Hrishikesh Mukherjee Death Anniversary: ऋषिकेष मुखर्जी ने समाज के संवेदनशील मुद्दों पर बनाई फिल्में, आज भी लोगों में लोकप्रिय है उनकी फिल्में
ऋषिकेष का जन्म 30 सितंबर 1922 को कोलकाता में हुआ था
साल 1959 में ऋषिकेष मुखर्जी को राजकपूर को फिल्म अनाड़ी में निर्देशित करने का मौका मिला। फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई।
मुंबई। बॉलीवुड में ऋषिकेष मुखर्जी को एसे फिल्मकार के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने समाज के हर संवेदनशील मसलों पर फिल्म बनाई और लोगों को जागरूक करने की कोशिश की। ऋषिकेश मुखर्जी ने मानवीय पहलुओं पर फिल्म बनाने के साथ-साथ मनोरंजन के पक्ष को भी कभी अनदेखा नहीं किया। यही कारण है कि उनकी फिल्में आज भी लोगों में लोकप्रिय है।
ऋषिकेष का जन्म 30 सितंबर 1922 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय से पूरी की। इसके बाद कुछ दिनो तक उन्होंने गणित और विज्ञान के अध्यापक के रूप में भी काम किया। चालीस के दशक में ऋषिकेश ने अपने सिने कैरियर की शुरूआत न्यू थियेटर में बतौर कैमरामैन से की। न्यू थियेटर में उनकी मुलाकात जाने माने फिल्म संपादक सुबोध मित्र से हुयी। उनके साथ रहकर ऋषिकेष ने फिल्म संपादन का काम सीखा।इसके बाद ऋषिकेष फिल्मकार विमल राय के साथ सहायक के तौर पर काम करने लगे। ऋषिकेष ने विमल राय की फिल्म दो बीघा जमीन और देवदास का संपादन भी किया।
बतौर निर्देशक ऋषिकेष ने अपने कैरियर की शुरूआत साल 1957 में प्रदर्शित फिल्म मुसाफिर से की। दिलीप कुमार, सुचित्रा सेन और किशोर कुमार जैसे नामचीन सितारो के रहने के बावजूद फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई। वर्ष 1959 में ऋषिकेष मुखर्जी को राजकपूर को फिल्म अनाड़ी में निर्देशित करने का मौका मिला। फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई और इसके साथ ही बतौर निर्देशक ऋषिकेष फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये।
वर्ष 1960 में ऋषिकेष की एक और फिल्म अनुराधा प्रदर्शित हुई। बलराज साहनी और लीला नायडू अभिनीत इस फिल्म की कहानी ऐसी शादी शुदा युवती पर आधारित है जिसका पति उसे छोड़कर अपने आदर्श के निर्वाह के लिये गांव चला जाता है। हालांकि यह फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई लेकिन राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ ही बर्लिन फिल्म फेस्टिबल में भी इसे सम्मानित किया गया। वर्ष 1966 में प्रदर्शित फिल्म आशीर्वाद ऋषिकेष मुखर्जी के कैरियर की सर्वाधिक सुपरहिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म के जरिेए ऋषिकेष ने न सिर्फ जातिगत प्रथा और जमीन्दारी प्रथा पर गहरी चोट की बल्कि एक पिता की व्यथा को भी रूपहले पर्दे पर साकार किया। इस फिल्म में अशोक कुमार पर फिल्माया यह गीत (रेलगाड़ी रेलगाड़ी) उन दिनो काफी लोकप्रिय हुआ था।

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