अपने लोगों के लिए झुकना होगा यूक्रेन को

ट्रंप और जेलेंस्की की भेंट अप्रत्याशित तनाव और विवाद में उलझ कर रह गई

अपने लोगों के लिए झुकना होगा यूक्रेन को

ट्रंप की एक भी बात का समुचित उत्तर न देकर व्यर्थ हठ पर अड़े रहे जेलेंस्की को अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने अभद्रता दिखाने के लिए कोसा और ओवल कार्यालय छोड़ने के लिए कह दिया।

वाशिंगटन में ट्रंप और जेलेंस्की की भेंट अप्रत्याशित तनाव और विवाद में उलझ कर रह गई। रूस और यूक्रेन के मध्य तीन वर्ष से हो रहे युद्ध के विराम हेतु प्रयासरत अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोचा नहीं होगा कि वोलोदिमिर मनमानी पर उतर आएंगे तथा वैश्विक कल्याण के दृष्टिगत आयोजित पारस्परिक भेंटवार्ता को निकृष्ट बनाकर असभ्यतापूर्वक विवाद करने लगेंगे। ट्रंप की एक भी बात का समुचित उत्तर न देकर व्यर्थ हठ पर अड़े रहे जेलेंस्की को अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने अभद्रता दिखाने के लिए कोसा और ओवल कार्यालय छोड़ने के लिए कह दिया। औपचारिक अभिवादन के बाद जेलेंस्की इस बात पर अड़ गए कि रूस के साथ युद्ध-समाप्ति के समझौते पर वे तब ही सहमत होंगे, जब अमेरिका भविष्य में उन्हें रूस के किसी भी सैन्य-असैन्य आक्रमण से पूर्ण सुरक्षा देने का समर्थन करे और इस आशय का वचनपत्र सौंपे। साथ ही उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन को आतंकवादी बोल दिया और ट्रंप से कहा कि यूक्रेन व दुनिया को ऐसे आतंकी, हत्यारे के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहिए। ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी नवशासन रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने का प्रयास कर रहा है और आप लाखों लोगों के जीवन से खेल रहे हैं, आप तृतीय विश्व युद्ध का वातावरण बना रहे हैं। आप जो कर रहे हैं वो अपमानजनक है। 

अमेरिका ने आपकी सर्वाधिक सहायता की है। अमेरिका चाहता है कि इस युद्ध में हो रही मौतें बंद हों और यूक्रेन के लिए आवंटित होनेवाला धन उसके पुनर्निर्माण के कार्यों में लगे। संपूर्ण विश्व में शांति के समर्थक लोगों में इस बात का हर्ष था कि चलो ट्रंप के साथ जेलेंस्की की वार्ता के बाद यूक्रेन और रूस के मध्य युद्ध समाप्ति के लिए समझौता होगा और इन देशों के युद्ध से अभिशप्त दुनिया को एक नवशांत वातावरण देखने को मिलेगा, किंतु जेलेंस्की की मूर्खता और अभिमान ने शांति समझौते के मार्ग में बाधा उत्पन्न कर दी है। 

ट्रंप और जेलेंस्की की विवादास्पद भेंटवार्ता को दुनिया के वामपंथी और दक्षिणपंथी लोग अपनी-अपनी दृष्टि से देखते हुए ही प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोग ही नहीं वैश्विक मीडिया भी वाम और दक्षिण पंथ के दो धु्रवों में विभाजित होकर विवादित वार्ता के अपने-अपने अर्थ व अभिप्राय निकाल रहा है। जहां वामपंथी लोग जेलेंस्की का पक्ष लेते हुए यह प्रचारित कर रहे हैं कि ट्रंप और जेडी वेंस उन पर भड़क गए वहां दक्षिणपंथी लोग भलीभांति समझ रहे हैं कि दुनिया के बड़े हिस्से पर काबिज वामपंथी मानसिकता इस बैठक के बाद ट्रंप पर नकारात्मक व पक्षपाती होने का आरोप लगाने को तैयार बैठी हुई है। हालांकि यह सत्य है कि अमेरिका युद्धरत् दोनों देशों के मध्य युद्धविराम कराने के लिए स्वार्थ भी पोषित करना चाहता है, किंतु इस संदर्भ में यह भी एक धु्रवसत्य है कि जहां पिछली अमेरिकी सरकार इन दोनों देशों के मध्य युद्ध को आरंभ करवाकर और युद्ध में मृत्यु का तांडव कराकर अपना स्वार्थ साधती रही थी, वहीं विद्यमान अमेरिकी सरकार युद्ध रोककर और शांति समझौता करवाकर अमेरिकी हित साधना चाहती है। पूर्वी यूरोप का हिस्सा यूक्रेन पिछली कई शताब्दियों से अपने चारों ओर स्थित यूरोपीय देशों की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और वैज्ञानिक गतिविधियों से प्रभावित व पीड़ित रहा है। दुनिया में कम क्षेत्रफल और जनसंख्या के साथ विद्यमान अधिसंख्य देशों की यही दशा रही है।

इस स्थिति में यूक्रेन भी जनसंख्या, संसाधनोंऔरआर्थिक आधार पर एक वास्तविक स्वायत्त देश नहीं बन सका। कभी यहां पोलैंड, कभी बेलारूस, कभी जर्मनी, कभी किसी अन्य यूरोपीय देश तो कभी पड़ोसी रूस का व्यापक प्रभाव रहा है। इसी कारण नवंबर 2012 में उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के विरोध में एक बड़ा जनांदोलन यूक्रेन में उठ खड़ा हुआ, जब उन्होंने यूरोपीय संघ के साथ एक बड़ा व्यापार समझौता निरस्त कर दिया और रूस के साथ एकीकृत होने का निर्णय लिया। इसके विरोध में तत्कालीन अमेरिकी शासन सहित लगभग सभी यूरोपीय देश एकत्र हो गए। रूस और यूक्रेन के मध्य चले आ रहे युद्ध के लिए जितने दोषी दोनों देश हैं, उतनी ही दोषी अमेरिका से लेकर मजबूत यूरोपीय देशों की सरकारें भी हैं, जो यूक्रेन के खनिज पदार्थों तक पहुंच बनाने के लिए कभी उसे यूरोपीय संघ की संघटनात्मक शक्ति से जोड़ने, कभी उसे नाटो सेना में सम्मिलित कराने तो कभी रूस के विरुद्ध युद्ध में शक्तिसंपन्न होकर डटे रहने के लिए अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र देने का प्रलोभन दे रही हैं। 

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अमेरिकी नेतृत्व में ट्रंप इस अमानवीय अभ्यास को रोकने का प्रयास तो कर रहे हैं, किंतु यूक्रेनी राष्ट्रपति राष्ट्र प्रमुख बनने से पूर्व की अपनी स्टैंड अप कॉमेडियन की भूमिका से बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने युद्ध, युद्ध में सैनिकों और लोगों की मौतों, यूक्रेनियों के विस्थापन, पलायन और मूलभूत आवश्यकताओं के लिए उनके दैनिक संघर्ष सभी मानवीय पक्षों को क्रूरतापूर्ण ढंग से विस्मृत कर दिया है। आगामी दिवसों में यही आशा की जा सकती है कि वे व्यर्थ हठवृत्ति छोड़ युद्धविराम के समझौते को प्रतिकूल शर्तों के आधार पर भी स्वीकार करें, क्योंकि अब उनके पास अपने लोगों की रक्षा का एकमात्र यही उपाय शेष है। 

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-विकेश कुमार बडोला
यह लेखक के अपने विचार हैं।

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