मनमोहन के आर्थिक सुधारों का लोहा दुनिया ने माना, मंदी में भी मंद नहीं होने दी देश की अर्थव्यवस्था
उनकी भूमिका को दुनिया भर में सराहा जाता है
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार रात एम्स में निधन हो गया।
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार रात एम्स में निधन हो गया। मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री रहते हुए किए गए आर्थिक सुधारों का लोहा दुनिया ने माना। विश्व में जब मंदी का दौर आया तो महाशक्तियां भी हिल गई लेकिन मनमोहन सिंह के फैसलों के कारण भारत पर इसका नाम मात्र का असर रहा।
पंजाब से ब्रिटेन तक का सफर :
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव में हुआ था। उन्होंने 1948 में पंजाब यूनिवर्सिटी से अपनी मैट्रिक पूरी की। पंजाब से वह ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी तक पहुंचे, जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में फर्स्ट क्लास ऑनर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1962 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल की उपाधि हासिल की। मनमोहन सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाया भी है।
कई सरकारी पदों पर किया काम :
1971 में मनमोहन सिंह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए। इसके तुरंत बाद 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। वह जिन कई सरकारी पदों पर रहे उनमें वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी शामिल है। मनमोहन सिंह 1991 से 1996 के बीच भारत के वित्तमंत्री भी रहे। आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति शुरू करने में उनकी भूमिका को दुनिया भर में सराहा जाता है।
देश-विदेशों में मिले कई सम्मान :
अपने सार्वजनिक करियर में डॉ.मनमोहन सिंह को दिए गए कई पुरस्कारों और सम्मानों में से सबसे प्रमुख भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मानए पद्म विभूषण (1987) है। इसके अलावा उन्हें भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995), साल के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994), साल के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवार्ड (1993), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (1956) का एडम स्मिथ पुरस्कार, कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955) भी मिला था। उन्हें जापानी निहोन किजई शिम्बुन एवं अन्य देशों द्वारा सम्मानित किया गया था। डॉ. मनमोहन सिंह को कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड तथा अन्य कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद उपाधियां प्रदान की गई थीं।
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