ब्रह्मपुत्र पर तैरती उम्मीदों की नावें 

समाज का मुख्य वर्ग आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क परिवहन जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित 

ब्रह्मपुत्र पर तैरती उम्मीदों की नावें 

ब्रह्मपुत्र पर तैरती ये उम्मीदों की नावें उन घाटी समुदाय के लोगों के लिए आशा की किरण है।

हमारे देश की भौगोलिक विविधताएं देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में बाधक हैं समाज का मुख्य वर्ग आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क परिवहन जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है, क्योंकि भौगोलिक अवसरंचना से बुनियादी ढांचे में समानता नहीं है जहां देश की स्वास्थ्य नीति सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के प्राप्ति उद्देश्यों की और गतिशील है वहीं दूसरी और दुर्गम इलाकों में बसे लोगों को प्राथमिक उपचार भी नसीब नहीं हो रहा है। पूर्वोतर भारत अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है विशाल ब्रह्मपुत्र नदी के समीप असम घाटी में मनमोहक चाय बागानों की ख़ुशबू से लबरेज ये इलाका प्रतिवर्ष गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करता है दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली के आसपास बसे लाखों लोग आधारभूत स्वास्थ्य सुविधाओं से रहित हैं, इनके लिए स्वास्थ्य समस्याएं गंभीर हैं जिसका मुख्य कारण वहां के स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य संस्थानों तक नहीं पहुंच पाना है। ब्रह्मपुत्र घाटी के लोगों की स्वास्थ्य की नब्ज टटोलने के लिए पूर्वोत्तर अध्ययन एवं नीति अनुसंधान केंद्र ने वर्ष 2005 में अनूठी पहल नाव क्लिनिक की शुरुआत की जिसका उद्देश्य नदी किनारे बसे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना था पूर्वोत्तर अध्ययन एवं नीति अनुसंधान केंद्र एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो स्वास्थ्य, प्रशासन क्षेत्रों और नदी अध्ययनों से संबंधित विभिन्न पहलों में सक्रिय भागीदारी निभाता है इस मोबाइल क्लिनिक में प्रयुक्त नाव को अखा नाम दिया अर्थात् जिसे बाढ़ की घाटी में आशा का जहाज से वर्णित किया गया है। 

ब्रह्मपुत्र पर तैरती ये उम्मीदों की नावें उन घाटी समुदाय के लोगों के लिए आशा की किरण है डिब्रूगढ़ से शुरू हुई ये परिवर्तनकारी पहल नदी के बहाव की तरह फैलते हुए धुबरी जिले तक पहुंच चुकी है नदी किनारे ऊपरी असम के डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, धेमाजी, जोरहाट, लखीमपुर, सोनितपुर, सहित करीब 14 जिलों में बोट क्लिनिक संचालित हो रहे हैं, इन विशेष क्लिनिकों में डॉक्टर और नर्सिंग कर्मियों की पूरी मेडिकल टीम मौजूद रहती है और ये नावें नदी के मध्य स्थित छोटे छोटे द्वीपों पर प्रतिमाह चार से पांच फेरे लगाती हैं। ये क्लीनिक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर आपातकालीन और जटिल मामलों में रेफर की सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं इनके मुख्य उद्देश्य निम्न है उपचारात्मक देखभाल जैसे सामान्य जांच स्थानीय संक्रामक रोगों तथा गैर-संचारी रोगों का शीघ्र पता लगाना एवं प्रजनन और बाल देखभाल प्रसव पूर्व जांच और संबंधित सेवाएं जटिल गर्भधारण के लिए रेफरल संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना प्रसवोत्तर जांच टीकाकरण अभियान को बढ़ावा देने के साथ परिवार नियोजन सेवाएं और स्वास्थ्य व उचित पोषण के विषय में जागरूकता फैलाना है । 

बीते दो दशकों में इन मोबाइल क्लीनिकों से तकरीबन 40 लाख लोगों का उपचार हुआ, जिसमें प्रसव कराना भी शामिल है इस अद्भुत पहल के लिए गैर लाभकारी संगठन की जितनी सराहना की जाए उतनी कम है क्योंकि नदी किनारे द्वीपों पर निवासित लोगों तक इन सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना बहुत मुश्किल काम है मानसूनी वर्षा में ब्रह्मपुत्र का जलस्तर बढ़ने से यहां हर वर्ष लाखों लोग विस्थापित होते हैं और इनको जलजनित बीमारियों से जूझना पड़ता है घाटी में नदी के मध्य में स्थित वो बच्चे अपनी पोलियो की खुराक के लिए वहीं गर्भवती महिलाएं और बुजÞुर्ग अपने नियमित जांच के लिए अखा के इंतजार में टकटकी लगाए रहते हैं अखा उनके लिए आशा की किरण है । नाव क्लीनिकों के सुखद परिणामों से प्रभावित होकर राज्य सरकार ने भी इस अभियान को समर्थित किया अब राष्टÑीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत सहयोग प्रदान किया जा रहा है यूनिसेफ  ने भी इस बोट क्लिनिक पहल को समर्थित किया, जिससे इस अभियान को और गति मिलेगी । असम सहित पूरा पूर्वोतर और उत्तर भारत के पहाड़ी इलाके स्वास्थ्य सेवाओं में आज भी बीमारू हैं इन क्षेत्रों में स्थापित अस्पतालों में विशेषज्ञों, स्वास्थ्य पेशेवरों और परिवहन की कमी है मौसम की मार से ये इलाके और दुर्गम हो जाते हैं इन इलाकों में स्वास्थ्य तंत्र की मजबूती के लिए समाधान ढूंढ़ने चाहिए, जिससे संपूर्ण देश में स्वास्थ्य में एकरूपता हो क्योंकि बेहतर स्वास्थ्य देश के प्रत्येक नागरिक का अधिकार है राज्य सरकारों को इन पिछड़े इलाकों में विशेष स्वास्थ्य पैकेज जारी करने चाहिए दुर्गम क्षेत्रों में परिवहन व्यवस्था सुगम हो इसके लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

-डॉ. रघुवीर चारण
यह लेखक के अपने विचार हैं।

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