में जेल में बंद शख्स को जमानत दे दी। वो साल 2018 से जेल में बंद था। उसे जिस महिला के मर्डर के आरोप में जेल भेजा गया था वो जीवित मिली है। वहीं, जिस युवती की लाश मिली थी, उसकी पहचान अबतक नहीं हो सकी है। जस्टिस गिरीश कठपालिया ने 21 अप्रैल को मामले की सुनवाई की थी। उन्होंने कहा, यह कहना ही होगा कि इस केस की जांच ने कोर्ट की अंतरात्मा को झकझोर दिया है, अभी तक मृतक महिला की पहचान नहीं हो पाई है।

जस्टिस कठपालिया ने कहा- यह बेहद दुखद है कि एक महिला ने 7 साल पहले इतने वीभत्स तरीके से जान गंवा दी थी, उसके शरीर को टुकड़ों में काट दिया गया, लेकिन आज तक उसकी पहचान नहीं हो पाई। कोर्ट ने इस केस में पुलिस को लापरवाही दिखाने पर फटकार भी लगाई। दरअसल, मंजीत केरकेट्टा ने इस आधार पर जमानत की मांग की थी कि वो 2018 से जेल में है, लेकिन अबतक इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है कि हत्या किसी हुई है। क्योंकि जिस महिला सोनी उर्फ छोटी के हत्या के आरोप में उसे जेल भेजा गया, वो जीवित है जिसकी लाश मिली उसकी पहचान नहीं हो सकी है। मंजीत ने कहा कि उसे केवल इस आधार आरोपी बनाया गया उसे आखिरी बार सोनी के साथ देखा गया था। पुलिस ने मंजीत को 17 मई 2018 को गिरफ्तार किया था।

पुलिस ने मेहनत नहीं की
मामले में पुलिस ने पांच शिकायत दर्ज की थीं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा- यह केवल जांचकर्ता (पुलिस) की ही नहीं, बल्कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की भी जिम्मेदारी थी कि उन्हें जांच की निगरानी करनी थी। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने मेहनत नहीं की। वहीं, दूसरे पक्ष ने मंजीत की जमानत का विरोध किया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी को सिर्फ इसलिए आजादी से वंचित नहीं रखा जा सकता क्योंकि पीड़िता की पहचान नहीं हो सकी है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी की जमानत याचिका को स्वीकार किया जाता है और निर्देश दिया जाता है कि आरोपी को तत्काल जमानत पर रिहा किया जाए।

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