द डिप्लोमैट : पाकिस्तान में फंसी इंडियन मुसलमान लड़की की दहशत, अजमत को सही सलामत इंडिया वापस लाने की जद्दोजहद
कहानी सच्ची और सीधी है
द डिप्लोमैट पाकिस्तान में फंसी उज्मा अहमद की सच्ची घटना पर बेस्ड है
द डिप्लोमैट पाकिस्तान में फंसी उज्मा अहमद की सच्ची घटना पर बेस्ड है। जिसे कूटनीतिक राजनियक डिप्लोमैट जेपी सिंह अपनी सूझ बुझ से बड़े ही ड्रामेटिक तरीके से इंडिया वापिस लाते है। कहानी शुरू होती है पाकिस्तान से जहां के पहाड़ी इलाकों में बसे आतंकियों के घर से जहां ताहिर (जगजीत संधू)और उसका भाई कार में एक बुर्के वाली को भारतीय दूतावास लेके आते हैं और जैसे ही मौका मिलता है, वो बुर्के वाली लड़की उज्मा अहमद (सादिया खतीब) भारतीय दूतावास में दाखिल हो जाती है, लेकिन किसी फिदायीन हमले और धमाकों के खौफ से इंडियन एंबेसी में अफरा-तफरी मचती हैं। उज्मा उन्हें बताती है की वो इंडियन है और उसे धोखा देकर पाकिस्तान में जबरन शादी कर ताहिर ने जबरदस्ती की, टॉर्चर किया और वो वापस इंडिया जाना चाहती है, वरना वो उसे मार देंगे। जेपी सिंह (जॉन अब्राहम) डिप्टी कमिश्नर है, जिसे यकीन नहीं होता उज्मा सच बोल रही है। वो पूछताछ करता है और अपने सहयोगी तिवारी और अन्य को उसकी जांच पड़ताल के आदेश दे खुद उससे पूछताछ करता है। वो सच बताती है की कैसे उसे मलेशिया में फंसा कर पाकिस्तान वीजा लेकर बुलाया गया और फिर कैसे उसे धोखे से नशे की गोली देकर ताहिर के घर पाक में बुनेर-केपीके में कैद कर लिया जाता है।
जहां पहले ही बहुत सारी औरतें बंदी है और उनके साथ भी गलत सुलूक होता है। पहले जबरदस्ती, फिर बेचा जाता है। ताहिर के प्यार में वो पाकिस्तान आई, लेकिन वो शादी शुदा और उसके काफी बच्चे भी है। उज्मा की बेटी नूर के बारे में जनता है। तो उज्मा से फिर पूछता है पूरी बात क्यों नहीं बताई तब मजबूर शर्म और लाचारी की पूरी दास्तां वो सुनाती है कि वो कैसे मलेशिया में जॉब के लिए गई और अपना पर्स टैक्सी में भूल गई फिर ताहिर ने उसका भरोसा जीता दोस्ती की, मदद की, बेटी के इलाज के लिए भरोसा दिलाया और पाकिस्तान बुला लिया।
जेपी, सुषमा स्वराज (रेवती) से इस मामले में बात करता है और इंडिया वापस आने की उज्मा की उम्मीद को सहारा देता है। उधर पाकिस्तानी सरकार डिप्लोमैट और आईएसआई एजेंट मालिक ये नहीं होने देना चाहते। वो उसे जासूस साबित करने पर तुले है और पाकिस्तानी मीडिया को गलत खबर देकर सारी दुनिया में इंडिया की बदनामी पर तुला है। मामला तुल पकड़े इसलिए जेपी वकील सईद (कुमुद मिश्रा) की मदद लेकर कोर्ट में उज्मा का पक्ष रखता है और पाकिस्तानी मीडिया को भी उज्मा का सच बताता है। हवा का रुख बदलता है। सियासत के पैंतरे भी अदालत में उज्मा का आना और दहशत में खुद का सच बयान करना शतरंज का खेल बन जाता है। कहानी सच्ची और सीधी है।
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