प्राइम वीडियो की हॉरर सीरीज खौफ़ का 240 से अधिक देशों और क्षेत्रों में प्रीमियर

अंग्रेजी में सबटाइटल्स के साथ हिंदी में होगी उपलब्ध

प्राइम वीडियो की हॉरर सीरीज खौफ़ का 240 से अधिक देशों और क्षेत्रों में प्रीमियर

इस कल्पना को साकार करने के लिए साहसी और रचनात्मक दिमागों का एक साथ आना जरूरी था, और इसमें प्राइम वीडियो ने अहम भूमिका निभाई है।

मुंबई। प्राइम वीडियो की आगामी सस्पेंस हॉरर ओरिजिनल सीरीज खौफ का प्रीमियर 18 अप्रैल को होगा। सीरीज खौफ का निर्देशन पंकज कुमार और सूर्या बालकृष्णन ने किया है। आठ एपिसोड वाली यह सीरीज सस्पेंस और डर से भरी हुई है। खौफ में मोनिका पंवार, राजत कपूर, अभिषेक चौहान, गीतांजलि कुलकर्णी और शिल्पा शुक्ला जैसी शानदार कास्ट है। यह सीरीज 18 अप्रैल को भारत में प्राइम वीडियो पर और 240 से अधिक देशों और क्षेत्रों में प्रीमियर होगी, और अंग्रेजी में सबटाइटल्स के साथ हिंदी में उपलब्ध होगी।

निर्माता और लेखिका स्मिता सिंह ने कहा, हॉरर का जादू भावनाओं और वातावरण में बसता है, और खौफ के साथ, हमने एक ऐसी कहानी लिखी है जो न सिर्फ डरावनी और रहस्यमयी है, बल्कि गहरे स्तर पर मानवीय भी है। मधु की यात्रा केवल बाहरी भय से जूझने की नहीं है,बल्कि यह उसके भीतर बसे डर और अतीत के घावों का सामना करने की भी कहानी है। प्राइम वीडियो के साथ काम करना एक अविस्मरणीय अनुभव रहा। वे हमेशा नई और प्रामाणिक आवाजों को मंच देने और अनकही कहानियों को सामने लाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी अटूट प्रतिबद्धता और सहयोग ने खौफ को उसी रूप में साकार करने में मदद की, जैसा मैंने इसे अपनी कल्पना में देखा था। मैं भारत और 240 देशों के दर्शकों के लिए 18 अप्रैल को विशेष रूप से प्रीमियर होने वाली इस सीरीजका अनुभव करने का और इंतजार नहीं कर सकती।

निर्माता संजय राउत्रे, ने कहा, खौफ के जरिए, हमने एक ऐसा सस्पेंस-हॉरर अनुभव बनाने की कोशिश की है, जो न सिर्फ भयावह है बल्कि पूरी तरह से दर्शकों को अपनी दुनिया में समा लेने वाला भी है। पंकज कुमार और सूर्या बालाकृष्णन की कल्पनाशक्ति ने इस कहानी को ऐसा रूप दिया है जो मन में गहराई तक उतरती है, जहाँ डर और हकीकत के बीच की सीमाएँ धुंधली पड़ जाती हैं। इस सीरीज को खास बनाता है स्मिता सिंह का कहानी कहने का अंदाज, जो रहस्यमय माहौल और गहरी मनोवैज्ञानिक गहराई को गढ़ता है, जो दर्शकों को लगातार कगार पर रखता है, जहाँ वे हर पल यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या वास्तविक है और क्या अंधेरे में छिपा हुआ है। इस कल्पना को साकार करने के लिए साहसी और रचनात्मक दिमागों का एक साथ आना जरूरी था, और इसमें प्राइम वीडियो ने अहम भूमिका निभाई है।

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